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सरकार प्रति दिन देश में सूखे की स्‍थिति का करीब से जायजा ले रही है

देश-विदेश

नई दिल्ली: देश में लगातार दो वर्ष बहुत कम वर्षा हुई हैं के बारे में बताते हुए केन्द्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा की स्‍थिति की गंभीरता को समझते हुए अप्रैल, 2015 में भारतीय मौसम विभाग द्वारा मानसून के बार में की गई भविष्‍यवाणियों के फौरन बाद भारत सरकार ने राज्‍य सरकारों के सहयोग से सूखे के प्रभाव को कम करने के प्रयोजनार्थ तेजी के साथ एक बहुआयामी कार्यक्रम शुरू किया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने आज यहाँ सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दी। यह निम्नलिखित हैं,

  • राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों, राज्य सरकारों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि अनुसन्धान परिषदों के सहयोग से केंद्रीय अनुसंधान कृषि शुष्‍क भूमि संस्‍थान (सीआरआईडीए) ने कृषि संबंधी उत्‍पादन को कायम रखने के लिए स्‍थान विशिष्‍ट योजनाओं को कार्यान्‍वित करने के प्रयोजनार्थ 600 जिलों के लिए एक आकस्‍मिकता योजना बनाई गई। राज्‍य सरकारों के साथ साप्‍ताहिक वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वर्षा की किस्‍मों, बीजों की आपूर्ति, सूखें के प्रभाव और अन्‍य संबंधित समस्‍याओं पर विचार विमर्श किया गया। फसल मौसम निगरानी समूह की भी साप्‍ताहिक बैठकें की गई। सूखा प्रतिरोधक बीजों और कम पानी द्वारा सघन फसलों से संबंधित बीजों की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराई गई।
  • राज्‍यों ने मृदा और नमी संरक्षण, सूक्ष्‍म सिंचाई और भू-जल रिचार्ज जैसे विभिन्‍न कदम उठाए। दो लगातार सूखाग्रस्‍त वर्षों के बावजूद इन प्रयासों से यह सुनिश्‍चित हुआ कि देश में समग्र कृषि उत्‍पादन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। परिणामतः 2014-15 की तुलना में 2015-16 में ज्यादा सूखा होने के बावजूद द्वितीय अग्रिम अनुमान के अनुसार ज्यादा उत्पादन अनुमानित है।
  • राहत मानक में परिवर्तन 

      किसान सहायता के लिए वर्षों से चले आ रहे नियमों में भी बदलाव कर मुआवजे में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोत्‍तरी की गई ।

      8 अप्रैल, 2015 को हमारी केन्‍द्र सरकार ने राहत के मापदंड में बहुत बड़ा बदलाव किया और राज्‍यें को दी जाने वाली राशि में इसकी वजह से ही बहुत अधिक वृद्धि हुई है ।  अब 33 प्रतिशत नुकसान होने पर भी किसानों को राहत दी जाती है जो पहले 50 प्रतिशत नुकसान होने पर ही अनुमान्‍य हुआ करती थी । 

  • राज्‍य आपदा कोष

      राज्‍य आपदा कोष में केन्‍द्र से मिलने वाली राशि में भी भारी बढ़ात्‍तरी की गयी  है ।  मोदी सरकार के सत्‍ता संभालने से पहले 5 वर्षों में 33580.93 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया ।  इसके बाद मोदी सरकार ने वर्ष 2015-16 में इस कोष से राज्‍यों को पांच वर्षों के लिए आवंटन बढ़ाकर 61 हजार 219 करोड़ कर दिया ।

  • राष्‍ट्रीय आपदा कोष से मदद 

     राज्‍य सरकारों ने 2010-11, 2011-12, 2012-13, 2013-14 में राष्‍ट्रीय आपदा कोष से 4 साल में लगभग 1 लाख करोड़ रूपए की मांग की थी और राज्‍यों को 13,762 करोड़ स्‍वीकृत किये गये थे ।  अब वर्ष 2014-15 में राज्‍यों ने मोदी सरकार के समय में राष्‍ट्रीय आपदा कोष से 42 हजार करोड़ रूपए की राशि मांगी ।  हमारी सरकार ने 9017.99 करोड़ रूपए से ज्‍यादा की राशि आवंटित की ।  वर्ष 2015-16 में भी राज्‍यों को राष्‍ट्रीय आपदा कोष में 13773.34 करोड़ रूपए स्‍वीकृत किए जा चुके हैं । यदि एक उत्तर प्रदेश का उदाहरण लिया जाय तो 2009-10 एवं 2013-14 में कुल 785 करोड़ की मदद दी गई जबकि 2014-15 एवं 2015-16 में कुल 4200 करोड़ की मदद दी गई।

भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राकृतिक आपदओं से प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों द्वारा राहत उपाय किये जाने संबंधी दिशा निर्देशों में 50 प्रतिशत से 33 प्रतिशत तक फसल नुकसान मानदंडों में संशोधन किया था। सभी राज्य सरकारों को सुझाव दिया गया था कि वे संशोधित दिशा निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए बैंकों और जिला स्तर की समन्वय समितयों (डीएलसीसी) के सहयोग से आवश्यक कदम उठायें। 15000 करोड़ रूपये से भी अधिक कर्जों को पहले से ही मंजूरी दे दी गई है। बीमा कंपनियों से अनुरोध किया गया है कि बीमा दामों का समय पर भुगतान करें। 13000 करोड़ रूपये से भी अधिक का दावों का या तो भुगतान कर दिया गया है अथवा तेजी से उनका निपटान किया जा रहा है। यह राशि पिछले वर्ष अदा की गई राशि से दुगुनी है। राज्यों से भी अनुरोध किया गया है कि वे रबी मौसम से संबंधित दावों को शीघ्र भेजें।

  • भारत सरकार ने खरीफ 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना नाम से एक नई फसल बीमा योजना बनाई है। इस स्‍कीम के तहत किसानों के लिए अब तक का सबसे कम प्रीमियम रखा गया है एवं कैपिंग हटा दी गई है। यह रबी के लिए 1.5 प्रतिशत और खरीफ के लिए 2 प्रतिशत है। इस योजना के तहत अब तक गैर-बीमा योग्‍य विभिन्‍न जोखिमों को भी बीमा सुरक्षा दी गई है। इस स्‍कीम के तहत यह लक्ष्‍य रखा गया है कि फसलकृत क्षेत्र में बीमा सुरक्षा को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत  तक कर दिया जाए। 
  • पेयजल: देश में 1.71 मिलियन ग्रामीण बस्‍तियां हैं इन बस्‍तियों में से 25 प्रतिशत से अधिक (441, 390) पेयजल की कमी का सामना कर रहे हैं।

इस समस्‍या का समाधान करने के लिए सरकार ने निम्‍नलिखित प्रयास किए हैं:

  1. 738,650 हैंडपंपों की मरम्‍मत/पुनरूद्धार
  2. गहरे भू-जल जलाशयों तक पहुंच बनाने के प्रयोजनार्थ बोर होलों में 1076961 मीटर राइजर पाइपों का संयोजन

              iii.  1398 अस्‍थायी पाइप वाली जल आपूर्ति स्‍कीमों को बनाना

  1. 15345 बस्‍तियों में टैंकरों के द्वारा जल आपूर्ति
  2. जल आपूर्ति को बढ़ाने के लिए 13372 निजी बोर वेलों को किराय पर लेना
  3. 44498 नए बोर वेलों को लगाना
  • सरकार ने वर्ष 2016/17 के लिए राज्‍यों को पहली किस्‍त के रूप में एआरडीडब्‍ल्‍यूपी 15-16 के  तहत 819.67 करोड़ रूपए दिए हैं। इसके अलावा राज्‍यों से अनुरोध किया गया है कि वे सूखा प्रभावित जिलों में पेयजल की कमी को दूर करने के लिए कार्यक्रम के तहत फ्लैक्‍सी निधि का उपयोग करें।

सरकार प्रति दिन स्‍थिति का करीब से जायजा ले रही है।

  • खाद्य: राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) पहले से ही सभी सूखा प्रभावित राज्‍यों में कार्यान्‍वित कर दिया गया है। राज्‍यों से किए गए अनवरत अनुरोध के कारण एनएफएसए के तहत राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों की संख्‍या गतवर्ष के दौरान 11 से बढ़कर 33 हो गई है। इस समय देश के सूखा प्रभावित राज्‍यों में अवस्‍थित सभी लाभार्थियों को इसका लाभ दिया जा रहा है  हैं। वे एनएफएसए की  निर्धारित दरों पर एनएफएस  के तहत खाद्यान प्राप्‍त कर रहे हैं। महाराष्‍ट्र और कर्नाटक राज्‍यों को उनके द्वारा अनुरोध किए जाने पर अतिरिक्‍त खाद्यान आवंटित किए गए हैं। आवंटन की मात्रा में वृद्धि हो गई है। दोपहर का भोजन स्‍कीम के तहत राज्‍य सरकार द्वारा सूखाग्रस्‍त घोषित किए गए क्षेत्रों में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान हकदार स्‍कूली बच्‍चों का दोपहर का खाना दिए जाने का प्रावधान किया गया है। सूखा प्रभावित अधिकांश राज्‍यों ने अपने सूखा प्रभावित जिलों/क्षेत्रों में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान दोपहर का भोजन दिए जाने के लिए वित्‍तीय अनुमोदन प्राप्‍त कर लिया है(पोषाहारीय आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए)।
  • रोजगार: रोजगार प्रत्‍याभूति को कृषि संबंधी समस्‍याओं का समाधान करने, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में काम की मांगों को पूरा करने और इस दिशा में संपुष्‍ट आय स्रोतों का सृजन करने के लिए संयुक्‍त प्रयासों को सुदृढ़ किया गया है। वर्ष 2015-16 में राज्‍यों से कहा गया था कि वे जहां आवश्‍यक हो और विशेषत: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में इस आश्‍वासन के साथ रोजगार उपलब्‍ध कराएं कि भारत सरकार अपेक्षित संसाधनों को वहां उपलब्‍ध कराएगी।

      इन कार्यक्रमों के तहत निम्‍नलिखित उपलब्‍धियाँ हुई है:-

  1. पिछले वित्‍तीय वर्ष के दौरान (49 दिवस प्रति परिवार) 235 करोड़ व्‍यक्‍ति दिवस सृजित किए गए हैं। जो गत 5 वर्षों के दौरान सबसे ऊंची दर है।
  2. वित्‍तीय वर्ष 2015-16 के दौरान किया गया 42253.35 करोड़ रूपए का व्‍यय कार्यक्रम शुरू होने से लेकर अब तक किया गया सबसे बड़ा व्‍यय है।

             iii.            कृषि से संबंधित कुल खर्च का 63 प्रतिशत से भी अधिक प्राकृतिक संसाधन प्रबंध (एनआरएम) और जल संरक्षण पर ध्‍यान संकेंद्रित करते हुए कृषि और संबधित कार्योंपर किया गया।

      इस हकदारी को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के लिए 100 से बढ़ाकर 150 कार्य दिवस कर दिया गया है। इन क्षेत्रों में 20 लाख से अधिक परिवारों को यह सुविधा प्राप्‍त हुई है तथा उन्‍होंने 100 दिन से अधिक कार्य किया है।

  • वर्ष 2015-16 में प्रारंभ में मनरेगा के तहत 33000 करोड़ रू. आवंटित किए गए थे। इस वर्ष प्रारंभिक आवंटन 38,500 करोड़ रू. है और राज्‍यों से मांग के आधार पर इसमें और भी वृद्धि की जाएगी। 7 अप्रैल, 2016 को मंत्रालय ने सभी राज्‍यों को निदेश दिया कि वे खासकर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में अप्रैल से जून तक कार्य की गति बनाए रखें। सरकार यह सुनिश्‍चित करने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है कि कार्य की मांग को पूरा करने के लिए आवश्‍यक संसाधन उपलब्‍ध कराए जाएंगे।
  • आजीविका: आजीविका में विविधता लाना सूखा संबंधित कार्यनीति का अनिवार्य भाग हैं। दीनदयाल अंत्‍योदय मिशन के तहत सूखा प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्‍येक ब्‍लाक को गहन कार्य के लिए लक्षित किया जा रहा है। इसमें बहुत सी आजीविकाओं के विकास तथा स्‍वावलंबी समूहों के गठन और समर्थन के जरिए जोखिमों को घटाना शामिल हैं।

      ऐसे परिवारों, जिन्‍होंने पिछले दो वर्षों में से किसी एक वर्ष में 100 दिन का रोजगार पूरे किये हैं, के कम से कम 18 लाख युवाओं को परियोजना लाईफ (पूर्ण रोजगार में आजीविका) के जरिए कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  • जल सुरक्षा और सूखे से बचना: समेकित पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्‍ल्‍यूएमपी) के तहत वर्षासिंचित/अवक्रमित क्षेत्रों और बंजर भूमि के विकास के लिए बहुत से कार्यकलाप शुरू किए गए हैं। पनधारा संबंधित कार्यकलापों के लिए वर्ष 2015-16 के दौरान सूखा प्रभावित राज्‍यों को 1,064.23 करोड़ रू. की धनराशि निर्गत की गई है।
  • सरकार ने मानसून अवधि के दौरान प्राप्‍त जल को संरक्षित करने के लिए तथा वर्तमान जल संसाधनों हेतु मांग का बेहतर प्रबंधन करने के लिए कई लघु और मध्‍यावधिक उपाय शुरू करने के लिए प्रभावित राज्‍यों को सलाह देकर मानसून पूर्व तैयारी शुरू की है।
  • उपर्युक्‍त राष्‍ट्रीय कार्यों के अलावा, राज्‍यों ने जिला स्‍तरीय योजनाएं तैयार की है जो पेयजल और चारे की उपलब्‍धता तथा साथ में पशु शिविरों की स्‍थापना और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन के प्रावधान के स्‍थानीय मामलों का समाधान करता हैं। उदाहरण के लिए महाराष्‍ट्र राज्‍य ने जलयुक्‍त शिवार अभियान शुरू किया है जिसमें ग्राम स्‍तरीय योजनाएं तैयार की है ताकि जल सुरक्षा में सुधार करने के लिए जल निकायों का पुनरूद्धार किया जा सकें।

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