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वर्ष 2019 के आखिर तक 5 लाख सामुदायिक और 67 लाख व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया जाएगा: हरदीप सिंह पुरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: आवास एवं शहरी मामलों के राज्‍य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि राष्‍ट्रीय राजधानी के नगर निकाय वर्ष 2019 के आखिर तक 5 लाख सामुदायिक शौचालयों और 67 लाख व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करने संबंधी अपने लक्ष्‍य को पूरा कर लेंगे। आज यहां राष्‍ट्रीय राजधानी में नगर निकायों के ‘स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण – 2019’ पर आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद उन्‍होंने कहा कि जहां तक ओडीएफ (खुले में शौच मुक्‍त) लक्ष्‍य का सवाल है, इसके लिए देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के नजरिये में बदलाव लाने की आवश्‍यकता है।

‘स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण-2019’ पर आयोजित कार्यशाला में तीनों नगर निगमों और दिल्‍ली छावनी बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सहयोग से नई दिल्‍ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा किया गया।

श्री हरदीप पुरी ने कहा कि लोगों के नजरिये में बदलाव के कई पहलू हैं जैसे कि म‍हिलाओं का सशक्तिकरण, बालिकाओं की गरिमा और हरित एवं स्‍वच्‍छ शहर, जिनकी परिकल्‍पना ‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन’ के तहत की गई है। उन्‍होंने कहा कि शौचालयों के निर्माण के अलावा ठोस अपशिष्‍ट के प्रबंधन के वैज्ञानिक प्रसंस्करण के संबंध में अभी और ज्‍यादा ध्‍यान देने एवं प्रयास करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि स्‍वच्‍छ भारत मिशन अब एक जन आंदोलन में तब्‍दील हो चुका है।

मंत्री महोदय ने सराहना करते हुए कहा कि एनडीएमसी ने 1 लाख से लेकर 3 लाख तक की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में प्रथम स्‍थान और देश भर में चौथा स्‍थान हासिल किया है। उन्‍होंने यह उम्‍मीद जताई कि एनडीएमसी आगामी स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण – 2019 में समग्र रूप से प्रथम पायदान पर रहेगा।

श्री हरदीप पुरी ने कहा कि स्‍मार्ट सिटी से जुड़ी पहलों के तहत एनडीएमसी ने कनॉट प्‍लेस में वाई-फाई, स्‍मार्ट पोल, सोलर ट्री और विचार केन्‍द्र जैसी विभिन्‍न परियोजनाओं को पूरा करके अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं।

दैनिक जीवन में प्‍लास्टिक की वस्‍तुओं के इस्‍तेमाल में कमी करने पर विशेष जोर देते हुए सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अब समय आ गया है कि पृथ्‍वी को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट के इस्‍तेमाल में कमी करने के साथ-साथ उनका दोबारा उपयोग और रिसाइक्लिंग सुनिश्चित की जाए।

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