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आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है वह इंसानियत के खिलाफ होता है: अमित शाह

देश-विदेश

नई दिल्ली: गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथामसंशोधन विधेयक, 2019 राज्यसभा ने भी पारित कर दिया। विधेयक पर बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियों को चार कदम आगे बढ़कर काम करना होगा तभी आतंकवाद खत्म होगा और इन प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य आतंकी अपराधों की द्रुत गति से जांच और अभियोजन की सुविधा प्रदान करना है।

श्री अमित शाह ने कानून के विरोध में वक्तव्य देने वाले सदस्यों से कहा कि यह कानून आपने ही बनाया और 2004 में, 2008 तथा 2013 में संशोधन का हमने समर्थन किया किंतु विपक्ष में जाते ही आपकी नजर, नजारा और भाषण बदल गये। उनका कहना था कि आतंकवाद रोकने के लिए जो भी कानून लाया जाये उस पर सभी को समर्थन करना चाहिए क्योंकि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है वह इंसानियत के खिलाफ होता है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यूएपीए या किसी अन्य कानून में व्यक्तिगत आतंकवादी को नामित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो उसके सदस्य एक नया संगठन बनाते हैं। व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के मामले पर श्री शाह ने यासीन भटकल का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि 2009 में ही यासीन भटकल को आतंकवादी घोषित कर दिया गया होता तो परिस्थितियाँ अलग होती। उनका कह्ना था कि संस्था व्यक्ति से बनती है और घटना व्यक्ति करता है संस्था नहीं करती है इसलिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करना आवश्यक है। उनका कह्ना था कि आतंकवाद आज पूरे विश्व की समस्या है इसलिये दुनिया के कई देशों के अंदर अपनेअपने कानून बनाए गए हैं। उन्होँने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व के कई देशों में व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जाता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि कानून के दुरुपयोग रोकने के लिए बहुत सारी सावधानियां रखी गई हैं। विपक्ष के द्वारा कानून के दुरूपयोग पर जवाब देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष को इमरजेंसी का समय याद करना चाहिए जब कानून का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ। श्री शाह ने यह भी कहा कि समझौता एक्सप्रेस मामले में पहले कुछ आरोपी पकड़े गए बाद में राजनीतिक कारणों से नकली मामला बना कर दूसरों को आरोपी बनाया गया।

श्री शाह ने कहा कि वर्तमान में यूएपीए के प्रावधानों के अनुसार, आतंकवाद से जुड़ी संपत्ति को केवल उस राज्य के डीजीपी द्वारा लिखित अनुमोदन के साथ जब्त किया जा सकता है, जिसमें ऐसी संपत्ति स्थित है। कई बार आतंकी विभिन्न राज्यों में अपनी संपत्ति रखते हैं। ऐसे मामलों में अलगअलग राज्यों के डीजीपी की मंजूरी लेना मुश्किल हो जाता है और जिसके कारण होने वाली देरी से अभियुक्तों की संपत्ति आदि को स्थानांतरित किया जा सकता है। इसलिए जल्द से जल्द आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करना आवश्यक है। यह संशोधन डीजी एनआईए को ऐसी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है जो एनआईए द्वारा की जा रही जांच के संबंध में आतंकवाद से जुड़ी है। उन्होँने यह भी कहा कि एनआएए की सजा की दर  91 प्रतिशत है जो वैश्विक स्तर पर सर्वंश्रेस्ठ है।

केंद्रीय मंत्री ने सभी सदस्यों से संशोधन के समर्थन में आने के लिये साथ आने की अपील करते हुए कहा कि यह कानून यदि एक मत के साथ पारित होता है तो विश्व में हमारी एजेंसी के लिए अच्छा संदेश जाएगा और विश्व के आतंकवादियों पर हमारे कानून की धमक बढ़ेगी ।

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