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प्रदेश में धार्मिक शोभायात्राओं, जुलूसों, सामाजिक समागमों एवं राजनैतिक रैलियों आदि के आयोजन के भीड़ के समुचित प्रबन्धन हेतु निर्देश

उत्तर प्रदेश

लखनऊः प्रदेश में विभिन्न धार्मिक शोभायात्राओं, जुलूसों, सामाजिक समागमों एवं राजनैतिक रैलियों आदि के आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं, भक्तों एवं प्रतिभागियों की भीड़ के समुचित प्रबन्धन हेतु शासन द्वारा आवश्यक निर्देश जारी किये गये हैं। प्रदेश के सभी जिला मैजिस्ट्रेटों एवं समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों को इन निर्देशो का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए कहा गया है ताकि ऐसे अवसरों पर जिला प्रशासन तथा जनपदीय पुलिस के मध्य पारस्परिक समन्वय, सामंजस्य, सहयोग एवं समझ को और अधिक बेहतर किया जा सके।
प्रमुख सचिव, गृह श्री देबाशीष पण्डा ने उक्त जानकारी देते हुए आज यहां बताया कि विगत 09 अक्टूबर, 2016 को लखनऊ तथा दिनांक 15 अक्टूबर, 2016 को वाराणसी में हुई भगदड़ की अप्रत्याशित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को शासन द्वारा अत्यन्त गंभीरता से लेते हुए ऐसी दुःखद घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति रोकने हेतु यह निर्देश जारी किये गये है।
शासन द्वारा जारी निर्देशों मे कहा गया है कि जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारी संयुक्त रूप से आयोजकों के साथ पहले से बैठक कर जिले के सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को उनके विभागीय कार्यों तथा दायित्वों के प्रति संवेदित (सेन्सिटाइज) करते हुए सभी आवश्यक प्रबन्ध कराना सुनिश्चित करे। कार्यक्रम के परिमाण (उंहदपजनकम) को देखते हुए पर्याप्त पुलिस प्रबन्ध किए जाने चाहिए, जिसमें यथावश्यकता सिविल पुलिस, पी.ए.सी., होमगार्ड्स, महिला पुलिस, टैªफिक पुलिस आदि को तैनात किया जाए तथा उनकी समुचित ब्रीफिंग भी की जाए।
श्री पण्डा नें बताया कि निर्देशों मे कहा गया है कि किसी भी धार्मिक शोभायात्रा@जुलूस, सामाजिक समागम एवं राजनैतिक रैली आदि की अनुमति दिये जाने में विशेष सतर्कता बरती जाए तथा सम्यक प्रतिबन्धों के अधीन ही अनुमति दी जाए। आयोजकों की सहभागिता प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित की जाए तथा भीड़ के लिए जनसुविधायें यथा पेयजल, शौचालय एवं शेल्टर आदि उपलब्ध कराने हेतु उन्हें उत्तरदायी बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि आयोजकों से शोभायात्रा, जुलूस आदि के रूट के सम्बन्ध में, अनुमति देते समय ही, सम्यक जानकारी प्राप्त कर ली जाए एवं अनुमन्य रूट से विचलन न होने दिया जाए। आयोजकों को अपने स्वयं के वालन्टियर्स चिन्हित, प्रशिक्षित करने एवं ऐसे समस्त वालन्टियर्स का डेªस-कोड निर्धारित कर उन्हें फोटोयुक्त पहचान-पत्र धारण करने के प्रबन्ध किए जाने हेतु उत्तरदायी बनाया जाए। आयोजकगण एवं समस्त वालन्टियर्स द्वारा लाउड-हेलर्स के माध्यम से भीड़ को नियंत्रित एवं निर्देशित करने हेतु कार्यक्रम के दौरान निरन्तर उचित दिशा-निर्देश दिए जाएं, जिससे किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति उत्पन्न न होने पाये।
निर्देशों में कहा गया है कि जिला प्रशासन द्वारा रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर रेलवे स्टेशन एवं प्लेटफार्म पर भीड़-नियंत्रण एवं पार्किंग सहित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करके एडवान्स प्लानिंग कर ली जाए। इसी प्रकार की एडवान्स प्लानिंग उ0प्र0स0प0नि0 रोडवेज के अधिकारियों तथा प्राइवेट बसों के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों से बात कर तैयार कर ली जाए।
प्रमुख सचिव, गृह ने निर्देशों में बताया कि अनुमति दिए जाते समय आयोजकों से सम्भावित भीड़ के सम्बन्ध में सही सूचना प्राप्त कर ली जाए। अभिसूचना तंत्र तथा अन्य स्वतंत्र स्रोतों से भी सम्भावित भीड़ के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त कर उसे क्रास-चेक कर लिया जाए तथा तद्नुसार आवश्यक पुलिस एवं यातायात प्रबन्ध किए जाएं। सम्भावित भीड़ के सटीक आकलन से भीड़ का प्रबन्धन बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
जनपदों में जब भी इस प्रकार के आयोजनों@कार्यक्रमों की अनुमति दी जाए, उनके लिए ऐसे किसी भी स्थल जहॉ उक्त प्रयोजनों के लिए भीड़ इकट्ठा होने की सूचना हो, वहॉ भीड़ की अनुमानित संख्या के अनुसार प्रवेश (मदजतल) एवं निकास (मगपज) समुचित संख्या में रखे जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त पर्याप्त संख्या में अवरोध रहित आकस्मिक निकासों (मगपजे) का भी प्रावधान किया जाए।
भीड़ प्रबन्धन हेतु टैªफिक-नियंत्रण को एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अवयव बताते हुए शासन द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया टैªफिक प्लान पहले से ही तैयार कर लिया जाए। विभिन्न श्रेणी के वाहनों की पार्किंग चिन्हित स्थानों पर ही सुनिश्चित कराई जानी चाहिए एवं इसके क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए। यह सुनिश्चित भी कर लिया जाए कि भीड़ का एकल-दिशा प्रवाह (नदप.कपतमबजपवदंस सिवू) ही हो तथा बढ़ती भीड़ को फिल्टरिंग, सीमित प्रवेश एवं पब्लिक एडेªस सिस्टम के माध्यम से नियंत्रित किया जाए। भीड़ का आकलन एवं नियंत्रण किए जाने हेतु यथा सम्भव ड्रोन-कैमरों का प्रयोग किये जाने के भी निर्देश दिये गये है।
श्री पण्डा नें बताया कि ऐसे कार्यक्रमों में अफवाहों (तनउवनत उवदहमतपदह) के कारण भी घबराहट की स्थितियॉ उत्पन्न होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भगदड़ (ेजंउचमकम) की घटनायें घटित होती हैं। अतः किसी भी प्रकार की अफवाह पर तुरन्त एवं प्रभावी नियंत्रण कर इसे फैलने से रोका जाना चाहिए तथा जनसमूह को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाए। इस हेतुु पूर्व में ही स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप एस.ओ.पी. तैयार कर ली जाए।
शासन द्वारा जारी निर्देशों मे कहा गया है कि सभी प्रकार के सम्भावित जोखिमों, खतरों, आशंकाओं, विपत्तियांे एवं संकटों (तपेो – ीं्रंतके) का पूर्व में ही चिन्हींकरण करके इनका सटीक आकलन करते हुए प्रत्येक के सम्बन्ध में अचूक कार्ययोजनाएं बना ली जानी चाहिए एवं आकस्मिकता की स्थिति में इनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु संरचनात्मक ढांचा भी विकसित कर लिया जाए। यह भी निर्देश दिये गये हैं कि साइट-मैप्स, विभिन्न रूट्स, सड़क, स्वास्थ्य सेवायें, खोया-पाया केन्द्र, आपातकालीन-निष्क्रमण (मउमतहमदबल मगपजे), एम्बुलेंस, अग्निशमन, पुलिस, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन आदि को प्रदर्शित करने के लिए यथावश्यकता पर्याप्त संख्या में, उचित स्थानों पर, पोस्टर्स, होर्डिंग्स, डिस्प्ले-बोर्ड एवं साइनेजेज स्थापित किए जाएं।
प्रमुख सचिव गृह ने बताया कि अग्नि से सुरक्षा हेतु अग्निशमन की व्यवस्थायें सुनिश्चित किये जाने के भी निर्देश दिये गये हैं। उन्होने बताया कि क्रिटिकल प्वाइन्ट्स पर अग्नि-सुरक्षा के उपाय किए जाएं। भीड़ के प्रवाह, दुकानों, अस्थाई संरचनाओं एवं अन्य प्रतिष्ठानों के दृष्टिगत महत्वपूर्ण स्थानों पर अस्थाई अग्निशमन केन्द्रों की स्थापना की जाए। जिन स्थानों पर फायर टेन्डर न पहुंच सके, उन स्थानों पर बाइक माउन्टेड फायर फाइटिंग इक्विपमेंट की व्यवस्था की जाए। आतिशबाजी एवं पटाखों का प्रज्वलन खुले स्थानों मंे ही अनुमन्य किया जाए। शासन द्वारा कहा गया है कि भीड़ के प्रवाह (बतवूक सिवू) की निगरानी किए जाने हेतु महत्वपूर्ण स्थानों पर, यथा-आवश्यकता वाच-टावर्स भी स्थापित किए जाएं।
शासनादेश में कहा गया है कि महत्वपूर्ण स्थानों यथा प्रवेश (मदजतपमे), निकास (मगपजे) बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, बाजारों एवं अन्य महत्वपूर्ण जंक्शनों की निरन्तर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए जाएं एवं भीड़ की निरन्तर रिकार्डिंग की जाए। समस्त सीसीटीवी कैमरों का फीड केन्द्रीयकृत कन्ट्रोल-रूम को दिया जाए। कन्ट्रोल-रूम में अधिकारियों@कर्मचारियों की अहर्निश शिफ्टवार ड्यूटी लगाई जाए।
यह भी निर्देश दिये गये है कि निरन्तर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने हेतु सामान्य पावर-सप्लाई के अतिरिक्त मोबाइल जनरेटर्स की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। समस्त मार्गों पर समुचित प्रकाश की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। विद्युत वायरिंग में पीवीसी कन्ड्यूट पाइप्स, एमसीबी एवं कापर वायर का प्रयोग किया जाए। हाई-टेंशन वायर तथा लो-टेंशन वायर की नेटवर्किंग समुचित प्लानिंग के साथ की जाए। भीड़-भाड़ वाले जंक्शनों पर वायरिंग के तार आड़े-तिरछे एवं लूज ढंग से न लगाये जाएं। जलराशियों के निकट विद्युत वायरिंग में विशेष रूप से सतर्कता बरती जाए।
श्री पण्डा नें बताया कि मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार भी भारी वर्षा, आंधी-तूफान, तेज धूप, अत्यधिक आद्र्रता, ठण्ड आदि किसी भी आकस्मिकता की सम्भावित स्थिति से निपटने हेतु, आयोजन-स्थल पर सम्पूर्ण आयोजन अवधि के लिए, पूर्व से ही समुचित व्यवस्थायें सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये है। उन्होंने बताया कि स्टाफ, मीडिया, आयोजकगण, वालन्टियर्स आदि विभिन्न श्रेणियों के लिए पृथक-पृथक रंगों के फोटोयुक्त पहचान-पत्र तैयार कराये जाएं तथा उन्हें प्रतिभागियों द्वारा वक्ष पर अथवा गले में धारण किया जाना चाहिए ताकि वह दूर से ही दृष्टिगोचर हो।
शासन द्वारा जारी निर्देशों मे कहा गया है कि चिकित्सीय आकस्मिकता की स्थिति से निपटने हेतु जनपदीय एवं निकटवर्ती जनपदों के सरकारी@निजी हास्पिटल्स का चिन्हींकरण पूर्व में ही कर लिया जाए। इसके अतिरिक्त इन अस्पतालों में डाक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर ली जाए। पैरामेडिकल स्टाफ सहित, समस्त सुविधाओं से युक्त एम्बुलेंस की भी पर्याप्त संख्या में व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
प्रमुख सचिव गृह ने बताया कि यह भी निर्देश दिये गये पर्यवेक्षणीय पुलिस अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट्स की तैनाती भी यथावश्यकता की जाए तथा उनकी समुचित ब्रीफिंग भी की जाए। यदि कार्यक्रम के लिए आवश्यक अधिकारियों का प्रबन्ध जनपद स्तर से सम्भव न हो सके तो उसके लिए सम्बन्धित मण्डल के मण्डलायुक्त तथा परिक्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक से इनकी मॉगकर तैनाती सुनिश्चित कराई जाए। यदि कार्यक्रम अन्तर्जनपदीय आयाम का हो तो पर्यवेक्षण एवं प्रबन्ध के दायित्वों का निर्वहन सम्बन्धित मण्डल के आयुक्त तथा परिक्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक द्वारा किया जाएगा। उन्होने बताया कि यह समस्त बिन्दु सुझावात्मक हैं तथा समय, स्थान तथा कार्यक्रम के दृष्टिगत अन्य आवश्यक पहलुओं को भी संज्ञान में लिया जाना उचित होगा।

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