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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री को पत्र के माध्यम से उत्तराखण्ड के शेष बजट पर शीघ्र कार्यवाही करने का अनुरोध किया

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार ने बताया है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित पत्र के माध्यम से उत्तराखण्ड के शेष बजट पर शीघ्र कार्यवाही का अनुरोध किया है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि उत्तराखण्ड विधानसभा में दिनांक 18 मार्च, 2016 को रू. 40422.20 करोड़ का आय-व्ययक तथा विनियोग विधेयक पारित हुआ जिसे श्री राज्यपाल ने राष्ट्रपति जी को भेज दिया। इस मध्य दिनांक 28 मई, 2016 को भारत के राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त होने के अनुक्रम में उत्तराखण्ड विनियोग(लेखानुदान) अधिनियम, 2016 प्र्रख्यापित किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत मात्र रू. 13642.4385 करोड़ के आय व्ययक को पारित किया गया एवं इसकी समय सीमा 31 जुलाई, 2016 तक ही है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री से यह भी अनुरोध किया है कि उत्तराखण्ड राज्य को शेष रू. 26779.7615 करोड़ के बजट का समय पर उपयोग करने का अधिकार मिल सके तथा उत्तराखण्ड के विकास कार्य निर्बाध रूप से चलते रहें, इस क्रम में उनके द्वारा 27 मई, 2016 को प्रेषित पत्र द्वारा श्री राज्यपाल से निवेदन किया तथा इस पत्र की एक प्रति गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भी प्रेषित की गई है। किन्तु दिनांक 15 जून, 2016 तक इस सम्बन्ध में न तो श्री राज्यपाल के निर्देश प्राप्त हुए और न ही गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कोई मार्गदर्शन दिया गया है। ऐसी परिस्थिति में उनके पास दो विकल्प है, मा. न्यायालय द्वारा प्रकरण में विनिश्चय प्राप्त करना अथवा उत्तरखण्ड की विधानसभा में पुनः इस विषय को मतदान हेतु प्रस्तुत करना। उन्होंने कहा कि इन दोनों विकल्पों में यह संशय है कि भारत के संविधान मंे प्रदत्त केन्द्र एवं राज्यों के सम्बंध तथा भारत के संघीय ढ़ांचे की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो सकते है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि आप स्वयं राज्यों के अधिकारों तथा संघीय ढांचे की मर्यादाओं के समर्थक तथा पोषक रहे है। गणतन्त्र में ऐसे विवादों को आप उत्पन्न नहीं होने देना चाहते है। यदि इस प्रकार के विवाद कहीं उत्पन्न हो रहे है तो आप निश्चित ही उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन देकर सुलझाना चाहेंगे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है ताकि संविधान के अनुच्छेद 200/207 के अंतर्गत दिनांक 18 मार्च, 2016 को उत्तराखण्ड विधान सभा में पारित आय-व्ययक तथा विनियोग विधेयक को सक्षम स्तर से ससमय अनुमति मिल सके।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय लोकतन्त्र में अनेक ऐसे दौर आये है जब राजनीति तथा शासन की दिशायें आरोप-प्रत्यारोप के भंवर में फंसी है। यह हमारा सौभाग्य है कि भारत का लोकतन्त्र हमेशा ऐसे संक्रमण काल में और अधिक मजबूत होकर सम्मानित हुआ है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार से उत्तराखण्ड भारत के 100वें हिस्से से भी छोटा है। इस छोटे सीमावर्ती पर्वतीय राज्य के प्रमुख सेवक के रूप में उनका दायित्व है कि भारतीय लोकतंत्र के सर्वाेंच्च व्यक्ति से राज्य के हितों की रक्षा के लिये निवेदन कर सकूं।

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