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मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका को सुदृढ़ किए जाने के लिए सहयोगात्मक संघवाद पर बल देते हुए केन्द्र सरकार से न्यायिक प्रशासन के लिए राज्य सरकार को अपेक्षित सहयोग दिए जाने का अनुरोध किया

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि सहयोगात्मक संघवाद को बल देते हुए केन्द्र सरकार से न्यायिक प्रशासन हेतु राज्य सरकार को अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जाए, जिससे न्यायपालिका को सुदृढ़ किया जा सके।

इस सम्बन्ध में उन्होंने प्रधानमंत्री के 23 अप्रैल, 2015 के पत्र का उल्लेख किया है, जिसमें चैदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में केन्द्रीय अंतरण  में वृद्धि के दृष्टिगत राज्य को प्राप्त हो रहे फिस्कल स्पेस के अधीन पर्याप्त धनराशि का आवंटन करने की अपेक्षा राज्य सरकार से की गई है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि वर्ष 2014-15 में केन्द्रीय करों के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के लिए 75,416 करोड़ रुपए के प्राविधान पर 15 प्रतिशत की सामान्य वृद्धि आंकलित करते हुए वर्ष 2015-16 के राज्य के बजट में केन्द्रीय अंश 86,729 करोड़ लिया गया है, जबकि 14वें वित्त आयोग की संस्तुति के परिप्रेक्ष्य में केन्द्रीय बजट में यह धनराशि 94,314 रुपए निर्धारित की गई है। अतः वास्तविक रूप से देखा जाए तो केन्द्रीय करों में राज्यांश के रूप में राज्य को वर्ष 2015-16 में मात्र 7,585 करोड़ रुपए का अतिरिक्त फिस्कल स्पेस ही प्राप्त हो रहा है।
श्री यादव ने उल्लेख किया है कि केन्द्रीय सरकार द्वारा कतिपय योजनाओं को बजट से डि-लिंक कर दिया है अथवा केन्द्रीय बजट में धनराशि की व्यवस्था नहीं की गई है। साथ ही, 13वें वित्त आयोग की संस्तुति के क्रम में राज्य को सहायता अनुदान/विशेष समस्या अनुदान के रूप में प्राप्त कोई भी धनराशि अब प्राप्त नहीं होगी। अतः इनसे राज्य सरकार को लगभग 9,500 करोड़ रुपए की प्राप्ति वर्ष 2015-16 में नहीं होगी तथा उपलब्ध फिस्कल स्पेस 7,585 करोड़ रुपए का समायोजन इन दोनों मदों में ही हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय पुरोनिधानित योजना के वर्ष 2014-15 के बजट अनुमान के सापेक्ष वर्ष 2015-16 में लगभग 44 प्रतिशत की कमी की गई है। केन्द्रांश में की गई इस कमी का वित्त पोषण राज्य सरकारों को अपने संसाधनों से ही वहन करना होगा। इस सम्बन्ध में यद्यपि पूर्ण स्थिति अभी अस्पष्ट है, परन्तु प्रदेश द्वारा किए गए आंकलन के अनुसार राज्य सरकार पर लगभग 8,500 करोड़ रुपए या इससे अधिक का भार सम्भावित है, जिसके लिए कोई फिस्कल स्पेस राज्य सरकार को उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति और विकट हो जाएगी यदि केन्द्रीय बजट 2015-16 में राज्य के अनुमानित अंश 94,314 करोड़ रुपए की वास्तविक प्राप्ति में कमी होती है, जैसा कि पूर्व वर्षों में अनुभव किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस परिप्रेक्ष्य में राज्य के सीमित संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए चैदहवें वित्त आयोग की संस्तुति के अनुरूप आगामी पांच वर्षों में न्याय प्रणाली हेतु पूर्ण धनराशि केन्द्र सरकार के सहयोग के बिना राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाना कठिन होगा। मुख्यमंत्री ने मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा एस0सी0सी0 502 (2012) में 19 अप्रैल, 2012 को श्री बृज मोहन लाल बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया एवं अन्य में दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस निर्णय के अधीन प्रदेश में न्याय प्रणाली को मजबूत करने हेतु केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा समान रूप से व्ययभार को वहन किया जाना है।
मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका को सुदृढ़ किए जाने के लिए सहयोगात्मक संघवाद पर बल देते हुए केन्द्र सरकार से न्यायिक प्रशासन के लिए राज्य सरकार को अपेक्षित सहयोग दिए जाने का अनुरोध किया है।

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