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अन्य विभागों या संस्थाओं के द्वारा मण्डी परिसरों की भूमि उपयोग करने हेतु किया जाय अनुबन्ध: दिनेश प्रताप सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिनेश प्रताप सिंह ने वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से मंडी परिषद के कार्यों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने सम्भागीय उप निदेशकों (प्रशासनिक/विपणन) को निर्देशित किया कि कार्यों की गुणवत्त्ता के लिए नियमित रूप से मण्डी स्थलों का निरीक्षण किया जाय। निरीक्षण के दौरान मिलने वाली कमियों को उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए उसे दूर किया जाय। उन्होंने निदेशक मण्डी को निर्देशित किया कि सम्भागीय उप निदेशकों (प्रशासनिक/विपणन) द्वारा किये जा रहे निरीक्षण की मानिटरिंग के लिए एक साफ्टवेयर विकसित किया जाय।
मंत्री श्री सिंह ने मण्डी समितियों में गोदामों व दुकानों से देय प्रीमियम व किराया एवं यूजर चार्ज के बकाया की समीक्षा की। उन्होंने निदेशक मण्डी को निर्देशित किया कि मण्डी समितियों में गोदामों व दुकानों से अवशेष धनराशि के सम्बन्ध में सभी उप निदेशक (प्रशासन/विपणन) से जानकारी ली जाय तथा पुष्टि करते हुए अवशेष धनराशि को अपडेट किया जाय। मंत्री द्वारा वे-ब्रिज की समीक्षा की गयी। मंत्री ने निर्देशित किया कि जो वे-ब्रिज खराब है उन्हें यथाशीघ्र ठीक कराया जाय।
मंत्री श्री सिंह ने फल-सब्जी मण्डियों में साफ-सफाई रखने के निर्देश दिये। उन्होंने मण्डी के अधिकारियों को निर्देशित किया कि निर्माण कार्य़ों को शुरू करने से पूर्व चयनित स्थलों की अच्छे मानीटरिंग कर ली जाय, जिससे कि निर्माण कार्य समय सीमा में पूर्ण होने में किसी प्रकार की कठिनाई भविष्य में न आय। उन्होने अधिकारियों को निर्देशित किया कि अन्य विभागों या संस्थाओं के द्वारा मण्डी परिसरों की जो भूमि उपयोग की जा रही है, उसकी समीक्षा की जाय। अन्य विभागों या संस्थाओं के द्वारा मण्डी परिसरों की भूमि उपयोग करने हेतु अनुबन्ध किया जाय। उन्होंने गड्ढा मुक्त अभियान के अन्तर्गत मण्डी परिषद की सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने हेतु सड़कों को श्रेणियों में बांटकर कार्य करने हेतु निर्देशित किया। उन्होने निर्देश दिया कि सम्पर्क मार्ग व हाटपैठ सम्बन्धी कार्य नियमानुसार एवं समयबद्ध रूप से कराया जाय जिससे स्थानीय किसानों को उसका लाभ मिल सके। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए  स्थानीय स्तर पर निर्यात के लिए छोटे-छोटे क्रेता व विक्रेताओं का सम्मेलन किया जाय, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को जानकारी होने के साथ ही निर्यात को बढ़ावा मिल सके।

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