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जिला मंचों को स्थगन से बचना चाहिए और पहली सुनवाई में ही मामलों का फैसला करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए: सी. आर. चौधरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपभोक्ता मामले विभाग और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक साथ मिलकर आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राज्य आयोगों और जिला मंचों के कामकाज की समीक्षा के लिए सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में राज्य आयोगों के अध्यक्षों और राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के उपभोक्ता मामले के सचिवों ने भाग लिया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता उपभोक्ता मामले, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी और एनसीडीआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल ने किया। यह सम्मेलन ऐसे महत्वपूर्ण समय पर आयोजित किया जा रहा है, जब सरकार ने 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में बदलाव कर लोकसभा में नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 को बाजारों में उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली उभरती चुनौतियों को पूरा करने के लिए लाया है।

उपभोक्ता मामले विभाग में सचिव श्री अविनाश के. श्रीवास्तव ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए उल्लेख किया कि उपभोक्ता मंच के कार्यकलाप से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जैसे कि विचाराधीन मामलों पर ध्यान एवं आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त हुए पदों को भरना आदि।

एनसीडीआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय आयोग समेत विभिन्न उपभोक्ता मंचों में मामलों की विचाराधीनता बढ़ने के बारे में उल्लेख किया और सुझाव दिया कि इन आयोगों में रिक्तियों को तेजी से भरा जाना चाहिए। श्री अग्रवाल ने जोर देते हुए कहा कि स्थगन और अपील की संख्या मामलों के मूल्यों के आधार पर तय कर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में मध्यस्थता की शुरूआत का स्वागत किया और उल्लेख किया कि इससे मामलों की विचाराधीनता को भी कम करने में मदद मिलेगी।

उपभोक्ता मामले, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और संबद्ध कानूनों का प्रवर्तन केंद्र और राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी है। श्री सी आर चौधरी ने कहा कि मंत्रालय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के साथ विचार-विमर्श राज्य आयोग / जिला मंचों में नियुक्ति, वेतन/पारिश्रमिक और अध्यक्षों / सदस्यों की सेवा की अन्य शर्तों से संबंधित नियम राज्यों और केन्द्र शाशित प्रदेशों को भेज दिए गए हैं।मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया कि वे जितनी जल्दी हो सके इन नियमों को अपनाने वाली अधिसूचनाएं जारी करें।

श्री चौधरी ने यह भी उल्लेख किया कि जिला मंचों को किसी भी मामले पर स्थगन देने से बचना चाहिए और पहली सुनवाई में ही मामलों को निपटाने के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इसकी निगरानी के लिए राज्य आयोग से अनुरोध किया जाना चाहिए। मंत्री ने इस उद्देश्य के लिए केंद्र से आवश्यक निवारण तंत्र बनाने और नियामक को मजबूत बनाने के लिए राज्यों से सुझाव आमंत्रित किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने उपभोक्ता शिकायतों को हल करने के लिए वैकल्पिक प्रणाली के रूप में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को पहले ही शुरू कर दिया है ताकि उपभोक्ताओं को उपभोक्ता मंचों से उनकी शिकायतों को दूर करने की आवश्यकता न हो। मंत्री ने उम्मीद जताई कि मौजूदा सम्मेलन उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र को बेहतर बनाने के लिए भविष्य में नई कार्य योजना के साथ सामने आएगा।

सम्मेलन में दो तकनीकी सत्र थे। प्रथम सत्र में, उपभोक्ता मंचों की कार्यप्रणाली, मामलों की विचाराधीनता को कम करने के लिए उठाए जाए वाले कदम और मॉडल नियमों के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई। दूसरे सत्र में उपभोक्ता मंचों के कम्प्यूटरीकरण और नेटवर्किंग के कार्यान्वयन की प्रगति, कई कार्य योजनाओं के तहत जारी राशि के उपयोग हेतु कार्ययोजना पर प्रगति शामिल है।

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