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श्रीमद भागवत महापुराण रसवर्षा के तीसरे दिन जीवन के कल्याण की कथा बताई: आचार्य पंकज डोभाल

उत्तराखंड

देहरादून: जन्माष्टमी के पावन अवसर पर श्रीमद भागवत महापुराण रसवर्षा मानस मन्दिर समिति द्वारा मानस मन्दिर बकरालवाला मन्दिर प्रगंण में आज तीसरे दिन कथा में ब्यास ने आत्मा कल्याण की बात श्रोताओं को बताई, और जन्म मृत्यु रूपी भव रोग की दवा भागवत कथा है, श्रीमद भागवत महापुराण के तीसरे दिन कथा में ब्यास आचार्य सतीश जगूडी ने कथा का सार बताया, उन्हाकेंने कहा कि जिस तरह अमृत कथ का श्रवण कर मनुष्य भी अपना लोक सुधार सकते हैं उन्होंने कहा कि गोकरण की समृद्वि से अपने भाई की आत्मा को भटकने से बचाकर उसे सत्मार्ग की राह दिखाई, उसके कानों में श्रीमद भागवत कथा पड.ते ही वह भी स्वर्ग चला गया, यह कथा सम्पूर्ण कथा जीव के कल्याण की कथा है।

कथा प्रवक्ता आचार्य सतीश जगूडी द्वारा कथा में बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या गुरू का अपमान हो, यदि एंसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए, चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के करण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड.ा   कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरूचि के द्वारा अपमानित हाने पर थी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड.ा संकट टल गया, परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य सयंम की नितांत आवश्यकता रहती है, भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा सुनाते हुए बताया कि भ्क्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है, भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरण देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिटृटी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है, कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है, अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रहलाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रूप में लोहे के खंभे को फाड.कर प्रगट होना बताया है कि प्रहलाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद के प्राणें की रक्षा की,

श्रीमद भागवत महापुराण रसवर्षा में भक्त दूर दूर से कथा को सूनने के लिए आये थे इस  अवसर आचार्य पंकज डोभाल, उपाचार्य रितिक नौटियाल, राकेश गोड, आशीष, ओमप्रकाश जुगरान,एवं बकरालवाला,डोभालवाला,राजपूर रोड. एवं दूर दूर से आये भक्तजन व समस्त भक्त मण्डली आदि मौजूद थे।

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