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ग्रामीण क्षेत्र की जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकास कार्य करने की आवश्यकता

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: पंचायती राज निदेशालय, उ.प्र., लखनऊ के प्रायोजन से उद्यमिता विकास संस्थान, उ.प्र., लखनऊ द्वारा एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन ठोस एवं तरल आपशिष्ट प्रबंधन – गाइड लाइन्स एवं इनफोरमेशन एजूकेशन एण्ड कम्यूनिकेशन (आई.ई.सी.) रणनीति पर दिनांक 8-10 जुलाई,2015 तक होटल माइराइड, लखनऊ में आयोजित की जा रही है।

इस श्रृंखला के द्वितीय कार्यशाला आयोजन के द्वितीय दिवस में श्री प्रमोद डबरास, विशेषज्ञ ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने नीतियों के बनाने एवं उनके क्रियान्वित करने तथा उनके विकास में निभाई जाने वाली भूमिका पर प्रकाश डाला तथा साॅलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेन्ट (एस.एल.डब्ल्यू.एम.) को प्रक्रिया के तहत् लाभकारी बनाए जाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में श्री एन.पी. सिंह एवं श्री भाई शैली विशेषज्ञ यूनीसेफ ने इस बात पर जोर दिया कि सर्वप्रथम हमें लोगों को खुले में शौच जाने की सोच को बदलना होगा। जिसके लिए उनके आन्तरिक इच्छा में बदलाव की आवश्यकता है। उन्होनें यह भी कहा कि हमें विभिन्न तरीकांे से काम करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला में श्री पियूष चक्रवर्ती आई.ई.सी. विशेषज्ञ ने विभिन्न प्रायोगिक क्रियाओं के माध्यम से प्रतिभागियों को आई.ई.सी. के महत्व को समझाया। उन्होनें कहा कि विभिन्न ग्रामीण एवं शहरी स्थानों पर सृजनात्मक विकास संचार के व्यवहारिक प्रयोगों ने यह सिद्व कर दिया कि इस प्रक्रिया से निकलना मानवीय समाज में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं मानसिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लाने में पूर्णतः सफल है। हम ग्रामीण क्षेत्र की जनसमुदाय की जरूरतों को ध्यान में रखकर सृजनात्मक विकास संचार को आधार बनाकर संप्रेषण व प्रसार का कार्य करें। जिससे जनसमुदाय में विकास के प्रति जागरूकता एवं रूझान स्पष्ट रूप से स्वीकार्य हो। जिसके परिणाम स्वरूप समाज, उत्साह एवं सही रणनीति के साथ, सहभागी बनकर, विकास के क्षेत्र में अपनी भागीदार सुनिश्चित कर सकें।

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