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पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नालाजीज आॅफ एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस फाॅर सस्टेनेबल फूड एण्ड न्यूट्रीशनल सीक्योरिटी“ विषयक तीन दिवसीय (10-12 नवंबर, 2016)

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद एवं इंटीग्रल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में इंटीग्रल विश्वविद्यालय के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय ”पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नालाजीज आॅफ एग्रीकल्चरल

प्रोड्यूस फाॅर सस्टेनेबल फूड एण्ड न्यूट्रीशनल सीक्योरिटी“ (टिकाऊ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु कृषि उत्पादों की शस्येत्तर तकनीक) पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री रामनाईक, राज्यपाल, उ.प्र. ने आज दिनांक 10 नवंबर, 2016 को किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, माननीय श्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पण्डित सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री चाल्र्स लिंसे विल्सन, फाउंडर एण्ड चेयरमैन, वल्र्ड फूड प्रेजरवेशन सेंटर, यू.एस.ए. के ज्येष्ठ वैज्ञानिक व श्री यांग रूई ली, डायरेक्टर, शुगरकेन रिसर्च सेंट आॅफ सी.ए.ए.एस., नैनिग, चीन के वैज्ञानिक एवं कृषि उत्पादन आयुक्त, उ.प्र. श्री प्रदीप भटनागर उपस्थित थे। आयोजन के अध्यक्ष एवं महानिदेशक उपकार प्रो. राजेन्द्र कुमार, कार्यक्रम के संरक्षक एवं कुलपति, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, प्रो. एस.डब्लू. अख्तर ने परिचयात्मक उद्बोधन दिये।
इंटीग्रल विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश-विदेश के वैज्ञानिकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।
इंटीग्रल विश्वविद्यालय के कुलपति तथा इंटरनेशनल कांग्रेस के संरक्षक प्रो. एस.डब्ल्यू. अख्तर ने अपने उद्बोधन में कांग्रेस के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इंटीग्रल विश्वविद्यालय ने कृषि के विकास के लिये इंस्टीट्यूट आॅफ एग्रीकल्चर की स्थापना की है। पोस्ट हार्वेस्ट में क्षति को रोकने के लिये कृषि में एकीकृत तकनीकों जैसे इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट आदि का उपयोग किया जाना चाहिये। उन्होंने वर्तमान में उत्तर भारत में फैले स्माॅंग पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इस पर भी कांग्रेस में चर्चा किये जाने का आह्वान किया।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, प्रेसीडेंट, उ.प्र. कृषि विज्ञान एकेडमी, उपास एवं कांग्रेस के आयोजन अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र कुमार ने देश-विदेश से आये वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए अपने परिचयात्मक उद्बोधन में कहा कि विश्व खाद्य संगठन के अनुसार 2050 तक खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उत्पादन को दोगुना करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष उत्पादन का कटाई उपरान्त सही प्रबन्धन न होने के कारण 10 से 30 प्रतिशत तक कृषि उत्पादों की हानि हो जाती है। उन्होंने कहा कि मौसम में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में भी परिवर्तन की आवश्यकता है। सभी फार्मिंग सिस्टम में हो रही क्षति को कम करना होगा साथ ही सप्लाई चेन की विभिन्न अवस्थाओं यथा ग्रेडिंग, पैकिंग, परिवहन एवं प्रसंस्करण में हो रही हानियों पर नियंत्रण करना होगा। कृषि एवं तत्सम्बन्धित विभागों को एकीकृत तकनीकों का उपयोग कर कृषि के विकास में आ रही समस्याओं का निराकरण करना होगा। प्रो. कुमार ने कहा कि एफ.ए.ओ. के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का दो प्रतिशत कृषि शिक्षा के लिये उपयोग होना चाहिये। उन्होंने इस कांग्रेस की संस्तुतियों को लागू करवाने हेतु सरकार व नीतिनिर्धारकों से अनुरोध किया। पिछले साढ़े तीन वर्षों में परिषद ने विविध विषयों पर ब्रेन स्टार्मिंग सत्र, कृषि विज्ञान कांग्रेस, कार्यशालाएॅं, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि आयोजित कराये हैं जिनकी संस्तुतियों को सरकार व शासन को लागू कराने हेतु प्रेषित किया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त, उ.प्र. शासन श्री प्रदीप भटनागर ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह कांग्रेस समयानुकूल है। उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन में अग्रणी है लेकिन कृषि उत्पाद को उपभोक्ताओं तक पहुॅंचने की प्रक्रिया में काफी हानि हो जाती है, इस हानि को कम करते हुए उपभोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। मुझे आशा है कि इस कांग्रेस मंे वैज्ञानिकों के विचार-मंथन से महत्वपूर्ण संस्तुतियाॅं प्राप्त होंगी जो कृषकों के लिये लाभदायक होंगी। शासन स्तर पर इस कांग्रेस की संस्तुतियों को लागू कराने का प्रयास किया जायेगा।
अमेरिका के वैज्ञानिक चाल्र्स लिंसे विल्सन ने वल्र्ड हंगर (वैश्विक भुखमरी) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृषि के विकास तथा पोस्ट हार्वेस्ट में होने वाली क्षति को रोकने के लिये नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिये।
चीन के वैज्ञानिक प्रो. यांग रूई ली ने इस महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित कांग्रेस का आयोजन सामयिक है, शस्येत्तर तकनीक कृषि का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कांग्रेस की सफलता की कामना की।
माननीय मुख्यमंत्री, उ.प्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्यक्रम में पधारे माननीय कृषि मंत्री, उ.प्र. श्री विनोद कुमार सिंह ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि हुई है किन्तु शस्येत्तर प्रबन्धन में कुछ खामियाॅं होने के कारण कृषि उत्पादों का एक तिहाई भाग नष्ट हो रहा है जिसमें लगभग रू. 200 करोड़ का नुकसान केवल औद्यानिक उत्पादों में हो रहा है। इस नुकसान को रोकने के लिये कृषि तकनीकों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों हेतु प्रसंस्करण के लिये सब्सिडी का भी प्रबंध किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल, श्री रामनाईक ने डिजिटलाईज तकनीक का लाभ कृषि क्षेत्र को भी देने तथा प्रयोगशालाओं का ज्ञान शीघ्रातिशीघ्र खेतों तक पहुॅंचाने पर जोर देते हुए कहा कि आज भारत देश के लिये पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्नों का उत्पादन करने के साथ-साथ निर्यात भी करने लगा है जिसका सारा श्रेय कृषकों एवं कृषि वैज्ञानिकों को जाता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हमारे कृषि उत्पादों का एक तिहाई अभी जो शस्येत्तर क्रियाओं के बाद नष्ट हो रहा है उसे रोकने की तकनीक पर यह कांग्रेस समुचित विचार-विमर्श कर किसानों तक पहुॅंचाने का प्रयास करेगा। किसानों की समृद्धि को ही समृद्ध देश की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन के साथ-साथ विपणन, परिवहन और भण्डारण सम्बन्धी तकनीक पर भी विचार किये जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अत्यंत गर्व की बात है कि उत्तर प्रदेश सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ पानी, वातावरण व अच्छी भूमि से समृद्ध है, इसके साथ ही किसानों को भी समृद्ध बनाने के लिये कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने किसानों के उत्पाद को उपयुक्त बाजारों में भेजकर समुचित मूल्य मुहैया कराये जाने का आह्वान किया ताकि शस्येत्तर क्षति कम हो सके और किसानों का लाभ बढ़ सके। उन्होंने कृषि उत्पादों के अपशिष्टों के सदुपयोग पर जोर दिया। किसानों के अनुभव एवं वैज्ञानिकों के नई तकनीकी ज्ञान के समन्वय की अत्यंत आवश्यकता है। इस कांग्रेस का लखनऊ में आयोजित होना अत्यंत समीचीन है।
मा. राज्यपाल द्वारा उक्त अवसर पर बायोवेद, इलाहाबाद, आई.आई.एस.टी., लखनऊ, बायोटेक पार्क, एन.बी.आर.आई., लखनऊ, सी.एफ.टी.आर.आई., लखनऊ, सी.आई.एस.एच., लखनऊ, पी.एन.बी., महेन्द्रा, एच.टी.ए.आई. द्वारा लगाये गये स्टाल का उद्घाटन किया गया।
कांग्रेस के प्रथम दिन पहले प्लेनरी सेशन में “इन्क्रीजिंग वल्र्ड फूड सप्लाई बाई रिड्यूसिंग पोस्ट-हार्वेस्ट लाॅसेस एण्ड वेस्ट” विषय पर डा. विल्सन ने तथा दूसरे प्लेनरी सेशन में ”एग्रीकल्चर एजुकेशन एण्ड पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नालाजी इन इण्डिया“ विषय पर डा. मंगला राय, पूर्व महानिदेशक, आई.सी.ए.आर. ने व्याख्यान दिया। विषय पर व्याख्यान दिया। इसके अतिरिक्त पाॅंच तकनीकी सत्रों में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिये गये।

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