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एनटीपीसी दादरी भारत का सबसे स्वच्छ कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्र बनने के लिये प्रयासरत

देश-विदेश

राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी दादरी देश का सबसे स्वच्छ कोयला संयंत्र बनने का प्रयास कर रहा है और उत्सर्जन के मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रयण बोर्ड-सीपीसीबी के दिशा निर्देशों का अनुपालन कर रहा है। सभी उत्सर्जन मापदंडों की निगरानी ऑनलाइन की जाती है और तय समय के आधार पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को प्रेषित की जाती है। ऊर्जा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी-पीएसयू, एनटीपीसी लिमिटेड द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, फ्ल्यू गैस उत्सर्जन और पार्टिकुलेट मैटर सीपीसीबी के सभी उच्च दक्षता वाले ईएसपी (इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रिप्लिसिटेटर) के मानदंडों के अनुरूप है, इनमें चार संयंत्र- 210 मेगावाट के और 490 मेगावाट की दो इकाइयाँ शामिल हैं।

सल्फर ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी के लिए, ड्राई सोरबेंट इंजेक्शन (डीएसआई) प्रणाली को देश में पहली बार 210 मेगावाट इकाइयों में स्थापित किया गया है, जिसमें यूसीसी (यूनाइटेड कॉन्वोर कॉरपोरेशन), यूएसए की तकनीक है और अब सभी चार इकाइयां उत्सर्जन मानदंडों को पूरा कर रही हैं। एफजीडी प्रणाली जापान के मित्सुबिशी पावर वर्क्स से प्रौद्योगिकी के साथ भेल (बीएचईएल) द्वारा 490 मेगावाट इकाइयों में कार्यान्वयन के उन्नत चरण में है।

सभी 210 मेगावाट इकाइयां पहले से ही नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप थीं। 490 मेगावाट इकाइयों में, एसओएफए (सेपरेट ओवरफ़ायर एयर) सिस्टम स्थापित किया गया है और सभी इकाइयां अब नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन के मानदंडों का अनुपालन कर रही हैं।

एनटीपीसी दादरी ने बॉयलरों में कोयले के साथ-साथ जैविक ईंधन के उपयोग शुरू करने का कार्य भी किया है। जैविक ईंधन, भूसी या कृषि-अवशेषों से बने होते हैं जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-एनसीआर में प्रदूषण को बढ़ाने वाले कारको में शामिल हैं। एनटीपीसी दादरी के बॉयलरों में 8000 टन से अधिक छर्रों का प्रयोग किया गया है, इससे लगभग 4000 एकड़ खेत में पराली को जलने से रोक सका है।

एनटीपीसी दादरी ने शून्य तरल निर्वहन प्रणाली और वर्षा जल संचयन प्रणाली लागू करके, अनुपालन से आगे जाकर, पानी के उपयोग में कमी करने में नए मानदंड स्थापित किए हैं।

स्थायी पर्यावरण के लिए एनटीपीसी के प्रयासों के बारे में:

एनटीपीसी के बिजली पारेषण को विकेन्द्रीकृत, विघटित और डिजिटलाइज्ड ऊर्जा में बदलने का प्रयास है। यह कंपनी की प्राथमिकताओं के लिए अकार्बनीकरण और वायु उत्सर्जन नियंत्रण, जल और जैव विविधता संरक्षण, परिपत्र अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और सुरक्षा, सामुदायिक विकास, मजबूत वित्त और नैतिकता और सतत आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है।

पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, एनटीपीसी ने इस क्षेत्र के लिए कई प्रथम प्रयास किए हैं। एनटीपीसी, खेतों में फसल के अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए, कृषि अवशेषों के बिजली उत्पादन के लिए उपयोग करने की दिशा में काम कर रहा है। एनटीपीसी भी देश भर में अपने सभी संयंत्रों में सल्फर डाइऑक्साइड-उत्सर्जन कम करने वाली प्रौद्योगिकी फ्ल्यू-गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। एनटीपीसी स्वच्छ पर्यावरण के लिए विभिन्न अपशिष्ट पदार्थो से बिजली बनाने की परियोजनाओं की ओर भी काम कर रहा है।

एनटीपीसी नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों की महत्वपूर्ण क्षमताओं को जोड़कर अपने ऊर्जा विभाग को स्वच्छ बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। 2032 तक, कंपनी की योजना नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से न्यूनतम 32000 मेगावाट क्षमता तैयार करने की है। यह इसकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 25% है।

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