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लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं विस्तार के लिए जनपदवार कलाकारों की सूची तैयार की जाये: जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने संस्कृति विभाग के अन्तर्गत आने वाले वृंदावन शोध संस्थान के पदाधिकारियों को निर्देश दिये है कि ब्रज क्षेत्र कि समृद्ध संस्कृति एवं विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाये। इस कार्य में पर्यटन विभाग भी आर्थिक सहायता देगा।
पर्यटन मंत्री आज पर्यटन भवन में वृंदावन शोध संस्थान द्वारा 100 दिन 06 माह 01 वर्ष 02 वर्ष तथा 05 वर्ष के लिए बनायी गयी कार्ययोजना का अवलोकन करने के पश्चात कहा कि इस क्षेत्र के अन्तर्गत जन्मे जाने माने कवियों, लेखकों, साहित्यकारों एवं लोक कलाकारों का पता लगाकर उनके योगदान को रेखांकित करने के लिए उनके जन्मस्थान के घर को संरक्षित किया जायेगा। इसके साथ ही उनके घर तक जाने वाली सड़क का नामकरण भी उनके नाम पर किया जायेगा।
श्री जयवीर सिंह ने कहा कि ब्रज क्षेत्र के कण-कण में आस्था एवं समृद्धि संस्कृति बिखरी हुयी है। इसको संरक्षित करने के साथ ही इन स्थानों पर अवस्थापना सुविधाओं का विकास भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों एवं लेखकों एवं लोक कलाकारों कि जन्मस्थली के मार्ग पर शानदारद्वार के निर्माण के लिए भी योजना बनाई जाये। इसके अलावा पुरानी पाण्डुलिपियों का अभिलेखीकरण एवं संरक्षण के उपाय किये जाये ताकि आगे आने वाली पीढी इन धरोहरों का अवलोकन कर सके।
पर्यटन मंत्री ने यह भी कहा कि ब्रज क्षेत्र से जुड़े धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों से विदेशों सैलानियों को जोड़ने के लिए कई भाषाओं के जानकार, गाइड भी तैयार किये जाये। इसमें पर्यटन विभाग भी सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि देशी-विदेशी पर्यटकों को ब्रज की संस्कृति विरासत, परम्परा, खान-पान, वेशभूषा एवं हस्तशिल्प के बारे में जानकारी देने में अंग्रेजी, हिन्दी भाषा के गाइडों के अत्यधिक आवश्यकता होगी। इसके साथ ही स्थानीय लोगो को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
जयवीर सिंह ने कहा कि ब्रज भाषा की प्राचीन साहित्य को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए जर्मन, फ्रेंच तथा रूसी भाषा में अनुवाद कराया जाये। इसके साथ ही अयोध्या में संचालित प्रतिदिन रामलीला की तर्ज पर रासलीला का आयोजन भी कराया जाये। उन्होने कहा कि ब्रज क्षेत्र के प्राचीन वाद्य यंत्रो, वस्त्रों, स्थापत्य कला आदि को संरक्षित करते हुए इसको प्रदर्शित किया जाये।
इसके पश्चात पर्यटन मंत्री ने लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा तैयार की  गयी प्रस्तुतीकरण का भी अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय जीवन का करीब से जानने में यह संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होने कहा कि इस संस्थान द्वारा संचालित कार्यक्रमों को जनजातीय बाहुल्य जनपदों को ले जाने की जरूरत है। ताकि प्रदेश में रहने वाले जनजाति के लोग अपनी विरासत एवं गौरवशाली परम्परा से परिचित हो सके।
श्री जयवीर सिंह ने लोक एवं जनजाति एवं संस्कृति संस्थान के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि जनजातीय लोक कलाओं को विश्व पटल तक ले जाने के लिए जनजातिय लोक कलाकारों को जनपदवार सूची तैयार करायी जाये। इसके साथ ही जनजाति समाज के गीत-संगीत नाटक वाद्य यंत्र आदि का पूरा विवरण तैयार कराया जाया। उन्होंने कहा कि लोक कलाओं का संरक्षण संवर्धन आवश्यक है। ताकि आने वाली पीढ़ी इन कलाओं को आगे बढ़ाते हुए इसे जीवित रख सके।
महानिदेशक पर्यटन एवं प्रमुख सचिव श्री मुकेश मिश्राम ने दोनों संस्थानों के पदाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि लोक कलाओं के संरक्षण एवं उसके विस्तार के लिए धन की कोई कमी नहीं है। वृंदावन शोध संस्थान लोक एवं जन जाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा तैयार की गयी कार्ययोजना पर पूरी गम्भीरता से कार्य करते हुए निर्धारित समय में लक्ष्यों को प्राप्त करे। पर्यटन विभाग ब्रज क्षेत्र एवं जनजातीय संस्कृति से जुडे सभी सरोकरों एवं गौरवशाली विकास यात्रा के संरक्षण, संवर्धन  एवं परिवर्धन के लिए कटिबद्ध है।
इस अवसर पर विशेष सचिव संस्कृत श्री आनन्द कुमार सिंह, वृंदावन शोध संस्थान के निदेशक डायरेक्टर अजय कुमार पाण्डेय, शोध अधिकारी राजेश शर्मा के अलावा लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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