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अंतरिक्ष विभाग एएआई से जल्द ही समझौता करेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: पीएमओ, कार्मिक, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष व उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विकास के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) डॉ. जिंतेंद्र सिंह ने कहा है कि अंतरिक्ष विभाग जल्द ही भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) से समझौते पर दस्तखत करेगा जिससे हवाईअड्डों के निर्माण में वैज्ञानिक मापदंड उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। साथ ही हवाईअड्डे के आस-पास के भूदृश्य का आंकड़ा भी उपलब्ध हो सकेगा। वह विभिन्न मंत्रालयों के लिए अंतरिक्ष तकनीक के इस्तेमाल पर आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक से हवाई उड़ानों को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा साथ ही भूमि का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि उड्डयन क्षेत्र में अंतरिक्ष तकनीक हैदराबाद व पोर्ट ब्लेयर हवाईअड्डे की पायलट परियोजना में इस्तेमाल किया जा चुका है। इस पायलट परियोजना के अनुभवों के आधार पर भविष्य में अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल अन्य 42 हवाई अड्डों पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विभाग डाक विभाग के साथ भी समझौता करेगा जिसमें डाक पार्सल की गतिविधि पर निगरानी रखने में अंतरिक्ष तकनीक की मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि डाक की रसीद को ट्रैक कर उसकी सुपुर्दगी का समय भी बताया जा सकेगा इस तरह से इसरो भारतीय डाक विभाग की सेवाओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में अंतरिक्ष विभाग ने सेटेलाइटों के प्रक्षेपण की बजाय विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले अनुप्रयोगों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वैज्ञानिक प्रयासों को उच्च प्राथमिकता दिया है और इससे विभाग को हाल के दिनों में नई ऊंचाइयां छूने का मौका मिला है।

विभिन्न मंत्रालयों में अंतरिक्ष तकनीक के इस्तेमाल के बारे में बताते हुए मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग ने शहरी विकास मंत्रालय के साथ पहले ही समझौता किया है जिसमें स्मार्ट सिटी व आवासीय योजनाओं में अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल हो सकेगा। रेल मंत्रालय के साथ हुए समझौते से रेलवे ट्रैक के निर्माण व रेलवे क्रॉसिंग के प्रबंधन मं मदद मिलेगी। कृषि क्षेत्र में भी अंतरिक्ष तकनीक मददगार साबित होगी। इससे फसलों के नुकसान, मिट्टी के स्वास्थ्य, नीली क्रांति व सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह आपदा प्रबंधन में भी मददगार है।

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