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पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के बीच निकटता और अधिक आर्थिक सहयोग का अवसर उपलब्ध कराती है: श्री गोयल

देश-विदेश

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण एवं कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को मेक इन इंडिया के लिए आमंत्रित किया तथा कहा कि दोनों देशों के स्टार्टअप्स को निश्चित रूप से एक दूसरे के साथ और अधिक जुड़ना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि ऑस्ट्रेलिया के पास बेमिसाल नवोन्मेषण तथा अनुसंधान एवं नए विचार हैं और भारत के पास इन्हें दुनिया भर में ले जाने के लिए प्रतिभा का समूह है।

यह उम्मीद व्यक्त करते हुए कि भारत में ऑस्ट्रेलिया से तेज गति से निवेश का प्रवाह होगा, उन्होंने कहा कि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों के बीच संबंधों के विस्तार में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

आज पर्थ में उप प्रधानमंत्री श्री रोजर कूक की मेजबानी में आयोजित बिजनेस लंच में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने कहा, ‘‘ इस क्षेत्र तथा भारत के बीच निकटता और अधिक आर्थिक सहयोग का अवसर उपलब्ध कराती है। ‘‘

रणनीतिक साझीदारियों का निर्माण करने की भारत की कोशिश की चर्चा करते हुए श्री गोयल ने कहा कि भारत क्वाड तथा सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (एससीआरआई) का एक हिस्सा बन गया है। उन अराजकताओं का उल्लेख करते हुए जिन्होंने विश्व के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया है, श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि दो मजबूत लोकतंत्र, साझा समृद्धि के लिए एक साथ मिल कर काम कर रहे दो मित्र, एक दूसरे पर भरोसा करते हुए, एक दूसरे में विश्वास जताते हुए एकजुटता का एक मजबूत संदेश भेजेंगे, दुनिया को ‘ एकता ‘ का संदेश देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ एक साथ मिल कर हम अपने भू-राजनैतिक उपस्थिति को और मजबूत बनाएंगे तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र को शांति, समृद्धि, स्थिरता, सद्भाव तथा विकास के क्षेत्र के रूप में बनाये रखने के लिए एक साथ मिल कर काम करेंगे। ‘‘

श्री गोयल ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग तथा व्यापार समझौता ( इंड-ऑस ईसीटीए ) दोनों देशों के बीच के संबंध को नई ऊंचाई तक ले जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस सहयोग तथा मित्रता की भावना के साथ बातचीत हुई, वह वास्तव में उल्लेखनीय है।

शिक्षा, अनुसंधान, नवोन्मेषण, प्रौद्योगिकी, विनिर्माण आदि जैसे समझौते के तहत आने वाले फोकस क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने अंतरिक्ष क्षेत्र तथा निर्वहनीयता में ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की अपील की।

इस पर टिपप्णी करते हुए कि चुनौतीपूर्ण समय होने के बावजूद, दोनों देशों के बीच रिश्ते पहले से और अधिक प्रगाढ़ होते जा रहे हैं, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लोगों के प्रति उस प्रेम तथा देखभाल के लिए कृतज्ञता जताई जो वहां के निवासियों ने भारतीय मूल के लोगों को प्रदान किया जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया  को अपना घर बना लिया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इसने सही तरीके से दोनों देशों के बीच के भाईचारे को परिभाषित किया।

अपनी यात्रा के दौरान किए गए सार्थक सहयोगों की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को संदर्भित किया और कहा कि ‘ यह एकता ( ईसीटीए ) हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और हमारी अर्थव्यवस्थाओं के पास एक दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए असीम क्षमताएं हैं। ‘ उन्होंने विचार व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री के विजन में स्पष्ट रूप से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच का सहयोग परिलक्षित हुआ।

श्री गोयल ने समझौते को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया जो कई बहु-क्षेत्रवार संबंधों के विकास में योगदान देगा। उन्होंने कहा, ‘‘ यह लंबी यात्रा के लिए उठाया गया एक छोटा कदम है और मुझे उम्मीद है कि यह यात्रा कोई छोटी यात्रा नहीं होगी बल्कि मैराथन साबित होगी। ‘‘

इसका उल्लेख करते हुए कि भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए एक बहुत संतुलित तथा निष्पक्ष, न्यायसंगत समझौता है जिसने सभी के लिए अवसर प्रदान किया है, श्री गोयल ने कहा कि ईसीटीए के साथ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक ले जाना संभव है। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि भारत में जीवन की बेहतर गुणवत्ता की उम्मीद करने वाली एक बड़ा आकांक्षी आबादी है जो उसी प्रकार की समृद्धि का अनुभव करने की आशा करती है जिसका आनंद विश्व के बड़े हिस्से में लोग उठाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा अवसर है जो ऑस्ट्रेलिया के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें एक दूसरे की संवेदनशीलताओं, समृद्धि, बाजार के आकार आदि के संदर्भ में स्थिति का सम्मान करते हुए एक दूसरे के साथ मिल कर काम करना जारी रखना चाहिए। ‘‘

समझौते के तहत निर्धारित 45 बिलियन डॉलर के आरंभिक द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों तथा समुदायों के साथ मिलने जुलने तथा आर्थिक सहयोग के लिए असीम अवसरों की संभावना का बोध करते हुए, वह इस बढ़े हुए लक्ष्य को अर्जित करने के प्रति आश्वस्त हैं।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि यह संबंध भारतीयों तथा ऑस्ट्रेलिया के लोगों के लिए बहुत ही स्वाभाविक है जो हमेशा से स्वाभाविक साझीदार रहे हैं। उन्होंने स्मरण दिलाया कि एक समय दोनों ही देश एक दूसरे से भौगोलिक रूप से सटे हुए थे। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही राष्ट्रमंडल, जीवंत लाकतंत्रों के सदस्य हैं जो कानून के शासन, पारदर्शी सरकारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने क्रिकेट के लिए साझा प्रेम की भी चर्चा की दोनों देशों के लोगों को एक साथ और अधिक करीब लेकर आया।

श्री गोयल ने कहा कि भारत की तथा ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्थाएं मुश्किल से एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं और उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं बहुत सुंदर तरीके से एक दूसरे का सहयोग करती हैं। इस परस्पर सहयोगों का कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि भारत में वस्त्र या परिधान के लिए बुने हुए ऑस्ट्रेलिया के भेड़ ऊन, विश्व के लिए एक उत्कृष्ट प्रस्तुति होगी और ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय जनसंख्या, विशेष रूप से युवाआं की असीम क्षमता तथा कौशल का लाभ उठा सकता है। यह देखते हुए कि ऑस्ट्रेलिया विश्व के बड़े हिस्से में कच्चे माल तथा मध्यवर्ती उत्पादों का प्रदात्ता रहा है, श्री गोयल ने कहा कि भारत अपनी विशाल, कुशल श्रम शक्ति का उपयोग कर इन्हें परिष्कृत उत्पादों में परिवर्तित कर सकता है। तथा दुनिया की सेवा कर सकता है।

बाद में, पर्थ में पर्यटन समारोह के दौरान मुख्य भाषण देते हुए श्री गोयल ने कहा कि शिक्षा को भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच साझीदारी में एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में होना चाहिए। उन्होंने एक दूसरे की शिक्षा प्रणाली को परस्पर मान्यता देने, प्रौद्योगिकी की सुविधा को दोनों ही देशों के छात्रों तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने तथा दोहरी डिग्री हासिल करने के तरीकों की खोज करने की अपील की।

श्री गोयल ने यह भी कहा कि ईसीटीए को दोनों ही देशों के लोगों तथा मीडिया के बीच भारी समर्थन तथा सहयोग प्राप्त हुआ है। पृथ्वी के दुर्लभ खनिज अवयवों में ऑस्ट्रेलिया के प्रतिस्पर्धी लाभ का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने कहा कि यह आने वाले समय में बहुत ही महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां बेहतर भविष्य की आकांक्षा करने वाली एक विशाल युवा कुशल जनसंख्या है, प्रौद्योगिकी को फलने-फूलने तथा लाखों रोजगार सृजित करने में सहायता कर सकते हैं।

वाका के मैदान को क्रिकेट के मक्का के रूप में संदर्भित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि हालांकि भारत और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में आपस में जम कर मुकाबला करते हैं, लेकिन खेल के प्रति प्रेम ने वास्तव में दोनों देशों को एक दूसरे के करीब ला दिया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट दोनों देशों के लोगों को अधिक करीब लाया तथा जब तक लोग एक दूसरे के निकट नहीं आएंगे, व्यवसाय फल-फूल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि एक स्तर पर नेता संबंध के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन इसके लिए अंतर्निहित और विशिष्ट बात है कि लोग एक साथ मिल कर काम करें, एक दूसरे का विश्वास करें तथा मिलन के साथ पनपने वाली मित्रता का आनंद लें।

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