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उद्योग संगठनों को अपने सदस्‍यों के बीच नैतिक आचरण को बढ़ावा देना चाहिए: उपराष्‍ट्रपति

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नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने वाणिज्‍य एवं उद्योग मंडलों का आह्वान किया है कि वे अपने सदस्‍यों के बीच कॉरपोरेट गवर्नेंस में नैतिक आचरण के साथ-साथ कर अनुपालन और कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व के निर्वहन को भी बढ़ावा दें। उन्‍होंने उद्योग जगत से व्हि‍सलब्‍लोअर के लिए अनुकूल माहौल बनाने को भी कहा, ताकि वे किसी भी गलत कार्य के बारे में बिना भयभीत हुए जानकारी दे सकें।

उपराष्‍ट्रपति ने आज नई दिल्‍ली में एसोचैम के 98वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए इस बात पर विशेष जोर दिया कि भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के प्रति शून्य सहिष्णुता को अपनाने की जरूरत है।

उपराष्‍ट्रपति ने कारोबारी संगठनों को भारत के विकास में मुख्‍य वाहक की संज्ञा देते हुए उनसे देश के व्‍यापक हितों की पूर्ति के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण विकसित करने को कहा। उन्‍होंने बदलते वैश्विक परिदृश्‍य के अनुरूप व्‍यापार एवं वाणिज्‍य को प्रभावशाली ढंग से बढ़ावा देने के लिए नई सोच विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत उद्योग जगत की प्रगति और भागीदारी के बिना अपना कल्‍याण एजेंडा लागू नहीं कर सकता है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लागू किए गए विमुद्रीकरण एवं वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे महत्‍वपूर्ण ढांचागत सुधारों की बदौलत औपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था का विस्‍तार हुआ है, कर अनुपालन में वृद्धि दर्ज की गई है और इसके साथ ही कर आधार भी बढ़ गया है।

उपराष्‍ट्रपति ने देश के युवाओं को समुचित शिक्षा एवं कौशल प्रदान करने के साथ-साथ उनमें उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्‍यकता पर भी विशेष जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि देश के युवाओं की क्षमता का भरपूर उपयोग करना चाहिए और इसके साथ ही युवा आबादी के मामले में भारत को हासिल बढ़त का इस्‍तेमाल देश में विकास की संभावनाएं बढ़ाने में किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि हमें निश्चित रूप से युवाओं को सशक्‍त बनाना चाहिए, ताकि वे रोजगार मांगने के बजाय रोजगारों का सृजन करें।

केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु और अन्‍य गणमान्य व्‍यक्ति भी इस अवसर पर पर उपस्थित थे।

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