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हनी मिशन प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करता है; पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 700 मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया गया

देश-विदेश

नई दिल्ली: खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने अपने प्रमुख “हनी मिशन” कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी कामगारों को स्थानीय रोजगार का अवसर उपलब्ध कराकर “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। एमएसएमई राज्य मंत्री, श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने आज उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों के 70 प्रवासी कामगारों के बीच 700 मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया और इस प्रकार से उन्हें हनी मिशन के अंतर्गत आजीविका का अवसर प्रदान किया।

 ये प्रवासी कामगार- सहारनपुर के 40 और बुलंदशहर के 30 – कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों से अपने गृहनगर लौट आए थे, और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे। प्रधानमंत्री द्वारा “आत्मनिर्भर भारत” के लिए किए गए आह्वान के बाद, केवीआईसी ने इन कामगारों की पहचान की, उन्हें मधुमक्खी पालन के लिए 5 दिनों का प्रशिक्षण प्रदान किया और मधुमक्खी पालन गतिविधियों को शुरू करने के लिए उन्हें आवश्यक टूल किट और मधुमक्खी बक्से प्रदान किए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समस्त क्षेत्र, वनस्पतियों की बहुतायत के साथ, जिसमें विभिन्न प्रकार की फसलें शामिल हैं, शहद उत्पादन के लिए आदर्श क्षेत्र है। केवीआईसी प्रशिक्षण केंद्र, पंजोकेरा में मधुमक्खी के बक्सों का वितरण किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री सारंगी ने इस पहल की सराहना की और कहा कि मधुमक्खी पालन में इन कामगारों को शामिल करने से स्थानीय रोजगार का सृजन होगा; यह भारत के शहद उत्पादन को बढ़ावा देने में भी योगदान करेगा जो कि हनी मिशन का मुख्य उद्देश्य है। मंत्री ने कहा कि “यह एक बड़ी पहल है। प्रवासी कामगारों को उनके दरवाजे पर रोजगार का अवसर प्रदान करने से वे आत्मनिर्भर बनेंगे।”

इस अवसर पर उपस्थित, केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि मधुमक्खी पालन में प्रवासी कामगारों को शामिल करना, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर ‘आत्मनिर्भरता’ के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के साथ एक प्रकार से संरेखण है। “मधुमक्खी पालन से न केवल भारत में शहद उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इससे मधुमक्खी पालकों की आय में भी वृद्धि होगी। इसके अलावा, मधुमक्खी मोम, पराग, गोंद, शाही जेली और मधुमक्खी का विष जैसे उत्पाद भी बाजार में उपलब्ध हैं और इसलिए, स्थानीय लोगों के लिए यह एक लाभदायक प्रस्ताव है।”

प्रवासी कामगारों, जिन्हें मधुमक्खी के बक्से और टूल किट उपलब्ध कराए गए, ने सरकारी सहायता पर खुशी व्यक्त किया और अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें अब अन्य राज्यों में नौकरियों की तलाश करने के लिए अपना घर छोड़कर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। कर्नाटक से अपने गृहनगर सहारनपुर लौटने वाले अंकित कुमार ने कहा कि वे लॉकडाउन में बेरोजगार हो गए थे। हालांकि, केवीआईसी  द्वारा समर्थन प्रदान किए जाने के साथ ही उन्हें अब स्वरोजगार फिर से प्राप्त हो गया है। महाराष्ट्र में काम करने वाले एक अन्य प्रवासी कामगार मोहित ने बताया कि अब उन्हें दूसरे शहरों में नौकरी की तलाश करने के कारण अपने परिवार को छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा और हनी मिशन से जुड़कर वे अपने लिए बेहतर आजीविका का निर्माण कर सकेंगे।

यह बात ध्यान देने योग्य है कि, केवीआईसी द्वारा 3 वर्ष पहले शुरू किए गए हनी मिशन का उद्देश्य किसानों, आदिवासियों, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को मधुमक्खी पालन में शामिल करके रोजगार के अवसर उत्पन्न करना और भारत में शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है। अब तक केवीआईसी ने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में 1.35 लाख से ज्यादा मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया है। इसके कारण देश भर में 13,500 लोगों को फायदा पहुंचा है जबकि लगभग 8,500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ है।

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