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मुख्यमंत्री ने श्री ए0पी0 मिश्र की पुस्तक ‘यह सब मैं निज नयनन्हि देखी’ का लोकार्पण किया

उत्तर प्रदेश
लखनऊ : मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अच्छाई की जीत तभी सम्भव है जब बुरे को बुरा कहा जाए। समाज में व्याप्त बुराईयों को इस तरह ही खत्म

किया जा सकता है। यह सीख हमें रामचरितमानस से मिलती है। रामचरितमानस जैसी उत्कृष्ट पुस्तकों से अच्छाई को जाना जा सकता है, लेकिन यदि उन्हें जीवन में न उतारा जाए तो इससे व्यक्ति या समाज किसी का भी भला नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उ0प्र0 पावर कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक श्री ए0पी0 मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक ‘यह सब मैं निज नयनन्हि देखी’ का लोकार्पण करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। श्री मिश्र को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि श्री मिश्र ने बिजली विभाग में पूरी निष्ठा, मेहनत, प्रयास और सबके सहयोग से लगातार सुधार करने के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट काम किया है।
श्री यादव ने कहा कि यह पुस्तक श्री मिश्र की दूसरी पुस्तक है, जिसमें इन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को रामचरितमानस की चौपाईयों के आलोक में प्रस्तुत किया है। रामचरितमानस ऐसा महाकाव्य है जिसमें जीवन का हर पहलू शामिल है। ऐसे महाकाव्य के सन्दर्भ में अपने जीवन के अनुभवों को व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण है। यह तभी सम्भव है जब लिखने वाला स्वयं अन्दर से अच्छा हो और मानस के आदर्शां को अच्छी तरह से समझता हो। उन्हांने आशा व्यक्त की कि इस पुस्तक से सामान्य जन को काफी कुछ सीखने को मिलेगा। श्री मिश्र को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने भरोसा जताया कि श्री मिश्र द्वारा भविष्य में भी अनेक उत्कृष्ट पुस्तकों की रचना की जाएगी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि उच्चारण से नहीं, आचरण से पूजा होती है। रामचरितमानस के केवल पाठ से नहीं, बल्कि उसे जीवन में उतारने से ही सभी का भला हो सकता है। श्री मिश्र ने रामचरितमानस की चौपाईयों को जीवन में उतारा है। अपनी रचना में इन्होंने रामचरितमानस की चौपाईयों को नगीने की तरह तराशा है।
श्री ए0पी0 मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘यह सब मैं निज नयनन्हि देखी’ पुस्तक में मैंने अपने जीवनानुभव लिखे हैं। मानस की चौपाइयों में मुझे सफल जीवन जीने के सूत्र मिले हैं। जीवन में खासकर दुःख और अवसाद में रामचरितमानस ने मुझे बहुत सहारा दिया है।

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