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आलू किसान अपने उत्पादन को उपचारित कर भंडारगृह में रखें: उद्यान निदेशक

उत्तर प्रदेशकृषि संबंधित

लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू वर्ष में आलू उत्पादन की वृद्धि को देखते हुए आलू उत्पादको को सलाह दी है कि वे अपने आलू को शीतगृह में रखने के पूर्व आवश्यक प्रबन्ध एवं सावधानियां सुनिश्चित कर लें।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक श्री एस0वी0 शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में 2019-20 में 575 लाख हे0 क्षेत्रफल में आलू बोया गया, जिसके सापेक्ष 160.00 लाख मिट्रिक टन आलू का उत्पादन सम्भावित है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 1911 निजी शीतगृह हैं, जिनका भंडारण क्षमता 156.86 लाख मिट्रिक टन हैं।
निदेशक ने आलू उत्पादकों को सलाह दी है कि वे अपने आलू को 15 फरवरी से (अगैती प्रजाति) जमीन से सुरक्षा पूर्वक निकाल कर छप्परनुमा स्थान पर छायानुमा जिसकी ऊंचाई 1.20 मीटर का हो में ढेर बनाकर एक सप्ताह तक रखना चाहिए, जिससे आलू में लगी मिट्टी स्वतः निकल जाये।
उद्यान निदेशक ने बताया कि आलू को खुदाई के पश्चात आलू कण्डों को हवादार स्थान पर अलग-अलग प्रजाति का ढेर लगाकर रख देना चाहिए। उन्होंने बताया कि छनाई-बिनाई के पश्चात भन्डारण के लिये केवल बीज आकार मोटा एवं छोटा आलू कन्दों को अलग-अलग भंडारण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आलू कन्दों को बोरों में भरने से पूर्व 03 प्रतिशत बोरिक एसिड अथवा आरगेनिक मरक्यूरियल कम्पाउन्ड की दवा के घोल में 30 मिनट तक अवश्य उपचारित किया जाये।
श्री शर्मा ने बताया कि भण्डारण के 45 दिन बाद आलू के बोरों की प्रथम पल्टाई अवश्यक होनी चाहिए। उन्होंने आलू किसानों को यह भी सलाह दी है कि वे समय-समय पर अपने भन्डारित आलू का निरीक्षण भी करते रहें।

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