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श्री किरण रिजिजू ने सेंडइ रूपरेखा के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्धाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्लीः केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री किरण रिजिजू ने नई दिल्ली में आपदा जोखिम में कमी के लिए कार्य योजना विकसित करने संबंधी सेंडइ निगरानी व्यवस्था के उपयोग पर विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों को संवेदी बनाने के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पहले राष्ट्र स्तर के कार्यक्रम का उद्धाटन किया।

श्री रिजिजू ने प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्याधिक वांक्षित पहल बताते हुए कहा कि इस कार्यशाला से भाग लेने वाले संवेदी बनेंगे और आपदा जोखिम में कमी के लिए कार्य योजना विकसित करने में सेंडइ निगरानी व्यवस्था के उपयोग में क्षमता सृजन में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकरियों के लिए इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम बाद में आयोजित किये जाएंगे। तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने आपदा जोखिम कमी-वैश्विक शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनआईएसडीआर-जीईटीआई) के सहयोग से किया।

इस अवसर पर यूएनआई-एसडीआर की सुश्री लोरेटा हिबर जिराडेट ने कहा कि एसएफडीआरआर राष्ट्रीय और स्थानीय रणनीतियों के विकास पर विशेष बल देता है। यह प्रशिक्षण कार्यशाला महत्वपूर्ण है। उन्होंने एसएफडीआरआर के अनुरूप पहली राष्ट्रीय योजना विकसित करने के लिए भारत की सरहाना की। जून 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना जारी की गई थी।

कार्यशाला में आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंडइ रूपरेखा 2015-2030 और डीआरआर की मौलिक अवधारणाओं पर विचार किया जाएगा। एसएफडीआरआर में शामिल लक्ष्यों के क्रियान्वयन की दिशा में चलाई जा रही गतिविधियों की प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी। एसएफडीआरआर 2015 के बाद विकास एजेंडा का पहला प्रमुख समझौता है और यह आपदा जोखिम में कमी करने की दिशा में लक्ष्यों और प्राथमिकता वाले कार्यों को चिन्हित करता है और सुदृण सतत विकास को लागू करने के काम को भी चिन्हित करता है। भारत ने एसएफडीआरआर पर हस्ताक्षर किया है और रूपरेखा में शामिल लक्ष्यों को हांसिल करने की दिशा में कार्य करने के लिए संकल्पबद्ध है।

एनडीएमए तथा यूएनआईएसडीआर के वरिष्ठ अधिकारियों और 12 मंत्रालयों-रक्षा, विद्युत, खान स्वास्थय और परिवार कल्याण, आवास और शहरी मामले, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय दूर संवेदी केन्द्र (एनआरएससी), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्लयूसी), परमाणु ऊर्जा तथा दूरसंचार विभाग जैसी केन्द्रीय एजेंसियां भी उपस्थित थीं।

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