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अखिलेश यादव आज समर्थकों से करेंगे मुलाकात, कांग्रेस गठबंधन को राजी

Will Akhilesh Yadav today met with supporters, persuade Congress
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: देश से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में घमासान का हल निकल गया है. चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के पक्ष में फैसला सुनाया और इसी के साथ साफ हो गया कि समाजवादी पार्टी अब अखिलेशवादी हो गई है. इस बीच अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि वे दिल्ली नहीं आ रहे हैं और जल्द ही लखनऊ में गठबंधन का ऐलान हो जाएगा. ऊधर, कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि यूपी के हित के लिए कांग्रेस सपा से गठबंधन को राजी है.

समर्थकों से मिलेंगे अखिलेश
सपा में बादशाहत का फैसला आने के बाद अखिलेश यादव मंगलवार को लखनऊ में अपने समर्थकों से मिलेंगे. यूपी में 11 फरवरी से 7 चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच घमासान के कारण कंफ्यूजन को दूर कर आगे चुनावी रणनीति में जोड़ने का अभियान शुरू करने पर अब अखिलेश का फोकस होगा.

अखिलेश के पक्ष में चुनाव आयोग का फैसला
पिछले कई हफ्तों से सपा में कब्जे के लिए पिता-पुत्र की लड़ाई में आखिरकार सोमवार को चुनाव आयोग का फैसला आ गया. चुनाव आयोग ने सपा को अखिलेश के हाथों में सौंप दिया. फैसला लेने से पहले चुनाव आयोग पूरे दिन इस मुद्दे पर मंथन करता रहा. चुनाव आयोग ने फैसला लेने से पहले ‘साइकिल’ फ्रीज करने के कानूनी पहलुओं पर भी विचार किया. लेकिन, साइकिल को फ्रीज करने में सबसे बड़ा कानूनी पेंच यह था कि समाजवादी पार्टी में टूट नहीं हुई थी.

‘महागठबंधन’ का फॉर्मूला
अखिलेश के हाथ में सपा की कमान आते ही अब यूपी में महागठबंधन की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं. तमाम दलों ने बीजेपी के खिलाफ अखिलेश की अगुवाई में चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात पहले से ही चर्चा में थी. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस, सपा, जेडीयू, आरजेडी समेत कई यूपी की छोटी पार्टियों को साथ लेकर महागठबंधन बनाने पर भी करीब-करीब आम सहमति बन गई है. हालांकि अभी तक इसकी अनौपचारिक ऐलान नहीं किया गया है.

कांग्रेस को मिल सकती है 103 सीटें
पार्टियों के बीच सहमति के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधानसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 103 सीटें दी हैं, जिस पर कांग्रेस ने भी लगभग हामी भर दी है. इस 103 सीटों में से 89 पर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे जबकि 14 सीटों से कांग्रेस के चुनाव-चिह्न पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले ये फॉर्मूला बिहार में एनडीए ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपनाया था. वहीं आरएलडी को 20 सीटें सपा ने दी है लेकिन अजीत सिंह 28 सीटों की मांग कर रहे हैं और बातचीत जारी है.

और भी कई दल आएंगे साथ
कांग्रेस दबदबे वाले इलाके अमेठी, रायबरेली और सुल्तानपुर में सपा 11 सीटें कांग्रेस को देने के लिए राजी हो गई, क्योंकि यहां गांधी परिवार की पकड़ है. महागठबंधन में कांग्रेस, सपा, आरएलडी, जेडीयू, आरजेडी, संजय निषाद की निषाद पार्टी, महान दल, पीस पार्टी और अपना दल (कृष्ण पटेल की अगुवाई वाली पार्टी) शामिल हैं.

बीजेपी को रोकने की मुहिम
दरअसल बीजेपी को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने ये महागठबंधन का दांव चला है. खबरों की मानें तो खुद अखिलेश की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी 403 सीटों में से 275 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बाकी 128 सीटों पर कांग्रेस, आएलडी समेत बाकी महागठबंधन के घटक दल अपने-अपने उम्मीदवार उतारेंगे.

कभी भी हो सकता है ऐलान
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस नेताओं के बीच पिछले काफी दिनों से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी, और जैसे से चुनाव आयोग अखिलेश यादव की अगुवाई वाली पार्टी को समाजवादी पार्टी करार देते हुए साइकिल चुनाव-चिह्न उनके नाम किया, दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का रास्ता साफ हो गया.

लालू, ममता कर सकते हैं प्रचार
बीजेपी के खिलाफ सेकुलर फ्रंट बनने की स्थिति में यूपी में अखिलेश के पक्ष में कई विपक्षी नेता प्रचार कर सकते हैं. लालू यादव और ममता बनर्जी अखिलेश के पक्ष में प्रचार कर सकते हैं. नीतीश को भी न्योता भेजा जा सकता है.

साभार आजतक

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