37 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

घरों में शौचालयों का निर्माण, उज्ज्वला, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला ई-हाट, एसटीईपी और वर्किंग वुमेन हॉस्टल का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है : डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि बीते 8 साल में हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन संबंधी सुधारों से महिलाओं के लिए “ईज ऑफ वर्किंग” यानी का काम की सुगमता संभव हुई है और समग्र रूप में ये अहम सामाजिक सुधार हैं जिनका उद्देश्य महिला कर्मचारियों को उच्च स्तर की गरिमा और आत्म-सम्मान के साथ अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने का एक अवसर उपलब्ध कराना है।

मातृशक्ति को समर्पित शिक्षक दिवस के अवसर पर डीओपीटी, डीएआरपीजी और पेंशन विभाग की महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, उनके मंत्रालय ने केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और पेशेवर के साथ ही पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन उपलब्ध कराने के लिए ठोस प्रयास किए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के 76वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण का उल्लेख किया, जहां मोदी ने कहा, “भारत की यात्रा के पिछले 75 साल की तुलना में अगले 25 साल में मैं ‘नारी शक्ति’, मेरी माताओं, बहिनों और बेटियों का कई गुना योगदान देख सकता हूं।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, 2014 में लाल किले पर अपने पहले संबोधन से ही मोदीजी ने घरों में शौचालयों का निर्माण, उज्ज्वला, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला ई-हाट या वर्किंग वुमेन हॉस्टल सहित कई योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने कहा, महिलाओं के लिए एसटीईपी (प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम को समर्थन) योजना का उद्देश्य कौशल उपलब्ध कराना है, जो महिलाओं को रोजगारपरक बनाते हैं और सामर्थ्य उपलब्ध कराते हैं। साथ ही ऐसे कौशल उपलब्ध कराते हैं, जिनसे महिलाएं स्वरोजगारी/ उद्यमी बन सकती हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सिर्फ तीन दिन पहले, डीओपीटी ने मृत बच्चा होने या जन्म के कुछ दिनों के भीतर नवजात बच्चे की मृत्यु होने पर केंद्र सरकार में कार्यरत महिला कर्मचारियों को 60 दिन का विशेष मातृत्व अवकाश देने का ऐतिहासिक फैसला किया है। उन्होंने कहा कि डीओपीटी ने केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और उनके सामने आने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए महिला कर्मचारियों के हित में समय-समय पर नियमों/ विनियमों में विशेष प्रावधानों को रेखांकित करते हुए विभिन्न निर्देश जारी किए हैं।

महिला कल्याण के लिए किए गए कुछ अहम सुधारों/ पहलों का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, 730 दिनों के सीसीएल के अनुदान को जारी रखने, जब एक कर्मचारी सीसीएल पर हो तो उसे अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) की सुविधा, बाल देखभाल अवकाश प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारी के लिए दिव्यांग बच्चे के मामले में 22 वर्ष की सीमा को हटाना और बच्चों की देखभाल के लिए विकलांग महिला कर्मचारियों को 3,000 रुपये प्रति महीने का विशेष भत्ता जैसे कदमों के परिणामस्वरूप उत्पादकता में सुधार हुआ है। इसके अलावा महिला कर्मचारियों के जीवन में सुगमता आई है।

पेंशन सुधारों का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांगों के लिए पारिवारिक पेंशन के प्रावधान में छूट, बुजुर्ग पेंशनरों के द्वारा जीवन प्रमाण पत्र जमा करना आसान करने के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से चेहरा पहचानने की प्रौद्योगिकी की पेशकश, इलेक्ट्रॉनिक पेंशन पे ऑर्डर, पेंशन प्रक्रिया आसान बनाने के लिए डाक विभाग से सहायता आदि कई क्रांतिकारी सुधार किए गए हैं। इसके अलावा, मृतक सरकारी कर्मचारी या पेंशनर के दिव्यांग बच्चे को पारिवारिक पेंशन परिलब्धियां देना या मृतक सरकारी कर्मचारी/ पेंशनर के दिव्यांग बच्चे के लिए पारिवारिक पेंशन परिलब्धियों में बड़ी बढ़ोतरी करना सिर्फ एक सुधार नहीं है, बल्कि ये सामाजिक सुधार हैं जिनका व्यापक सामाजिक आर्थिक प्रभाव होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, इस साल मई में डीओपीटी ने लापता केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन नियमों में ढील दी और नए नियम ने सात साल की अनिवार्य प्रतीक्षा को समाप्त कर दिया है और उन सभी मामलों में, जहां एनपीएस के तहत कवर किया गया एक सरकारी कर्मचारी सेवा के दौरान लापता हो जाता है, लापता सरकारी कर्मचारी के परिवार को परिवारिक पेंशन के लाभों का तुरंत भुगतान किया जाएगा।

महिलाओं की क्षमता विकास और सशक्तिकरण के मुद्दे पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सचिवालय प्रशिक्षण तथा प्रबंध संस्थान (आईएसटीएम) अपने सभी प्रमुख संवर्ग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिलाओं, उनके सशक्तिकरण, घरेलू हिंसा से सुरक्षा और यौन अपराधों से बचाव से संबंधित विषयों को व्यापक रूप से शामिल करता है। यह आईएसटीएम और उससे बाहर दो दिवसीय से पांच दिवसीय तक की अवधि वाले महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर विशेष प्रशिक्षण कोर्स का आयोजन करता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान, विभिन्न ग्रेड और पदों के लगभग 800 अधिकारियों को जेंडर सेंसिटाइजेशन, जेंडर बजटिंग, कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न  से सुरक्षा, रोकथाम और निवारण, महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा जैसे विषयों से जुड़े पच्चीस (25) कोर्स में कवर किया गया है, जो आईएसटीएम में आयोजित किए गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंत में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की भागीदारी से लेकर महिलाओं की अगुआई वाले नेतृत्व में भारत ने उपलब्धि हासिल की है और आज वे राष्ट्र निर्माण में समान भागीदार बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्ष में महिलाएं 2047 में भारत को एक अग्रणी राज्य बनने में सक्षम बनाने में अपना योगदान देंगी और निश्चित रूप से जब भारत स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का जश्न मनाएगा तो वे आत्मविश्वास के साथ सही स्थान हासिल करने के लिए अपना दावा करेंगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More