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नौसेना प्रमुख सिंगापुर और थाईलैंड का दौरा करेंगे

देश-विदेश

नई दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धोवन पांच दिनों के दौरे पर सिंगापुर (20-22 जुलाई) और थाईलैंड (23-25 जुलाई) के  लिए रवाना होंगे। उनके दौरे का उद्देश्‍य भारत का इन देशों की नौसेनाओं के साथ और भी अधिक समन्‍वय कायम करना और भारत की ‘एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी’ के अनुसार संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में संभावनाओं की तलाश करना है।

सिंगापुर का दौरा : सिंगापुर के अपने दौरे के समय नौसेना प्रमुख रक्षा मंत्री, रक्षा बलों के प्रमुख और नौसेना प्रमुख सहित विभिन्‍न गणमान्‍य लोगों से मुलाकात करेंगे। एडमिरल धोवन प्रतिष्‍ठित सिंगापुर आर्म्ड फोर्सेस ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट (एसएएफटीआई एमआई) भी जाएंगे और शिक्षकों के साथ-साथ युवा और मध्‍यम स्‍तर के अधिकारियों के साथ संवाद करेंगे। इस दौरान एडमिरल धोवन चांगी नौसेना बेस में संचालन संबंधी सुविधाओं को देखने के साथ-साथ सिंगापुर की समुद्रतटीय सुरक्षा की देखरेख से जुड़े इंटरनेशनल डाटा फ्यूजन सेंटर (आईएफसी), मैरीटाईम क्राइसिस सेंटर, रीजनल ह्यूमेनिटेरियन असिस्‍टेंस डिजास्‍टर रिलीफ (एचएडीआर) कॉओर्डिनेशन सेंटर (आरएचसीसी) के बारे में भी जानकारी प्राप्‍त करेंगे।

भारत और सिंगापुर के बीच चोलवंश (चोलाज) के शासन काल से संबंध कायम है, जिन्‍हें प्रायद्वीप के नामकरण और स्‍थायी बंदोबस्‍त स्‍थापित करने का श्रेय मिलता है। आधुनिक काल में, वर्ष 1965 में सिंगापुर की स्‍वतंत्रता के बाद भारत इसके साथ राजनयिक संबंध स्‍थापित करने वाले पहले देशों में से एक है।  वर्तमान में दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंधों में व्‍यापक रक्षा सहयोग सहित नियमित उच्‍च स्‍तरीय वार्ताएं शामिल हैं।

दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग में नौसेना संचालनों से जुड़े प्राय: सभी आयाम शामिल हैं। दोनों नौसेनाओं के बीच 1994 में द्विपक्षीय अभ्‍यास शुरू किया गया था और जिसकी परिणति सर्वाधिक व्‍यापक सिमबेक्‍स (सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय समुद्री अभ्‍यास) के रूप में हुई। हाल ही, मई 2015 में दक्षिणी चीन समुद्र में सिमबेक्‍स-15 का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों नौसेनाओं के जहाजों और समुद्र की निगरानी करने वाली विमानों ने भाग लिया।

थाईलैंड का दौरा :  नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धवन 23 से 25 जुलाई, 2015 के बीच थाईलैंड का भी दौरा करेंगे। उनके इस दौरे का लक्ष्‍य दोनों देशों के बीच मौजूदा समुद्री सहयोग की समीक्षा करना और उसे उच्‍चतम स्‍तर पर आगे बढ़ाना है।

 अपने दौरे के समय नौसेना प्रमुख थाईलैंड के रक्षा मंत्री, रक्षा बलों के प्रमुख और रॉयल थाई नौसेना के कमान प्रमुख से बातचीत करेंगे। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्‍य से जिन प्रमुख क्षेत्रों पर विचार किया जा रहा है, उनमें हाइड्रोग्राफी, व्‍हाइट शिपिंग इन्‍फॉर्मेशन के आदान-प्रदान के माध्‍यम से समुद्री क्षेत्र में व्‍यापक जागरूकता कायम करना और अन्‍य ऐसे क्षेत्रों में समन्‍वित निगरानी का दायरा बढ़ाना शामिल है।

भारत और थाईलैंड एक-दूसरे के विस्‍तारित पड़ोस में स्‍थित होने के नाते अंडमान सागर में दोनों देशों की साझा समुद्री सीमा है। थाईलैंड के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों की नींव सदियों पुराने सामाजिक और सांस्‍कृतिक संबंधों के साथ-साथ जन-जन के बीच व्‍यापक संबंधों में स्‍थित है।  थाईलैंड के लोगों का बड़ी संख्‍या में भारत के तीर्थस्‍थलों पर नियमित रूप से आना बौद्ध धर्म के साझा संबंधों को दर्शाता है। थाई भाषा पर पाली और संस्‍कृत का काफी प्रभाव है।

पिछले दो दशकों से, नियमित तौर पर राजनीतिक आदान-प्रदान, बढ़ते व्‍यापार और निवेश के बल पर थाईलैंड के साथ भारत  का संबंध अब एक व्‍यापक साझेदारी के रूप में उभरा है। भारत की ‘एक्‍ट ईस्‍ट’ नीति की सराहना थाईलैंड की ‘लुक वेस्‍ट’ पालिसी द्वारा की गई है और यह दोनों देशों को एक-दूसरे के निकट लाने में मददगार रही है।

दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग को रक्षा क्षेत्र में सहयोग का अग्रणी घटक माना जाता है। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच वार्ताओं के माध्‍यम से भारतीय नौसेना रॉयल थाईलैंड नेवी के साथ लगातार संवाद करती रही है। दोनों नौसेनाएं इंडियन ओशन नेवल सिम्‍पोजियम (आईओएनएस), वेस्‍टर्न पेसिफिक नेवल सिम्‍पोजियम (डब्‍ल्‍यूपीएनएस) और मिलन (एमआईएलएएन) (वर्ष में दो बार पोर्टब्‍लेयर में आयोजित), जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी संवाद करती हैं। भारतीय नौसेना और थाई नौसेना वर्ष में दो बार अंतर्राष्‍ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) की समन्‍वित निगरानी (सीओआरपीएटी)  करती हैं। श्रेष्‍ठ परंपराओं और अनुभवों के आदान-प्रदान के साथ-साथ मौसम विज्ञान/सुनामी चेतावनी के क्षेत्र में सहयोग करना भी दोनों देशों के बीच नौसेना सहयोग में शामिल हैं।

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