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आजमगढ़ में 200 लोगों से ऑनलाइन कंपनी ने एक करोड़ ठगे, लोग ऐसे हुए शिकार

उत्तर प्रदेश

पैसा दोगुना करने वाले गैंग का गुरुवार को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया। गिरोह के नौ सदस्यों को गुरुवार को जेल भेज दिया गया।  ब्लू वर्ड ऑनलाइन कंपनी ने शहर में डेढ़ माह पहले अपना कारोबार शुरू किया था। जालसाज करीब 200 लोगों को फंसाकर एक करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुके थे।

छापेमारी के दौरान आरोपियों के पास से 2.57 लाख रुपये नकद, चार लैपटॉप व 9 मोबाइल सेट बरामद किए गए हैं। गुरुवार को एसपी ग्रामीण एनपी सिंह ने बताया कि कुछ लोग द्वारा फर्जी कंपनियों के माध्यम से ऑनलाइन पैसा जमा कराकर दो गुना लाभ देने का दावा करने वालों के बारे में मुखबिर से सूचना मिली थी।

एसपी ग्रामीण ने कहा कि दो दिनों की पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपियों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार अब तक एक करोड़ का कारोबार इन लोगों द्वारा आजमगढ़ जिले में किया जा चुका है। इस फर्जी पैसा दोगुना करने के धंधे में पैसा लगाने वालों की संख्या भी लगभग दो सौ के आसपास है। इस अवैध कारोबार में और भी लोग शामिल हो सकते है, जिनकी तलाश की जा रही है।

उनके द्वारा अलग-अलग होटलों में कमरा किराये पर लेकर कंपनियों का संचालन किया जा रहा था। पुलिस छापा मारकर कई लोगों को थाने ले आई। लेकिन मामले का खुलासा दो दिन बाद गुरुवार को किया गया।

पकड़े लोगों में विंध्याचल यादव पुत्र नेहरू यादव निवासी भावापुर थाना बिलरियागंज, हीरालाल पुत्र रामनयन यादव निवासी नियाऊज थाना कोतवाली फूलपुर, आकाश सिंह पुत्र नंद किशोर सिंह निवासी पुलिस लाइन आजमगढ़, अजय कुमार सिंह पुत्र राजेंद्र बहादुर सिंह निवासी मनिकाडीह थाना कोतवाली जीयनपुर, रजनीश राय पुत्र रामकृपाल राय निवासी तरौका थाना कोतवाल जीयनपुर, चंदन प्रसाद पुत्र सुरजराम निवासी लेडूवा थाना तहबरपुर, आनंद कुमार यादव पुत्र रामनाथ यादव निवासी बरजला गांगेपुर थाना जीयनपुर, रवि मौर्य पुत्र मनीराम निवासी करेन्हुआ थाना कंधरापुर व घनश्याम गुप्ता पुत्र सुखदेव निवासी पिडहनी थाना बड़हलगंज जिला गोरखपुर शामिल है।

आरोपी पोंजी स्कीम (चेन सिस्टम) के जरिए धंधा चला रहे थे। एक व्यक्ति से पैसा जमा करने के बाद उसे लाभ देने के लिए और लोगों को जोड़ने को कहा जाता था। अधिक लाभ के चक्कर में लोग अपनों को इससे जोड़ने के लिए उनका भी पैसा जमा करते थे। नियमत: पैसे के लेनदेन से संबंधित काम करने के लिए दो माध्यम होते है एक तो बैंक दूसरे आईपीओ। जो रिजर्व बैंक और सेबी के अधीन होते है। लेकिन पोंजी स्कीम के तहत लोगों से पैसा जमा कराने वाले इन लोगों के पास न तो रिजर्व बैंक अथवा न ही सेबी से कोई प्रमाण पत्र जारी हुआ था। इनके द्वारा जो पत्र दिखा जा रहा था वह जांच में पूरी तरह से फर्जी पाया गया। अमर उजाला

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