38 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

देश के स्वास्थ्य के लिए अच्छा पोषण महत्वपूर्ण है। यह देश के विकास से जुड़ा है: डॉ. भारती प्रवीण पवार

देश-विदेश

आज चौथे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ मुंजपारा महेंद्रभाई ने “पहले 1000 दिनों में पोषण का महत्व, प्रारंभिक जीवन में देखभाल व विकास और कुपोषण की रोकथाम व प्रबंधन” विषय पर एक संयुक्त वेबिनार को संबोधित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, डॉ. पवार ने कहा, “देश के स्वास्थ्य के लिए अच्छा पोषण महत्वपूर्ण है। यह देश के विकास से जुड़ा है।” उन्होंने आगे कहा कि “कुपोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अन्य संकेतकों को भी प्रभावित करता है।”

मंत्री ने आगे कहा कि “आयुष्मान भारत योजना के तहत, सरकार ने लोगों के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत, कुपोषण घटाने के लिए स्वस्थ जीवन-चक्र के दृष्टिकोण को अपनाया जा रहा है।” इसके लिए उन्होंने एनीमिया मुक्त भारत और जननी सुरक्षा कार्यक्रम का उदाहरण दिया।

डॉ. पवार ने भरोसा जताया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत कुपोषण उन्मूलन को एक ‘जन आंदोलन’ बनाने में सफल हो जाएगा।

डॉ. महेंद्रभाई ने कहा कि “सामुदायिक भागीदारी और डब्ल्यूसीडी और स्वास्थ्य मंत्रालय व अन्य मंत्रालयों के बीच अंतर-मंत्रालयी समन्वय कुपोषण मुक्त भारत सुनिश्चित करने की दिशा में बहुत सफल भूमिका निभाएगा।”

मंत्री ने यह भी बताया कि “न केवल स्वस्थ आहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मजबूत प्रयास किए जा रहे हैं, बल्कि पोषण वाटिका स्थापित करते हुए विविध, पौष्टिक, सस्ते और कृषि-जलवायु के अनुकूल आहार तक पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है।”

श्री विकास शील, अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक (एनएचएम), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वागत भाषण दिया।

प्रो. अरुण सिंह, नियोनेटोलॉजी विभाग, एम्स जोधपुर और सलाहकार, आरबीएसके ने जोर देकर कहा कि देश को महिलाओं और बच्चों, विशेषकर गर्भवती महिलाओं, के लिए अच्छे पोषण, प्रोत्साहन और सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि बच्चों में प्रसव काल से पहले से तंत्रिका तंत्र का विकास शुरू हो जाता है।

प्रो. अनुरा कुरपड़, फिजियोलॉजी विभाग, सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु ने कहा कि कुपोषण कई प्रकार के हो सकते हैं लेकिन भारत में पर्याप्त पोषण न मिलने की समस्या बहुत ज्यादा है, जहां 40% बच्चे कम वृद्धि के हैं। उन्होंने आहार में विविधता सुनिश्चित करने के लिए जन स्वास्थ्य की ओर पहल किए जाने का सुझाव दिया।

प्रो. एच पी एस सचदेव, सीताराम भारतीय विज्ञान और अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने कहा कि ‘अत्यधिक कुपोषण’ अनुपयुक्त नामकरण है, क्योंकि यह केवल खाद्य संबंधी समाधानों पर जोर देता है। पोषण, बीमारी की रोकथाम और घर के बने भोजन का सेवन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि घर के भोजन की तुलना में किसी खास उत्पादों का पक्ष लेने के लिए बहुत मजबूत साक्ष्य नहीं हैं, क्योंकि विशेष रूप से तैयार किया गया घर का भोजन कैलोरी और आहार संबंधी जरूरतों को पूरी कर सकता है।

इस अवसर पर दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी डिजिटल रूप से उपस्थित रहे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More