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परिवार एवं नियति आप चुनते हैं, ऐसा नहीं कि आप इसे लेकर पैदा होते हैं’ फर्नान्‍डा रामोंडो

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नई दिल्ली: आईएफएफआई 2016 की एक भव्‍य स्रकीनिंग में अर्जेंटीना की फिल्‍म ‘डोंट फोरगेट अबाउट मी’ का विश्‍व प्रीमियर आयोजित किया गया।

फिल्‍म की निदेशक सुश्री फर्नान्‍डा रामोंडो ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस फिल्‍म की पृष्‍ठभूमि 20 सदी के उत्‍तरार्ध के अर्जेंटीना की है और फिल्‍म की कहानी कई प्रकार की भावनाओं को प्रदर्शित करती है और वर्णन करती है कि किस प्रकार पूरी तरह से अजनबी व्‍यक्तियों के बीच मानवीय संबंध बन जाते हैं। यह फिल्‍म सजा पाए एक पूर्व बागी की पम्‍पास की यात्रा के बारे में है जो अपने आने वाले कल और अपने अंतिम गंतव्‍य को लेकर अनिश्चितता में जी रहा है। उन्‍होंने बताया कि भाग्‍य उसे दो सहोदर भाईयों से मिला देता है जो अपने पिता की तलाश में हैं और फिल्‍म की कहानी उनके बाद की यात्रा को लेकर आगे बढ़ती है।

सुश्री फर्नान्‍डा रामोंडो ने अपनी फिल्‍म की थीम की जानकारी देते हुए बताया कि फिल्‍म दर्शकों को एक संदेश देने का प्रयास करती है कि परिवार एवं नियति आप चुनते हैं, ऐसा नहीं कि आप इसे लेकर पैदा होते हैं। एक परिवार ऐसे लोगों से बना होता है जिनका भावनात्‍मक स्‍तर पर आपस में एक रिश्‍ता होता है और जरुरी नहीं कि केवल ऐसे लोगों तक ही यह सीमित हो जिनके आपस में खून के रिश्‍ते हों। इससे आगे उन्‍होंने कहा कि उनकी फिल्‍म की कहानी को जानबूझकर ऐसे मोड़ पर अनिर्णित छोड़ दिया गया है कि दर्शक खुद से निर्णय कर सकें कि वे इस कहानी का क्‍या अंत देखना चाहेंगे।

सुश्री फर्नान्‍डा रामोंडो ने फिल्‍म बनाने के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि पांच सप्‍ताह की अवधि में इस फिल्‍म को शूट करना एक मुश्किल भरा काम था। उन्‍होंने बताया कि चूंकि उनके देश में अब ऐसा कोई स्‍थान नहीं बचा हुआ है जो उस युग के अनुरुप लगता हो, इस फिल्‍म को छोटे गांवों में शूट किया गया जो कोई सहज काम नहीं था। वह आईएफएफआई में अपनी फिल्‍म के वर्ल्‍ड प्रीमियर को लेकर बहुत उत्‍साहित थीं और दर्शकों से मिले रिस्‍पांस को उन्‍होंने पसंद किया।

सुश्री फर्नान्‍डा रामोंडो ने अजेंटीना के फिल्‍म उद्योग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अजेंटीना एक वर्ष में लगभग 150 फिल्‍मों का निर्माण करता है और अजेंटीना का फिल्‍म उद्योग धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। अजेंटीना की सरकार फिल्‍मों के निर्माण के लिए सिनेमा संस्‍थान के जरिये फंडिंग करके मदद करती है। उन्‍होंने बताया कि वे स्‍पेन एवं इटली समेत कई देशों के साथ फिल्‍मों का सह निर्माण करते हैं और उन्‍हें भविष्‍य में भारत के फिल्‍म उद्योग के साथ सहयोग करने में बहुत खुशी होगी।

फिल्‍म की नायिका सुश्री कुमलेन सैंज ने कहा कि भारत आना उनका एक सपना था और खुशकिस्‍मती से उनकी पहली फिल्‍म के वर्ल्‍ड प्रीमियर के लिए उन्‍हें यहां आने का अवसर हो प्राप्‍त हो गया। फिल्‍म के बारे में अनुभवों को साझा करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस फिल्‍म के लिए नायिका की भूमिका निभाना उनके लिए एक चुनौती थी, लेकिन इस फिल्‍म के प्रारंभ होने से पहले छह महीनों तक उन्‍होंने इसका रिहर्सल किया जिससे उनका कार्य आसान हो गया। उन्‍होंने आगे बताया कि शूटिंग के लिए वे ऐसे गांवों में गए जिनकी आबादी 300 से भी कम थी जोकि खुद उनके लिए जीवन को बदलने वाला एक अनुभव साबित हुआ। ।

फिल्‍म की कला निदेशक सुश्री जुलिएटा अलेजांद्रा डोलिंस्‍की ने इस फिल्‍म को लेकर अपने अनुभवों को काफी मुश्किल भरा बताया। उन्‍हें 20वीं सदी के उत्‍तरार्ध के युग को समझने के लिए काफी अनुसंधान करना पड़ा। यह उनकी पहली फिल्‍म थी जिसकी कहानी प्राचीन समय से जुड़ी थी जिसकी वजह से उनके लिए यह एक अनूठी चुनौती बन गई। उन्‍होंने आगे बताया कि इस फिल्‍म का हिस्‍सा बनना एक प्रसन्‍नता की बात थी और इसे बनाने का उनका अनुभव काफी खुशनुमा रहा।

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