देहरादून: प्रदेश के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार की अध्यक्षता में टिहरी/कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के कारण उत्पन्न समस्याआें के अध्ययन के लिए बनी उप समिति की बैठक हुई। बैठक में उप समिति के सदस्य पर्यटन मंत्री दिनेश धनै तथा शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के रूप में प्रधान देवप्रयाग हरि सिंह रावत एवं डीडी पन्त बैठक में उपस्थित रहे। उप समिति के सदस्यों ने बांध परियोजना से बेघर हुए सैकड़ो लोगों को अभी तक सरकारी सहायता के रूप में दी जाने वाली सुविधाओं में कड़े नियमों के नाम पर पेंच फंसाने पर मंत्रियों व क्षेत्रीय विधायकों ने टीएचडीसी के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगायी।
बैठक में उप समिति सदस्यों ने स्थानीय जनता के हितों की अनदेखी किये जाने पर विभागीय अधिकारियों को तलब किया। समिति ने टिहरी बांध के शहरी विस्थापितों के नाम आवंटित भूखण्ड, भवन, दुकानों सर्किल रेट पर रजिस्ट्री नहीं करायी गयी है। टीएचडीसी ने इन विस्थापितों को रजिस्ट्री कराये जाने के लिए 10 करोड़ 6 लाख रूपये की धन राशि की आवश्यकता बतायी थी, और इन कार्यो के लिए बजट की मांग भारत सरकार से किये जाने की जानकारी दी थी, लेकिन तब से अभी तक टीएचडीसी इस रजिस्ट्री में खर्च होने वाली रकम भारत सरकार से नहीं जुटा पायी है, इससे जाहिर होता है कि टीएचडीसी विस्थापितों की समस्याओं को लेकर कितनी गम्भीर है।
उप समिमि के सदस्यों ने कहा कि टीएचडीसी की लापरवाही से सालों से नई टिहरी, केदारपुरम, अजबपुर कलां देहरादून, इन्दिरापुरम, ऋषिकेश में विस्थाापितों को भूमि एवं आवास की रजिस्ट्री व बैनामे नहीं हो पाये हैं। जनपद हरिद्वार में पथरी पुनर्वास स्थल में वनभूमि पर भूमिधरी अधिकार दिये जाने, पथरी ब्लाॅक में वन भूमि वं पुर्नवास क्षेत्र के मध्य सुरक्षा दीवार निर्माण, हरिद्वार में विस्थापितों को आवंटित ऐसे कृषि भूखण्ड जो कृषि योग्य नहीं है आदि मामलों में भी टीएचडीसी ने भारत सरकार के समक्ष बजट का प्रस्ताव रखने की बात कह देने को ही अपनी जिम्मेदारी समझ रखा है जो अब नहीं बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने उत्तरकाशी के विकास खण्ड चिन्यालीसौंड़ के अंतर्गत तुल्याड़ा में भुवनेश्वरी माता मंदिर एवं पिलखी में शिव मंदिर निर्माण, डोबरा पुल निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग केा पुनरक्षित धनराशि उपलब्ध कराने तथा पुनर्वास निदेशालय को चिन्यालीसौड़ पुल एवं घोण्टी पुल के पुनरीक्षित आगणन के अनुसार टीएचडीसी द्वारा वहन किये जाने वाली अतिरिक्त धनराशि भी टीएचडीसी को लोक निर्माण विभाग को उपलब्ध करायी जानी है। डोबरा़ गांव में बिजली, पानी तथा चिन्यालीसौंड़ पुल निर्माण के कार्ये में तेजी लाकर समयबद्व अवधि में इन कार्यो को पूर्ण करें। अवस्थापना सुविधायें उपलब्ध कराना टीएचडीसी का जिम्मेदारी है लेकिन इन मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। सर्वे के नाम पर भी टीएचडीसी मात्र खानापूर्ति कर रही है, जबकि अधिग्रतिहत क्षेत्र और विस्थापितों की वास्तविक स्थिति बेहद चिंताजन है। श्री पंवार ने
2010 में हुए अधिग्रहित क्षेत्र के सर्वे में पुनर्वास निदेशक द्वारा स्वीकृत 20 करोड़ की धन राशि का भी खर्च का ब्यौरा मांगा। उन्होंने कोटेश्वर मार्केट के विस्थापितों की समस्या का भी समाधान करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि भल्डियाणा-मोटाणा रोपवे के निर्माण हेतु अवशेष धनराशि एवं स्याॅसूं मणी मोटर मार्ग पर भूमि, भवन, प्रतिकर व दबान इत्यादि के अवशेष देयकों का भी भुगतान किया जाना है। सम्पार्शिविक क्षति के अन्तर्गत प्रभावित परिवारों के भवनों एवं परिसम्पत्तियों के भुगतान की अनुामनित लागत रू0 31.20 करोड़ के सापेक्ष परिसम्पत्तियों की अनुमानित लागत रू0 16.30 करोड़ आंकलित की गयी थी, जिसकी वर्तमान लागत 24.00 करोड़ है, इसके साथ ही टिहरी बांध झील भराव के कारण आर.एल. 835 मी0 के ऊपर भूस्खलन से प्रभावित निवासरत् परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानंतरण हेतु अस्थाई टिन शेडों के निर्माण आदि में होने वाले खर्च के लिए बजट की मांग भी टीएचडीसी भारत सरकार के समक्ष ले जाने की बात कह चुकि लेकिन कोई प्रगति नहीं दिख रही है।
उप समिति ने टिहरी बाॅध जलाशय के कारण हो रहे भू-धंसाव हेतु गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा वर्ष 2013, 2014, 2015 में हुए सर्वेक्षण के अनुसार प्रभावित परिवारों के विस्थापन तथा परिसम्पत्तियों के भुगतान की कार्यवाही, भू-स्खलन प्रभावित ग्रामों की भूमि व वृक्षों के भुगतान बैनामें की कार्यवाही, सुनरगाॅव, हटियाड़ी बधाॅणगाॅव में जलाशय के निकट सुरक्षा दीवार के कार्य, विशेषज्ञ समिति-2010 की संस्तुति के अनुसार कन्टूर मैप एवं टोपोग्राफिक सर्वे कार्य, विशेषज्ञ समिति की संस्तुति के अनुसार ग्राम भैंगा में नये विद्यालय भवन का निर्माण कार्य, संयुक्त विशेषज्ञ समिति की संस्तुति के आधार पर चिन्यालीसौड़ में 1200 मी लम्बाई में सुरक्षा दीवार का निर्माण तथा बफर जोन बनाने हेतु प्रभावित भवनों की क्षतिपूर्ति हेतु प्रारम्भिक आंकलन, जलाशय परीधि में 23 शमशान घाटों का निर्माण प्रस्तावित है जिनमें से घोण्टी, भल्डयाना, तिवाड़, जलकुल में शमशान घाट न होने से शवों को सड़कों के किनारे जलाया जा रहा ह,ै लेकिन टीएचडीसी भूमि ही उपलब्ध नहीं करा पा रही है। पथरी क्षेत्र में चिकित्सालय का निर्माण प्रस्तावित है उस पर भी यही रूख अपनाया जा रहा है, जबकि चिकित्सा व्यक्ति की मूल आवश्यता पुनर्वास स्थलों पर सृजित परिसम्पत्तियों के रख-रखाव की स्थाई व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था का रख रखाव, आवासीय तथा कृषि भू-खाण्डों में जल निकासी की समस्या का निराकरण तथा राजस्व ग्राम एवं ग्राम घोषित किया जाना अभी शेष है। कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह पंवार व दिनेश धनै ने टीएचडीसी को पंद्रह दिन बाद होने वाली उप समिति की बैठक में इन सभी मामलों के निराकरण सहित बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिये।
बैठक में संसदीय सचिव विक्रम सिंह नेगी, सचिव सिंचाई आनन्द वर्धन, डी.एम. टिहरी ज्योति निरज खैरवाल, एस.डी.एम. डूंडा विजय नाथ शुक्ल, निदेशक आर0आर0भट्ट, महाप्रबन्धक टीएचडीसी ओ.एस.मौर्य, उपमाहप्रबन्धक टीएचडीसी वी.के.गुप्ता, सलाहाकार पुनर्वास टीएचडीसी डी.के.गुप्ता मौजूद थे।