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जल जीवन मिशन: उत्तर प्रदेश ने 2021-22 के लिए वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की

देश-विदेश

उत्तर प्रदेश राज्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संतृप्ति योजना के विवरण के साथ जल जीवन मिशन वार्षिक कार्य योजना (एएपी) प्रस्तुत की, जिससे राज्य के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल जल कनेक्शन की सुविधा सुनिश्चित हो सके। जल जीवन मिशन के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की वार्षिक कार्य योजना (एएपी) की समीक्षा व अनुमोदन का व्यापक अभ्यास एक राष्ट्रीय समिति करती है। पेजयज और स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली इस समिति में अन्य मंत्रालयों/विभागों और नीति आयोग के सदस्य होते हैं। इसके बाद भौतिक व वित्तीय प्रगति और समय-समय पर क्षेत्र के दौरे के आधार पर रकम आवंटित की जाती है। राज्य को समयबद्ध तरीके से ‘हर घर जल’ का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करने के लिए विस्तृत योजना अभ्यास किया जाता है।

वार्षिक कार्य योजना जल जीवन मिशन के विभिन्न घटकों पर जोर देती है। इनमें पेयजल स्रोत का सुदृढ़ीकरण/संवर्धन, घरेलू नल कनेक्शन देने के लिए जल आपूर्ति कार्य, धूसर जल उपचार व इसका फिर से उपयोग, परिचालन व रखरखाव, आईईसी योजना सहित विभिन्न सहायता गतिविधियां, हितधारकों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, सामुदायिक जुटाव, जल गुणवत्ता निगरानी, जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण और इसकी एनएबीएल मान्यता/मान्यता आदि शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 2.63 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 31.76 लाख (12 फीसदी) परिवारों को नल जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। पिछले वर्ष राज्य में 19.15 लाख नल कनेक्शन दिए गए थे। राज्य की योजना 2021-22 में 59 लाख, 2022-23 में 85.40 लाख और 2023-24 में 90.01 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान करने की है। समीक्षा करने पर समिति ने सुझाव दिया कि राज्य 2021-22 में ही 78 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बना सकता है, जिस पर राज्य ने अपनी सहमति व्यक्त की। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का लक्ष्य 5 जिलों को ‘हर घर जल’ बनाना और इस साल के अंत तक 60,000 गांवों में काम शुरू करने की योजना है।

अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद उत्तर प्रदेश के गांवों में लगभग 26.63 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब तक उत्तर प्रदेश के लगभग 3,500 गांवों को ‘हर घर जल’ घोषित किया जा चुका है, जिसका मतलब है कि इन गांवों के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को अपने घरों में नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित होने लगी है। राज्य ने सितंबर, 2021 तक अन्य 10 हजार गांवों को संतृप्त करने की योजना बनाई है। यह ग्रामीण समुदाय विशेषकर गरीबों और वंचितों के जीवन को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि जेजेएम केवल उनके ‘जीवन की सुगमता’ को ही नहीं बढ़ाता है। महिलाओं व युवा लड़कियों, जो मुख्य रूप से प्रत्येक घर में जल प्रबंधक हैं, को अब अन्य आर्थिक गतिविधियों को करने व आराम करने या परिवार के साथ समय बिताने का समय मिलता है, जो अन्यथा दिन में कई बार दूर से पानी लाने में खर्च होता है।

इस समिति ने राज्य से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के कवरेज पर अविभाजित ध्यान देने का आग्रह किया। इन क्षेत्रों में जल गुणवत्ता प्रभावित बसावट, सूखा संभावित क्षेत्र, 8 आकांक्षी व 20 जेई/एईएस प्रभावित जिले, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र और सांसद आदर्श ग्राम योजना आदि शामिल हैं। इस समिति ने 1.02 लाख (82 फीसदी) विद्यालयों, 1.04 लाख (61 फीसदी) आंगनबाड़ी केंद्रों और सभी आश्रमशालाओं (आदिवासी आवासीय विद्यालयों) में नल जल आपूर्ति प्रदान करने में राज्य के प्रयासों की सराहना की। राज्य सरकार के अधिकारियों को सभी शेष विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों में जल्द से जल्द बच्चों के लिए सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा सामुदायिक स्वामित्व व भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य को एक ठोस आईईसी और व्यवहार परिवर्तन अभियान पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

जल जीवन मिशन के तहत आपूर्ति किए गए जल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए समय-समय पर जल स्रोतों व वितरण बिंदुओं की निगरानी करने के लिए समुदाय को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पीएचई विभाग ग्राम समुदायों को उनके गांवों में नियमित रूप से जल की गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षण और सुविधा प्रदान कर रहा है। इसके लिए पंचायतों को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) की समय पर खरीद व आपूर्ति, सामुदायिक जुड़ाव के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं की पहचान, उन्हें एफटीके का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण व परीक्षण परिणाम के निष्कर्षों की रिपोर्ट करने को प्राथमिकता दी जाती है।

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उत्तर प्रदेश के लिए, 2021-22 में 10,870 करोड़ रुपये के केंद्रीय आवंटन व राज्य सरकार के पास उपलब्ध 466 करोड़ रुपये के प्रारंभिक शेष राशि के साथ, राज्य का 2021-22 का मैचिंग शेयर और 2019-20 व 2020-21 में 1,263 करोड़ रुपये की कमी; राज्य में जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध कुल सुनिश्चित निधि लगभग 23,937 करोड़ रुपये है। इसके साथ, ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को जल और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के बंधित अनुदान के रूप में राज्य को 4,324 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसका उपयोग राज्य पेयजल स्रोत सुदृढ़ीकरण और धूसर जल प्रबंधन आदि गतिविधियों पर करेगा। अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक के लिए 15वें वित्त आयोग बंधित अनुदान के माध्यम से जल और स्वच्छता के लिए 22,808 करोड़ रुपये का सुनिश्चित वित्त पोषण है।

15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल जल कनेक्शन प्रदान करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी में इसका कार्यान्वयन किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत 2021-22 में आवंटित 50,011 करोड़ रुपये के अलावा 15वें वित्त आयोग के बंधित-अनुदानों के तहत 26,940 करोड़ रुपये का उपलब्ध निश्चित निधि आरएलबी/पीआरआई को जल और स्वच्छता एवं राज्यों के हिस्से और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के मिलान के लिए है। इस प्रकार 2021-22 में ग्रामीण घरों तक नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने की योजना है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इतना बड़ा निवेश निश्चित रूप से आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाएगा और गांवों के भीतर रोजगार के नए अवसर पैदा करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।

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