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भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्याओं की घटनाओं की रोकथाम के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइन्स का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश

उत्तर प्रदेश

लखनऊप्रदेश शासन ने भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्याओं की घटनाओं की रोकथाम के सम्बन्ध में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका (सिविल) संख्या-754/2016 तहसीन एस0 पूनावाला बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया व अन्य की सुनवाई के दौरान निर्गत गाइडलाइन्स का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव गृह द्वारा पुलिस महानिदेशक एवं समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को सम्बोधित एक शासनादेश जारी किया गया है।

मा0 उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइन्स को संलग्न करते हुए 28 अगस्त, 2018 के इस शासनादेश में उल्लिखित किया गया है कि माॅब वाइलेंस ;उवइ अपवसमदबमद्ध और लिंचिंग ;स्लदबीपदहद्ध की घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक जनपद के प्रभारी पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ‘नोडल अधिकारी’ नामित किया जाता है। पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारियों को अपनी सहायता हेतु नामित किया जाएगा। नोडल अधिकारी तथा नामित पुलिस उपाधीक्षक के अधीन एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो ऐसे लोगों के सम्बन्ध में अभिसूचना प्राप्त कर कार्यवाही करेंगे, जिनके द्वारा घृणित भाषण, भड़काऊ टिप्पणी तथा असत्य खबरें/अफवाह फैलाने की सम्भावना हो अथवा जो उपरोक्त अपराधों में लिप्त हों। इस टास्क फोर्स में स्थानीय अभिसूचना इकाई तथा सिविल पुलिस के योग्य अधिकारियों को रखा जाएगा। इस टास्क फोर्स के स्वरूप के सम्बन्ध में विस्तृत आदेश पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा निर्गत किए जाएंगे।

नोडल अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वो अपने स्तर पर सभी थानाध्यक्षों तथा स्थानीय अभिसूचना इकाई के साथ माह में कम से कम एक बैठक कर टपहपसंदजपेउ, माॅब वाइलेंस ;उवइ अपवसमदबमद्ध और लिंचिंग ;स्लदबीपदहद्ध की प्रवृत्तियों के आसतित्व के बारे में सूचना एकत्रित कर उसे चिन्हित करेंगे। इसके अतिरिक्त नोडल अधिकारी द्वारा भड़काऊ सामग्री को सोशल मीडिया ;ेवबपंस उमकपंद्ध के माध्यम से फैलाने के प्रयासों पर प्रभावी अंकुश लगाएंगे। नोडल अधिकारी किसी सम्प्रदाय या जाति, जो इस प्रकार की घटनाओं में निशाने पर हों, के विरुद्ध आक्रामक वातावरण को समाप्त करने हेतु प्रयास करेंगे।

समस्त नोडल अधिकारी 03 सप्ताह के अंदर अपने जनपदों में ऐसे संवेदनशील गांव या क्षेत्र या उपखण्ड ;ेनइ कपअपेपवदद्ध चिन्हित करेंगे, जहां विगत 05 वर्षों में अपहपसंदजपेउ के कारण घटित भीड़ द्वारा हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्धध्लिंचिंग ;सलदबीपदहद्ध घटनाएं दर्ज हुई हों। मुख्यालय पुलिस महानिदेशक में पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी को ‘राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी’ नामित किया जाएगा, जो समस्त नोडल अधिकारियों से प्राप्त सूचना को संकलित करते हुए इस प्रकार की घटनाओं के लिए संवेदनशील जनपदों का चयन करते हुए सूचना शासन को प्रेषित करेगा व मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के पालन किए जाने का भी अनुश्रवण करेगा।

नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके जनपद में उपरोक्तानुसार चिन्हित संवेदनशील स्थानों के थाना प्रभारी अपने क्षेत्र में किसी भी भीड़ द्वारा हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्ध की घटना की जानकारी होने पर विशेष सावधानी बरतें व तत्परता से कार्यवाही करें।

राज्य स्तर पर पुलिस महानिदेशक/गृह विभाग द्वारा 03 माह में पुलिस महानिदेशक, अभिसूचना तथा नोडल अधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक की जाएगी। नोडल अधिकारी अपहपसंदजपेउ के कारण भीड़ द्वारा घटित हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्धध्लिंचिंग ;सलदबीपदहद्ध से निपटने हेतु रणनीति तैयार करने हेतु अंतर्जनपदीय समन्वय तथा इससे सम्बन्धित राज्य स्तरीय मुद्दों को पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 की जानकारी में लाएंगे।

रेडियो, टेलीविजन एवं अन्य मीडिया प्लेटफाॅर्म एवं गृह पुलिस विभाग की आॅफीशियल वेबसाइट के माध्यम से यह संदेश प्रसारित किया जाए कि किसी भी प्रकार के अपहपसंदजपेउ के कारण घटित भीड़ द्वारा हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्धध्लिंचिंग ;सलदबीपदहद्ध की घटना में कठोर कार्यवाही की जाएगी व विधि अंतर्गत गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।

किसी भी गैर जिम्मेदाराना व भड़काऊ संदेश, वीडियो अथवा सोशल मीडिया पर किसी प्रकार की सामग्री, जो भीड़ द्वारा हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्धध्लिंचिंग ;सलदबीपदहद्ध को भड़का सकती हो, के प्रचार-प्रसार को रोकने हेतु सभी सम्भव प्रयास किए जाएं और उसे रोका जाए। इस हेतु दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध पुलिस द्वारा धारा-153ए भादवि के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए।

जो पुलिस अधिकारी/कर्मचारी अथवा प्रशासनिक अधिकारी/कर्मचारी इस प्रकार की घटनाओं को प्रभावी तौर पर रोकने तथा या उनकी तत्परता से विवेचना करने तथा या न्यायालय द्वारा शीघ्र विचारण को सुगम बनाने के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के पालन करने में विफल रहेंगे तो यह समझा जाएगा कि इनके द्वारा यह कृत्य जानबूझ कर की गयी लापरवाही/दुराचार है तथा उसके लिए समुचित कार्यवाही की जाएगी, जो उनके विरुद्ध सुसंगत सेवा नियमावली के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाही किए जाने तक सीमित नहीं होगी। इस सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा ।तनउनहंउ ैमतअंप अेण् ैजंजम व िज्ंउपस छंकन में दिए गए निर्णय के अनुसार ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी, जो पूर्व जानकारी होते हुए भी ऐसी घटनाओं को नहीं रोकते हैं अथवा घटना की जानकारी मिलने पर दोषियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुए त्वरित रूप से नहीं पकड़ते हैं।

पूर्व में शासन स्तर से पुलिस पेट्रोलिंग तथा राजमार्गों पर पेट्रोलिंग के सम्बन्ध में निर्देश निर्गत किए गए थे। पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 से अपेक्षा की जाती है कि पूर्व निर्गत शासनादेशों में दिए गए निर्देशों तथा मा0 न्यायालय के उपरोक्त आदेश के प्रस्तर.40। ;अपपपद्धए 40ठ ;पद्धए 40ठ ;पपद्धए 40ठ ;पपपद्ध में संवेदनशील स्थानों में पुलिस गश्त, त्वरित उचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत करने व उसके प्रभावी विवेचना करने तथा अभियुक्तों की गिरफ्तारी एवं पीड़ित व्यक्ति व उसके परिजनों की सुरक्षा आदि के सम्बन्ध में दिए गए निर्देशों के क्रम में एक समेकित आदेश निर्गत करना सुनिश्चित करेंगे।

राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, 2014 गृह (पुलिस) अनुभाग-9 के अधिसूचना संख्या-653/छः-पु-9-14-31(90)-2010 दिनांक 09 अप्रैल, 2014 को अधिसूचित की गयी थी, जिसे शासनादेश संख्या-210/छ-पु-15-2016 दिनांक 14.06.2016 द्वारा संशोधित किया गया है। सभी नोडल अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि अपहपसंदजपेउ के कारण घटित भीड़ द्वारा हिंसा ;उवइ अपवसमदबमद्धध्लिंचिंग ;सलदबीपदहद्ध की घटना में पीड़ित व्यक्ति/व्यक्तियों को इसके अंतर्गत मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 30 दिन के अंदर क्षतिपूर्ति दिलाना सुनिश्चित करें।

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