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भारत, एमपीए के सह-प्रायोजन के लिए अक्टूबर 2021 के आखिर में ऑस्ट्रेलिया, नोर्वे, उरुग्वे और ब्रिटेन के साथ जुड़ेगा: डॉ जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

भारत ने कल शाम हुई मंत्री स्तरीय शिखर बैठक में अंटार्कटिक पर्यावरण संरक्षण और पूर्वी अंटार्कटिक तथा वेड्डेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्र (एमपीए) के अंतर्गत लाने के यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के सह-प्रयोजक की लिए अपना समर्थन जताया।

यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों के संबन्धित मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री; लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस आशय की प्रतिबद्धता प्रकट की।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि “भारत, अंटार्कटिक पर्यावरण के संरक्षण में निरंतर चलने वाले उपायों का समर्थन करता है।” उन्होंने कहा किचोरी-छिपे और अवैध तरीके से मछली पकड़ने की गतिविधियों को विनियमित करने के लिए प्रस्तावित दोनों एमपीए आवश्यक हैं। उन्होंने अंटार्कटिक मरीन लिविंग रिसोर्सेज (सीसीएएमएलआर) के सदस्य देशों के संरक्षण आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि भारत भविष्य में इन एमपीए के नियमों के निर्धारण, इनको अपनाने के तौर तरीकों और कार्यान्वयन तंत्र से जुड़ा रहे।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा किपूर्वी अंटार्कटिक और वेड्डेल सागर को एमपीए के अंतर्गत लाने के संबंध में पहली बार प्रस्ताव 2020 में सीसीएएमएलआर के सामने रखा गया था, लेकिन उस समय आम सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने कहा किउसके बाद से प्रस्ताव के सह-प्रायोजक के लिए ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, उरुग्वे और ब्रिटेन के साथ सहमत होने के विषय में पर्याप्त प्रगति हुई है। डॉ सिंह ने कहा कि अक्टूबर 2021 के आखिर तकभारत, एमपीए के प्रस्तावों के सह-प्रायोजन में इन देशों के साथ शामिल हो जाएगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों को सूचित किया कि भारत ने 1981 में दक्षिणी हिंद महासागर क्षेत्र के माध्यम से अंटार्कटिक अभियान शुरू किया था और तब से इस संबंध में भारत पीछे नहीं हटा है। उन्होंने कहा कितब से 2021-22 तक 41 अभियान की योजना में से भारत ने 40 अभियान पूरे किए हैं और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपने अंटार्कटिक दृष्टिकोण को बनाए रखने में अपने हितों को मजबूत किया है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, यह पहली बार है जब भारत सीसीएएमएलआर में एक एमपीए प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने और अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, कोरिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रहा है, जो एमपीए प्रस्तावों का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमपीए प्रस्तावों को समर्थन और सह-प्रायोजित करने पर विचार करने का भारत का निर्णय, संरक्षण और सतत उपयोग सिद्धांतों और वैश्विक सहयोग ढांचे (जैसे सतत विकास लक्ष्य, महासागरों का संयुक्त राष्ट्र दशक, जैव विविधता पर समझौताआदि) का पालन करने से प्रेरित है, जिनका भारत भी हस्ताक्षरकर्ता है।

मंत्रिस्तरीय शिखर बैठक की मेजबानी ईयू के पर्यावरण, महासागरों और मत्स्य पालन आयुक्त, वर्जिनिजससिंकेविसियस द्वारा की गई थी। इस बैठक में लगभग 18 देशों के मंत्रियों, राजदूतों और देश के आयुक्तों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य एमपीए प्रस्तावों के सह-प्रायोजकों की संख्या में वृद्धि करना और सीसीएएमएलआर द्वारा उनके तेजी से अपनाने के लिए एक संयुक्त रणनीति और भविष्य की कार्रवाइयों को प्रतिबिंबित करना था।

सीसीएएमएलआर संपूर्ण अंटार्कटिक समुद्री इको सिस्‍टम की प्रजातियों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए अंटार्कटिक मत्स्य पालन के प्रबंधन की एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। सीसीएएमएलआर अप्रैल 1982 में लागू हुआ। भारत सीसीएएमएलआर का 1986 से स्थायी सदस्य रहा है। सीसीएएमएलआर से संबंधित कार्य भारत में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अपने संबद्ध कार्यालय-सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी (सीएमएलआरई) कोच्चि, केरल के माध्यम से समन्वित किया जाता है।

एमपीए किसी क्षेत्र विशेष का समुद्री संरक्षण सुनिश्चित करता है, जिसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों या संसाधनों के कुछ हिस्से को संरक्षित करने के लिए सुरक्षा प्रदान की जाती है। एमपीए क्षेत्र के दायरे में कुछ गतिविधियां विशिष्ट संरक्षण, प्राकृतिक आवास संरक्षण, इको सिस्‍टम निगरानी, या मत्स्य प्रबंधन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सीमित या प्रतिबंधित हैं। दक्षिणी महासागर के विभिन्न क्षेत्रों के लिए 2009 सेसीसीएएमएलआर सदस्यों ने एमपीए के लिए विभिन्न प्रस्ताव तैयार किए हैं। इन प्रस्तावों की सीसीएएमएलआर की वैज्ञानिक समिति द्वारा जांच की जाती है। इन प्रस्तावों पर सीसीएएमएलआर सदस्यों के सहमत होने के बाद, सीसीएएमएलआर द्वारा विस्तृत संरक्षण उपाय निर्धारित किए जाते हैं।

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