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राज्‍य आयोगों और जिला मंचों के कार्य की समीक्षा करने के लिए सम्‍मेलन का आयोजन

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नई दिल्ली: राज्‍य आयोगों और जिला मंचों के कार्य की समीक्षाकरने के लिए इस सम्‍मेलन का आयोजन दिनांक 27 अक्‍तूबर, 2018 को विज्ञान भवन, नई दिल्‍ली में उपभोक्‍ता मामले विभाग तथा राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा संयुक्‍त रूप से किया गया है। इस सम्‍मेलन में राज्‍य आयोगों के अध्‍यक्षों तथा राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों के उपभोक्‍ता मामलों के प्रभारी सचिवों ने भाग लिया।

इस सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता माननीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं वाणिज्‍य तथा उद्योग राज्‍य मंत्री श्री सी.आर. चौधरी तथा न्‍यायमूर्ति श्री आर.के. अग्रवाल, अध्‍यक्ष एन.सी.डी.आर.सी. ने की।

इस सम्‍मेलन का आयोजन ऐसे अवसर पर किया जा रहा है जब सरकार ने नए बाजारों में उपभोक्‍ताओं द्वारा सामना की जा रही नई चुनौतियों से निपटने के लिए उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को निरस्‍त करते हुए नया उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक, 2018 व्‍यापक संशोधनों के साथ लोक सभा में प्रस्‍तुत कर दिया है।

सम्‍मेलन में प्रतिनिधियों का स्‍वागत करते हुए श्री अविनाश के. श्रीवास्‍तव, सचिव, उपभोक्‍ता मामले विभाग ने यह उल्‍लेख किया कि यह सम्‍मेलन उपभोक्‍ता मंचों के लंबित मामला जैसे कार्य और आयोगों के अध्‍यक्ष तथा सदस्‍यों के रिक्‍त पदों को भरने के कार्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्‍होंने उपभोक्‍ता की शिकायतों के प्रतितोष के वैकल्पिक तरीकों, उपभोक्‍ता मंचों को कम्‍प्‍यूटरीकृत करने तथा राज्‍यों द्वारा मॉडल नियमों को अधिसूचित करने की ओर भी ध्‍यान आकृष्‍ट किया।

न्‍यायमूर्ति श्री आर.के. अग्रवाल, अध्‍यक्ष, एन.सी.डी.आर.सी. ने अपने भाषण में राष्‍ट्रीय आयोग सहित विभिन्‍न मंचों में लंबित पड़े हुए मामलों की संख्‍या के बारे में उल्‍लेख किया तथा यह सुझाव दिया कि इन आयोगों में रिक्‍त पड़े हुए पदों को शीघ्रातिशीघ्र भरा जाना चाहिए। उन्‍होंने इस बात पर बल दिया कि स्‍थगनों और अपीलों की संख्‍या मामलों के वित्‍तीय मूल्‍य के अनुसार सीमित की जानी चाहिए। उन्‍होंने उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक में मध्‍यस्‍थता को आरंभ किए जाने का स्‍वागत किया और यह उल्‍लेख किया कि इससे लंबित मामलों की संख्‍या को कम करने में मदद मिलेगी।

माननीय राज्‍य मंत्री, श्री सी.आर. चौधरी उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण ने अपने भाषण में यह उल्‍लेख किया कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम तथा उससे संबंधित कानूनों के प्रवर्तन की संयुक्‍त जिम्‍मेदारी केन्‍द्र तथा राज्‍यों की है।

माननीय मंत्री महोदय ने यह उल्‍लेख किया कि राज्‍य आयोग/जिला मंचों के अध्‍यक्ष, सदस्‍यों की नियुक्ति, वेतन/पारिश्रमिक तथा अन्‍य सेवा-शर्तों से संबंधित मॉडल-नियम इस मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग से परामर्श करके तैयार किए गए और राज्‍यों तथा संघ शासित प्रदेशों को परिचालित कर दिए गए हैं। मंत्री महोदय ने सभी राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों से इन नियमों को अंगीकार करते हुए यथाशीघ्र अधिसूचनाएं जारी करने का अनुरोध किया।

माननीय मंत्री महोदय श्री सी.आर. चौधरी ने यह उल्‍लेख किया कि जिला मंचों को किसी भी प्रकार के स्‍थगन से बचना चाहिए तथा पहली सुनवाई पर निर्णय लेने को प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए और राज्‍य आयोगों से इस पहलू की मॉनिटरिंग करने का अनुरोध किया। इसके अलावा, मंत्री महोदय ने प्रतितोष तंत्रों को सुदृढ़ करने तथा इस प्रयोजन हेतु केन्‍द्र से अपेक्षित सहायता के लिए राज्‍यों से सुझाव आमंत्रित किए।

उन्‍होंने कहा कि सरकार ने उपभोक्‍ता शिकायतों का समाधान करने के लिए वैकल्पिक पद्धति के रूप में राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन पहले ही सुदृढ़ कर दी है जिससे कि उपभोक्‍ताओं को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए उपभोक्‍ता मंचों में न जाना पड़े। मंत्री महोदय ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि मौजूदा उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष तंत्रों को बेहतर रूप से सुदृढ़ करने हेतु एक भावी कार्य योजना के साथ यह एक सफल सम्‍मेलन सिद्ध होगा। यह सम्‍मेलन 2 तकनीकी सत्रों में आयोजित किया गया। सत्र-I में उपभोक्‍ता मंचों के कार्य, लंबित मामलों की संख्‍या में कमी लाने तथा मॉडल-नियम आदि के क्रियान्‍वयन पर चर्चा की गई।

सम्‍मेलन के सत्र-II में जिन मामलों पर चर्चा की गई उनमें उपभोक्‍ता मंचों के कम्‍प्‍यूटरीकरण के क्रियान्‍वयन की प्रगति तथा नेटवर्किंग, सुदृढ़ीकरण तथा स्‍वच्‍छ-भारत कार्य-योजना जैसी विभिन्‍न स्‍कीमों के अंतर्गत जारी की गई निधियों का उपयोग शामिल है।

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