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प्रत्येक प्रदेशवासी एक वृक्ष लगाकर प्रदेश को हराभरा बनाने में सहयोग प्रदान करें:मंत्री श्री दारा सिंह चैहान

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के अवसर पर डाॅ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा ‘‘25 साल जैविक विविधता सम्मेलन पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री दारा सिंह चैहान, मंत्री वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उ0प्र0 द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर पर श्री दारा सिंह चैहान ने प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला -एक उत्पाद’’ की भावना के अनुरूप ‘‘एक प्रभाग-एक उत्पाद’’ की योजना पर कार्य करते हुए प्रत्येक प्रभाग के मुख्य वन उत्पाद चिहिन्त कर प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया। जैवविविधता संरक्षण की दिशा में युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करना हम सबका उत्तरदायित्व है। जैवविविधता के प्रति रूचि, उत्सुकता व ग्रहणशीलता उत्पन्न कर जैवविविधता संरक्षण की दिशा में समाज का सहयोग प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। मंत्री जी ने कहा कि सरल भाषा में जैवविविधता की भूमिका, महत्व व संरक्षण की आवश्यकता से अवगत करवाकर जन सामान्य की अपेक्षा व आकांक्षाओं की पूर्ति एवं पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा सम्भव है। हमारे पूर्वजों द्वारा प्रकृति के मध्य रहकर व प्रकृति से जुड़कर जैवविविधता संरक्षित रखना के आज भी उतना ही प्रासंगिक है। घर आॅगन में पाई जाने वाली गौरया व प्राकृतिक सफाई कर्मी गिद्धों की घटती संख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मंत्री जी ने कहा कि ‘जिओ और जीने दो’  एवं ‘सबका साथ सबका विकास’ की भावना को कार्यरूप में परिणत कर मनुष्य के साथ ही समस्त पादप व प्राणि प्रजातियों के लिए अनुकूल स्थितियां सृजित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा राज्य वन नीति-2017 का प्रख्यापन किया गया। मंत्री जी ने आहवान किया कि प्रत्येक प्रदेशवासी मात्र एक वृक्ष रोपित कर प्रदेश में 22 करोड़ पौध रोपित कर प्रदेश को हरा-भरा करने में योगदान दे सकता है। श्री दारा सिंह चैहान ने कहा कि जैवविविधता से होने वाले आर्थिक लाभों से जन सामान्य को उनकी ही भाषा में अवगत कराकर जैवविविधता संरक्षित करने में जन-जन का योगदान प्राप्त कर सकते है।

  इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री वन एवं पर्यावरण,जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उ0प्र0 श्री उपेन्द्र तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा’’ बहुत बड़ा विषय है अतः इस हेतु प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होने के साथ ही अपनी परम्परा व संस्कृति से जुड़ना होगा। पर्यावरण संरक्षण की समृद्ध परम्परा न अपनाने से हम प्रकृति से दूर होते जाएगें। जीवन शैली व भू-उपयोग में परिवर्तन के कारण जैवविविधता क्षरण से हमारा जीवन भी प्रभावित हो रहा है। गोण्डा जनपद में 4 वन टांगिया ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने का उल्लेख करते हुए राज्य मंत्री जी ने कहा कि प्रकृतिक वातावरण में रहने वाले व्यक्ति स्वस्थ व दीर्घायु होते हैं। उन्होने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति, वृक्षारोपण व देखभाल, जागरूकता एवं जन सहयोग से जैवविविधता संरक्षण को अभियान का रूप दिए जाने से जैवविविधता संरक्षण संभव है। मंत्री जी ने गंगा को स्वच्छ व  निर्मल बनाने एवं गंगा तट को हरा-भरा बनाने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे गंगा हरीतिमा अभियान व एक व्यक्ति एक वृक्ष योजना से जुड़ने का आहवान किया।

  मुख्य अतिथि मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान, उद्यान, उ0प्र0 एवं विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान, उद्यान, उ0प्र0 द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताएं के विजेताओं को पुरस्कृत किया ।

 उपस्थित अभ्यागतों का स्वागत करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उ0प्र0 डाॅ रूपक डे कहा कि अफ्रीका में 2 लाख वर्ष पूर्व जीवन की उत्पत्ति हुई तथा जीवन के उद्भव के उपरान्त विकास, संगठन एवं सीखने की क्षमता के कारण मनुष्य ने वर्तमान स्वरूप तक प्रगति की है। अब तक खोजे गए 250 ग्रहों में धरती ही एक मात्र ग्रह है जहाॅ जीवन के लक्षण पाए गए हैं। इस विकास क्रम में कोयला, तेल व यूरेनियम के रूप में मनुष्य ने धरती के गर्भ से ऊर्जा के स्त्रोत खोजने के साथ ही धरती के तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण प्रदूषण जनित विभिन्न संकट उत्पन्न कर अपने ही विनाश को आमंत्रित किया है। डाॅ रूपक डे ने कहा कि आज अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित विषयवस्तु पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा मनुष्य को धरती पर जीवन बनाए व बचाए रखने हेतु प्रयास करने की प्रेरणा देती है।

 सचिव राज्य जैवविविधता बोर्ड उ0प्र0, श्री पवन कुमार ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देष्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैवविविधता का आनोखा संसार है तथा जल, थल, नभ में पाई जाने वाली जैवविविधता के कारण धरती अद्वितीय है। जैवविविधता धरती पर जीवन की कुंजी है। चमगादड़ व तुलसी प्रजाति में पाई जाने वाली विविधता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश जैवविविधता की दृष्टि से समृद्ध है। उभयचरों की घटती संख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए श्री पवन कुमार ने कहा कि प्राकृतवास क्षरण, विखण्डन व संकुचन अतिविदोहन एवं शिकार जैवविविधता पर मंडराते प्रमुख खतरे हैं।

  प्रोफेसर जानकी अन्धारिया, डीन टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज ने कहा कि जैवविविधता व पारिस्थितिकीय क्षरण का दुष्प्रभाव जलवायु परिवर्तन के रूप में परिलक्षित हो रहा है। फसलों, मछलियों एवं कोरल रीफ की जीनिक विविधता खत्म होने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए प्रोफेसर अन्धारियों ने कहा कि आधारभूत संरचनाओं के अनियोजित विकास के कारण पारिस्थितिकीय तन्त्र प्रभावित होने से आर्थिक गतिविधियाॅ भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कि जैवविविधता व विकास में संतुलन रखने हेतु सभी मंत्रालयों में समन्वय आवश्यक है।

 संगोष्ठी के विशेष अतिथि डाॅ मंगला राय ने अत्यन्त रोचक व ज्ञानवर्धक उद्बोधन में कहा कि जैवविविधता को आर्थिक रूप से लाभप्रद व जीवन का अंग बनाकर, कृषि में वाणिज्य का समावेश कर एवं उत्पादकता व आयवृद्धि होने से जन सामान्य जैवविविधता संरक्षण से स्वयं ही जुड़ जाएगा। डाॅ राय ने कहा कि जैवविविधता अनन्तता का बोध कराते हुए वसुधैव कुटुम्बकम की भावना जागृत करती है। उन्होंने कहा कि जैवविविधता घट रही है किन्तु उपयोग की जानेवाली जैवविविधता ;न्ेंइसम ठपवकपतअमतेपजलद्ध में अत्यधिक अवसर हैं जिसकी खोज के लिए निवेष व अध्ययन आवष्यक है। आस्ट्रेलिया, अमेरिका ब्राजील का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन देषों का जैवविविधता का माॅडल हमारे देश के लिए उपयुक्त नहीं है। हमारी आवश्यकता, पारिस्थितिकीय, जैविक दबाव, अत्याधिक जनसंख्या व जैवविविधता अन्य देशों से भिन्न होने के कारण हमारा जैवविविधता माॅडल भी इसी के अनुसार होना चाहिए। डाॅ मंगला राय ने माइक्रोआर्गेनिक विविधता एवं  मृदा कार्बन, मृदा बायोटा एवं मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण पर माइक्रोआर्गेनिज्म की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। डाॅ राय ने कहा कि मधुमक्खियों द्वारा परागण के कारण सूर्यमुखी, आम,सेव, लीची व सरसों का उत्पादन संभव है।

  राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम व द्वितीय सत्र में डाॅ पी0पी0राजू हेड, वाटर रिसोर्स एसेसमेन्ट डिवीजन, नेशनल रिमोट सेन्सिग सेण्टर हैदराबाद, डा0 सुशील कुमार शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक, नेशनल व्यूरो आॅफ एग्रीकल्चरली इम्पाॅर्टेन्ट माइक्रोआॅर्गेनिज्म, डा0 वी.एन.श्रीवास्तव, प्रोफेसर नई दिल्ली इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजेण्ट एवं प्रोफेसर जानकी अन्धारिया, डीन,टाटा इन्स्टीट्यूट आॅफ सोशल साइसेज ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया।

  मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उ0प्र0 श्री दारा सिंह चैहान, राज्यमंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उ0प्र0 श्री उपेन्द्र तिवारी की गारिमामयी उपास्थिति में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उ0प्र0 श्री रूपक डे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव, उ0प्र0 श्री एस0के0 उपाध्याय, सचिव राज्य जैवविविधता बोर्ड श्री पवन कुमार, सचिव, वन एवं वन्य जीव विभाग श्री संजय सिंह विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थान के वैज्ञानिकों अनुसंधानकर्ताओं, शोध छात्राओं, विद्यार्थियों एवं वरिष्ठ वनाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

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