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प्रदेश में कम वर्षा तथा खरीफ फसल की बुआई की अद्यतन स्थिति के संबंध में बैठक करते हुएः सीएम

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में वर्षा तथा खरीफ फसल की बुआई की अद्यतन स्थिति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम प्रारम्भ हो जाता रहा है, जो कि 15 सितम्बर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मानसून सामान्य नहीं है। सामान्य वर्षा न होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई का कार्य प्रभावित हुआ है। हालांकि 19 जुलाई के बाद हुई बरसात से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के अन्तर्गत 13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष आज 01 अगस्त तक 81.49 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का 84.8 प्रतिशत ही है। गत वर्ष इसी तिथि तक 91.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई हो चुकी थी। मौसम वैज्ञानिकों के आकलन के अनुसार अगस्त और सितम्बर में वर्षा की स्थिति सामान्य रहेगी। 15 जिले ऐसे हैं, जहां लक्ष्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत से कम बुआई हुई है। इनकी परिस्थिति पर सतत नजर रखी जाए। प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ-साथ सरकार द्वारा नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया गया है। रामपुर ऐसा जिला है, जहां सामान्य की तुलना में मात्र 18 प्रतिशत बरसात ही हुई लेकिन अब तक यहां 98 प्रतिशत फसल की बुआई हो चुकी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार हर परिस्थिति के लिए तैयार है। कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बन्धित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में बरसात और खरीफ फसल बुआई की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तत्काल भारत सरकार को भेजी जाए। एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों में कृषि फसलों की मैपिंग कराकर फसल बुआई का विवरण तैयार कराया जाए।
बैठक में अवगत कराया गया कि इस वर्ष 31 जुलाई तक प्रदेश में कुल 191.8 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो कि वर्ष 2021 में हुई 353.65 मिलीमीटर और वर्ष 2020 में हुई 349.85 मिलीमीटर वर्षा के सापेक्ष कम है। इस बीच एकमात्र आगरा जनपद ऐसा रहा जहां सामान्य (120 प्रतिशत से अधिक) वर्षा हुई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन परिस्थितियों में सभी किसान भाइयों से संवाद-सम्पर्क बनाए रखा जाए। प्रदेश सरकार सभी किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पित है। जरूरत के अनुसार किसानों को हर सम्भव सहायता दी जाएगी, एक भी किसान का नुकसान नहीं होने देंगे।
जनपद फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, लखीमपुर खीरी, औरैया, चित्रकूट, प्रतापगढ़, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य बरसात (80 प्रतिशत से 120 प्रतिशत) और मथुरा, बलरामपुर, ललितपुर, इटावा, भदोही, अम्बेडकरनगर, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर, कन्नौज, जालौन, मेरठ, सम्भल, सोनभद्र, लखनऊ, सहारनपुर और मिर्जापुर में सामान्य से कम (60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत) वर्षा हुई है। प्रदेश में 30 जनपद ऐसे हैं, जहां सामान्य से 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक ही वर्षा दर्ज की गई है। जबकि 19 जनपदों में 40 प्रतिशत से भी कम बरसात हुई है। इन जिलों में खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।
कानपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, गोण्डा, मऊ, बहराइच, बस्ती, संतकबीरनगर, गाजियाबाद, कौशाम्बी, बलिया, श्रावस्ती, गौतमबुद्धनगर, शाहजहांपुर, कुशीनगर, जौनपुर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद और रामपुर जिले में सामान्य की तुलना में मात्र 40 प्रतिशत बरसात हुई है। इन जिलों पर विशेष ध्यान रखा जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्षा मापन अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सरकार की अनेक नीतियां इसके आकलन पर निर्भर करती हैं। वर्तमान में तहसील स्तरों पर रेन गेज यानी वर्षा मापक यंत्र लगाए गए हैं। इन्हें विकास खण्ड स्तर पर लगाये जाने की कार्यवाही की जाए। अधिकाधिक वर्षा मापक यंत्रों से वर्षा की और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। अगले चरण में इसे न्याय पंचायत स्तर पर विस्तार दिया जाने की तैयारी की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मौसम का सही अनुमान जनजीवन के व्यापक हित को सुरक्षित करता है। अधिक सटीक अनुमान और तदनुरूप मौसम अलर्ट के लिए कमिश्नरी स्तर पर यंत्र स्थापित किए जाएं। इस कार्य में राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की सहायता भी ली जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। राजस्व एवं राहत, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण, भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण आदि से सतत संवाद-सम्पर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को मौसम की सही जानकारी देने के लिए राज्य स्तर पर पोर्टल विकसित किया जाए। इसी प्रकार, फसल बुआई की विस्तृत जानकारी के लिए डेटा बैंक तैयार किया जाए। किसान की उन्नति के लिए नीति-निर्धारण में यह डेटा बैंक उपयोगी सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0/पी0ए0सी0 तथा आपदा प्रबन्धन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबन्धन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए। नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबन्ध समय से कर लें। बाढ़/अतिवृष्टि से पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य तेलों की जरूरत के सापेक्ष दलहन का उत्पादन 40-45 फीसदी है। दलहन के उत्पादन को मांग के अनुरूप बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाना होगा। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में इसकी अपार सम्भावनाएं हैं। भारत सरकार भी इसके लिए सहयोग कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नदियों की ड्रेजिंग के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। इसे आगे भी जारी रखा जाए। नदियों के चैनलाइजेशन के लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना बना लेनी चाहिए। चैनलाइजेशन के काम और तेज करने की जरूरत है। नदियों की ड्रेजिंग से निकली उपखनिज बालू/सिल्ट की नीलामी में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। बालू नीलामी के कार्य का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विन्ध्य और बुन्देलखण्ड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे। पेयजल के लिए वन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाये रखंे। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निराश्रित गोवंश के समुचित व्यवस्थापन के लिए राज्य सरकार नियोजित प्रयास कर रही है। वाराणसी में गोबरधन योजना आज गो-पालकों की आय संवर्धन का बेहतरीन माध्यम बन कर उभरा है, इसी प्रकार, बदायूं में गाय के गोबर से पेण्ट बनाने का अभिनव कार्य हो रहा है। हमें निराश्रित गोवंश के प्रबन्धन का मॉडल तैयार करना होगा। प्रदेश के सभी निराश्रित गौ-आश्रय स्थलों की व्यवस्था का भौतिक परीक्षण कराया जाए। ज्वाइण्ट डायरेक्टर/एडिशनल डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों को जिलों में भेजा जाए। इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप जैव ईंधन यानी बायोफ्यूल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। प्रदेश में बायोफ्यूल की इकाई की स्थापना के लिए केन्द्र सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा। ऐसे में बिना विलम्ब प्रदेश का प्रस्ताव भेज दिया जाए।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं श्री ब्रजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, राजस्व राज्य मंत्री श्री अनूप प्रधान ‘वाल्मीकि’, मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र (वर्चुअल माध्यम से), कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, पुलिस महानिदेशक श्री देवेन्द्र सिंह चौहान, अपर मुख्य सचिव पशुपालन डॉ0 रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत कुमार सहगल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री प्रशान्त त्रिवेदी, प्रमुख सचिव राजस्व श्री सुधीर गर्ग, प्रमुख सचिव खाद्य एवं आपूर्ति श्रीमती वीना कुमारी मीना, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव सिंचाई श्री अनिल गर्ग सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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