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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से प्रदेश के लिए मिट्टी के तेल का आवंटन बढ़ाने का अनुरोध किया

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से उत्तर प्रदेश के लिए मिट्टी के तेल के आवंटन में वृद्धि करने का अनुरोध किया है। उन्होंने राज्य के कुल त्रैमासिक आवंटन को 600936 के0एल0 किए जाने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि भारत सरकार द्वारा पिछले तीन त्रैमासों में मिट्टी के तेल के आवंटन में लगातार कटौती की गई है। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में आज प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।
श्री यादव ने अपने पत्र में इस सम्बन्ध में खाद्य एवं रसद मंत्री श्री कमाल अख्तर द्वारा केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान को 27 अप्रैल, 2016 को भेजे गए पत्र के साथ-साथ स्वयं द्वारा प्रधानमंत्री को 17 जून, 2016 को प्रेषित किए गए पत्र का भी उल्लेख किया है, जिसके माध्यम से प्रदेश में आवश्यकता के अनुरूप मिट्टी के तेल के आवंटन में वृद्धि किए जाने का अनुरोध किया गया था।
श्री यादव ने अपने पत्र में कहा कि अभी तक भारत सरकार द्वारा इस क्रम में कोई विचार न करते हुए, पिछले तीन त्रैमासों में मिट्टी के तेल के आवंटन में लगातार कटौती की गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बी0पी0एल0, अन्त्योदय एवं ए0पी0एल0 को शामिल करते हुए लगभग 4 करोड़ राशन कार्ड धारक हैं। राशन कार्ड धारकों को पी0डी0एस0 के तहत प्रतिमाह मिट्टी के तेल का वितरण कराया जाता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के प्रथम त्रैमास में प्रदेश को लगभग 20 हजार के0एल0, द्वितीय त्रैमास में लगभग 19 हजार के0एल0 एवं तृतीय त्रैमास में लगभग 01 लाख 28 हजार 28 के0एल0 मिट्टी के तेल का आवंटन कम प्राप्त हुआ है। प्रति राशन कार्ड धारक को लगभग 05 लीटर मिट्टी के तेल के आवंटन के आधार पर प्रदेश में हर महीने लगभग 02 लाख के0एल0 मिट्टी के तेल की न्यूनतम आवश्यकता रहती है। इस प्रकार प्रदेश के कार्ड धारकों की न्यूनतम आवश्यकता के सापेक्ष प्रदेश के मिट्टी के तेल के आवंटन में अब तक लगभग 01 लाख 67 हजार के0एल0 की कमी की गई है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश की लगभग 78 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। राज्य में हरे वृक्षों की कटाई प्रतिबन्धित होने के कारण भोजन पकाने के लिए लकड़ी की उपलब्धता बहुत ही कम हो गई है। प्रदेश में एल0पी0जी0 गैस कनेक्शन धारकों की संख्या भी बहुत ही कम है। अतः प्रदेश की ग्रामीण आबादी द्वारा प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में मिट्टी के तेल इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, लाखों मजदूर भी खाना पकाने के लिए मुख्य रूप से मिट्टी के तेल का ही उपयोग करते हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 2 साल से प्रदेश के ज्यादातर जिले सूखे की चपेट में रहे हैं, वहीं इस साल प्रदेश के लगभग 30 जिले भीषण बाढ़ से प्रभावित रहे। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के ज्यादातर जनपद बाढ़ से प्रभावित रहे हैं। प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी हैं, इस प्रकार अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा इन क्षेत्रों में प्रकाश व ईंधन हेतु मिट्टी के तेल की सर्वाधिक आवश्यकता रहती है। जनपद इलाहाबाद में माघ मेला, जनपद मिर्जापुर के विन्ध्याचल में नवरात्रि पर्व/मेले एवं अम्बेडकर नगर में अघनिया व उर्स मेले आदि हर साल आयोजित होते रहते हैं, जहां लाखों की संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। इन आयोजनों के लिए भी अतिरिक्त मिट्टी के तेल की जरूरत होती है।
श्री यादव ने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में मिट्टी के तेल के कोटे में की गई कटौती से सामान्य उपभोक्ताओं में आक्रोश उत्पन्न होना स्वाभाविक है और यदि प्रदेश की आवश्यकता के अनुरूप आवंटन पर सकारात्मक रूप से विचार नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में सामान्य उपभोक्ताओं के आक्रोश को रोक पाना दुष्कर होगा। इसके दृष्टिगत उन्होंने प्रधानमंत्री से प्रदेश के लिए मिट्टी के तेल के कुल त्रैमासिक आवंटन को 600936 के0एल0 करने का अनुरोध किया है, ताकि उपभोक्ताओं के मिट्टी के तेल की न्यूनतम जरूरत की पूर्ति सम्भव हो सके।

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