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उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चैधरी द्वारा एक्सप्रेस-वे पर परिक्रमा वृतान्त

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: नवम्बर 2016 को उत्तर प्रदेश में विकास यात्रा की एक नई और ऐतिहासिक महत्व की पटकथा लिख दी गई है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार ने 21 नवम्बर 2016 को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के रुप में जो सौगात सौंपी है वह अपनी पृष्ठभूमि में शेरशाह सूरी, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक की गाथांए समेटे हैं। उत्तर प्रदेश में इन गाथाओं में जो स्वर्णिम पृष्ठ जोड़ा गया है उसके पीछे मुख्यमंत्री जी का दूरदर्शी सोच, प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की ललक और कुशल नेतृत्व की छाप है जो जनमन पर दिन प्रतिदिन गहरी होती जा रही है।
देश का सबसे लंबा 302 किमी ग्रीनफील्ड 6 लेन एक्सप्रेस वे के निर्माण से लखनऊ से आगरा की दूरी लगभग साढ़े तीन घंटे और उससे आगे दिल्ली तक की दूरी पाँच से छह घंटे में तय की जा सकेगी। 23 महीनों में इस महत्वाकांक्षी योजना को 20000 मजदूरों, 1500 कुषल श्रमिकों, 1000 इंजीनियर और 3000 मशीनों ने पूरा कर कमाल किया है। सबसे बड़ी बात तो यह कि इस एक्सपे्रस वे के लिए 6 महीने में 3500 हेक्टेयर भूमि 30000 किसानों से ली गई जिसके विरोध में कहीं एक स्वर भी नही उठा बल्कि और भी गाँवों के किसान जमीन देने के इच्छुक थे।
इस एक्सप्रेस वे के उद्घाटन के समय दर्शक रोमांचित हो उठे जब भारतीय वायुसेना के विमानों ने भी बांगरमऊ खबौली (उन्नाव) में बनाए गए एयरस्ट्रिप पर लैंडिंग की। एक्सप्रेस वे पर लड़ाकू जहाज उतरने की व्यवस्था हो यह अखिलेश जी का सपना था। वे इसे बहुउद्देशीय बनाना चाहते थे। इस अवसर पर एयर मार्शल सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जिस एक्सपे्रस वे योजना को धरती पर उतारा है उसका महत्व इससे समझा जा सकता है कि सड़क को विकास यात्रा का माध्यम बनाने में शेरशाह सूरी, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक का नाम भी लिया जाता है। इन सबने जनता की सुविधा के लिए सड़कों के निर्माण पर बल दिया था। शेरशाह सूरी की गैंड टंªक रोड की प्रसिद्धि तो दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लंबे मार्गो में है। वर्तमान बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमाओं को छूती यह सड़क चटगाँव से प्रारंभ होकर लाहौर होते हुए काबुल तक जाती है। मौर्य साम्राज्य में उत्तर पथ नाम से आठ चरणों में निर्मित राजमार्ग पेशावर, तक्षशिला, कन्नौज, पाटलिपुत्र और ताम्रलिप्त के शहरों को जोड़ने का काम करता था।
इतिहास में दर्ज विकास के मील के पत्थरों का उल्लेख दो दृष्टियों से आवश्यक है कि मौर्य और मुगल साम्राज्यांे के समय जनसंख्या आज के उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ की कुल आबादी से भी बहुत कम रही होगी। ऐसे में आगरा-लखनऊ एक्सपे्रस वे और आगे बनने वाजे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की उपयोगिता को सहज ही समझा जा सकता है। कभी कन्नौज तो कभी आगरा और दिल्ली मुगलों की राजधानी रही अब जिस एक्सप्रेस वे को जमीन पर उतारा गया है उसकी परिधि में लखनऊ से दिल्ली तक के सभी महत्वपूर्ण स्थल है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के किनारे किसानों के लिए मंडिया स्थापित होगी। स्मार्ट सिटी, लाजिस्टिक पार्क और फिल्म सिटी भी प्रस्तावित है। आगे एक्सेप्रेस वे को 8 लेन का भी बनाया जा सकता है। एक्सप्रेस वे पर प्राकृतिक आपदा अथवा युद्ध की स्थिति में लड़ाकू विमान उतर सकेंगे। इससे पर्यटन बढ़ेगा। माल ढुलाई आसान होगी।
एक्सप्रेस वे के जरिए हजरतगंज से ताजगंज और दरियागंज के लाल किला तक विकास का रास्ता प्रशस्त हुआ है। एक्सप्रेस वे के सन्दर्भ में एक घटना का उल्लेख और करंेगे। मुख्यमंत्री जी ने इसके साथ ही यमुना एक्सप्रेस वे का भी उद्घाटन किया। इस रास्ते पर जब नोएडा से साइकिल यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री जी को जाने से रोक दिया गया था तब बसपा राज था और अखिलेश जी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने ही इसी एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया। इतिहास चक्र की यह गति शायद इसी तरह चलती है।
विकास की इस महायात्रा का मुख्यमंत्री जी द्वारा मुख्य अतिथि नेताजी के साथ उद्घाटन किया गया, जिन्होंने विकास कार्यो के लिए श्री अखिलेश यादव की प्रशंसा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। मुख्यमंत्री जी अपने विकास रथ से लखनऊ से 70 किमी दूर उन्नाव जिले में बांगरमऊ क्षेत्र के खबौली गाँव में पहुँचे जहाँ एक्सप्रेस वे का लोकार्पण होना था। रथ में उनके तीनों बच्चे, कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चैधरी, सांसदगण धमेन्द्र यादव, अक्षय प्रताप यादव तथा तेज प्रताप यादव भी थे।
एक्सप्रेस वे के लोकार्पण के लिए मुख्यमंत्री जी जब विकास रथ से निकले तो जगह-जगह सड़क के दोनो ओर और कार्यक्रम स्थल पर किसानों, नौजवानों तथा कार्यकर्ताओं की उत्साह से लबरेज भीड़ मौजूद दिखी। इनमें बच्चे, महिलांए, युवा तथा अल्पसंख्यक भी बड़ी संख्या में थे। ऐसा लग रहा था जैसे किसानों के लिए वहाँ कोई उत्सव का अवसर था। रबी की बुवाई में लगे किसान भी मुख्यमंत्री जी को आशीर्वाद दे रहे थे। हर जगह अखिलेश जी को दुबारा मुख्यमंत्री बनाने के नारे लग रहे थे। विकास रथ के साथ हजारों नौजवान एक किमी तक दौड़ते रहे। मुख्यमंत्री जी ने इसपर ड्राइवर से रफ्तार 60 किमी प्रतिघंटा रखने को कहा। यद्यपि हाईवे पर यह रफ्तार 160 किमी प्रतिघंटा भी हो सकती थी।
मुख्यमंत्री जी का मानना रहा है कि गति दुगुनी होने से आर्थिक प्रगति तीन गुना होती है। वैसे भी आर्थिक विकास में सड़कों की बड़ी भूमिका होती है। विकास की दौड़ बिना रफ्तार के जीती नही जा सकती है। श्री अखिलेश यादव इसी सोच के साथ उस सपने को पूरा करने में लगे हैं जो कभी चैधरी चरण सिंह ने देखा था। गाँव की खुशहाली और किसानो की तरक्की का रास्ता भी मुख्यमंत्री जी ने अपने आर्थिक नीतियों से बनाया है।
जब वे लखनऊ आगरा-एक्सपे्रस वे पर थे उनकी नजर बैलों से खेत की जुताई कर रहे एक किसान पर पड़ी। थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिले वे इसके लिए चिंतित हैं। वस्तुतः वे इस मत के है कि जनता को ज्यादा से ज्यादा सुख सुविधांए पहुँचाना सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने अपने सभी चुनावी वादे पूर कर दिए हैं और जनकल्याणकारी योजनाओं से शानदार रिकार्ड बनाया है। कथनी और करनी के अंतर को मिटाया गया है। विकास और जन सामान्य के लिए अपनी प्रतिबद्धता की श्री अखिलेश यादव स्वंय एक अनोखी मिषाल है। बड़ा सपना बड़ेमन का इंसान ही देख सकता है पर सपने को हकीकत में बदलने के लिए दृढ़ साहस, संकल्प चाहिए। आम नागरिक अखिलेश जी में यह क्षमता देखता है।
अजीब बात है कि प्रदेश के विकास के लिए किए गए इन कार्यो की विपक्ष पूरी तरह अनदेखी करता है और विरोध के लिए नकारात्मक राजनीति करता है। लोकतंत्र में यह नाकारात्मक विपक्ष को अविश्वनीय बनाती है। श्री अखिलेश ने जो काम किए हैं उनकी प्रशंसा दूसरे राज्यों में भी हो रही है। विपक्ष के कुछ नेता उनसे चिढ़कर झूठे बयान देते हैं।
उत्तर प्रदेश में जनजीवन में बदलाव की जिस प्रक्रिया का शुभारंभ श्री अखिलेश यादव ने किया हैं वह अब निरन्तर और शाश्वत बनी रहेगी। सरकारों की जवाबदेही जनता के प्रति होती है। विकास की गति कभी थमने वाली नही है। उसका अभियान सतत चलते रहना चाहिए। अखिलेश जी का एजेंडा समग्र और संतुलित विकास का है। कृशि अर्थव्यवस्था के साथ आधुनिक अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार की जो नींव श्री अखिलेश यादव ने रखी हैं, वह इतिहास की नयी इबारत लिखेगा।

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