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डॉ हर्षवर्धन ने भारतीय वैज्ञानिकों से प्रधानमंत्री के उस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए कहा जिसमें वे देश को तेजी से प्रगति के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं

देश-विदेश

नई दिल्‍ली: केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भारतीय वैज्ञानिकों से प्रधानमंत्री के उस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए कहा जिसमें वे देश को तेजी से प्रगति के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी) मानेसर, हरियाणा में बोलते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों से उन विभिन्न समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए सत्र आयोजित करने के लिए कहा जिनका आज देश सामना कर रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री का भी यह विश्वास है कि विज्ञान में अधिकांश समस्या का समाधान ढूंढने की सामर्थ्य है।
एनबीआरसी में मैगनेटो इनसेफ्लोग्राफी (एमईजी) सुविधा का उद्धाटन करते हुए उन्होंने केंद्र से देश के निम्हांस (बंगलौर) और विम्हांस (दिल्ली) जैसे देश के विभिन्न संस्थानों से अपने आपको जोड़ने का अनुरोध किया ताकि देश के लोगों की सेवा बेहतर रूप से हो सके। उन्होंने एनबीआरसी से कहा है कि वह मस्तिष्क अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व की श्रेष्ठ अनुसंधान का केंद्र बिंदु बनने के लिए राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित करे। ऐसे अनुसंधानों में आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी दवाइयों की वैकल्पिक प्रणाली में मस्तिष्क की बीमारियों के इलाज भी शामिल किये जाएं।

एमईजी एक बहुत संवेदनशील उपकरण है जो दिमाक में उठने वाली अत्यंत सूक्ष्म चुंबकीय तरंग का रिकार्ड और माप कर सकता है जिससे हमें मस्तिष्क की सामान्य और असामान्य गतिविधि की जानकारी मिलती है। इपिलेप्सी के कारण दिमाग में होने वाली असामान्य गतिविधियों की पहचान इस उपकरण से की जाती है। वर्तमान में एम्स के डॉक्टर इस एमजी से प्राप्त होने वाले परिणामों का उपयोग करके ऐसी बीमारियों का इलाज करते हैं। ऐसे अधिकांश मरीजों का इलाज ऐसी दवाइयों से किया जाता है जो इन्हें दबा देते हैं। लगभग 20 प्रतिशत मरीजों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एमईजी की संवेदनशीलता असामान्य उत्तक का पता लगाने में मदद करती है। एनबीआरसीसी मानेसर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन एक स्वायत संस्थान है जिसकी स्थापना मूल और नैदानिक न्यूरोसाइंस अनुसंधान के लिए की गई है। यह संस्थान एक ऐसे कुछ संस्थानों में से एक है जहां एक ही छत के नीचे न्यूरोसाइंस अनुसंधान की पूरी प्रणाली मौजूद है।

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