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जी एस टी: पेट्रोल-डीजल समेत वो 4 मांगें, जो अब तक नहीं हुईं पूरी

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माल एवं सेवा कर (GST) को लागू हुए एक साल हो गया है. इस एक साल के दौरान इस नई टैक्स व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं, लेक‍िन इन सभी बदलावों के बावजूद कई ऐसी मांगें हैं, जो लंबे समय से चली आ रही हैं. इसमें जीएसटी रिटर्न फाइल करना आसान बनाने समेत अन्य मांगें शामिल हैं.

पेट्रोल-डीजल

जब से जीएसटी की व्यवस्था देश में लागू हुई है, तब से सबसे ज्यादा बार मांग पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे में लाने को लेकर उठी है. हाल ही में जब पेट्रोल और डीजल के दाम 84 का आंकड़ा पार कर गए थे, तब इस मांग को और बल मिला, लेक‍िन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. वित्त मंत्री अरुण जेटली और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कई बार यह मांग दोहरा चुके हैं.

पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उनकी सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है, लेकिन यह काम तब तक पूरा नहीं हो सकेगा, जब तक सभी राज्य इसके लिए तैयार नहीं हो जाते हैं. 1 जुलाई को जीएसटी को एक साल हो जाएगा, लेक‍िन अभी तक इस मोर्चे पर कोई पुख्ता फैसला नहीं लिया जा सका है.

कम टैक्स स्लैब:

देश के मुख्य आर्थ‍िक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने बुधवार को कहा कि अगर जीएसटी को बेहतर बनाना है, तो इसके लिए जरूरी है कि 28 फीसदी टैक्स का स्लैब खत्म किया जाए. वित्त मंत्री अरुण जेटली भी कई मौकों पर संकेत दे चुके हैं कि जीएसटी के मौजूदा 4 टैक्स स्लैब्स को घटाकर 2 किया जा सकता है. हालांकि टैक्स स्लैब कम करने को लेकर भी कोई आख‍िरी फैसला नहीं लिया गया है.

रियल इस्टेट का कब लगेगा नंबर?

पेट्रोल और डीजल के अलावा कई मौकों पर रियल इस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठती रही है. यहां तक क‍ि खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले साल कहा था कि रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर जीएसटी परिषद जल्द कोई फैसला ले सकती है. हालांकि अभी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.

रिटर्न भरना कब होगा आसान?

वित्त सचिव हसमुख अध‍िया ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी के तहत कारोबारियों के लिए रिटर्न भरना आसान करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. जीएसटी के एक साल के दौरान कारोबारियों की सबसे ज्यादा शिकायत रिटर्न भरने में आ रही दिक्कतों को लेकर थी. इसकी वजह से उनका रिफंड भी अटक रहा था. जिसके चलते उनके कारोबार पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.

जीएसटी लागू होने के पहले दिन से ही यह मांग की जा रही है कि जीएसटी के तहत रिटर्न भरना आसान किया जाए, लेकिन अभी तक इस मोर्चे पर भी सरकार खरी नहीं उतर पाई है. अभी भी वह सुधार करने में जुटी हुई है,लेकिन यह 100 फीसदी नहीं हो पाया है. आज तक

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