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लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र को बुनियादी ढांचागत क्षेत्र का दर्जा मिला

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नई दिल्लीः लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बुनियादी ढांचागत क्षेत्र का दर्जा दे दिया गया है। विकसित देशों के मुकाबले भारत में लॉजिस्टिक्स लागत अत्‍यंत ज्‍यादा होने के तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए पिछले कुछ समय से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास की जरूरत महसूस की जा रही थी। लॉजिस्टिक्स लागत ज्‍यादा होने से घरेलू एवं निर्यात दोनों ही बाजारों में भारतीय वस्‍तुओं की प्रतिस्‍पर्धी क्षमता घट जाती है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास से घरेलू एवं बाह्य दोनों ही मांग काफी बढ़ जाएगी, जिससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और ‘रोजगार सृजन’ सुनिश्चित होगा तथा इस तरह यह देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) वृद्धि दर बेहतर करने में मददगार साबित होगा।

      संस्‍थागत तंत्र (आईएम) की 14वीं बैठक के दौरान ‘बुनियादी ढांचागत उप-क्षेत्रों की सुव्यवस्थित मूल सूची’ में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को शामिल करने पर विचार किया गया था। यह बैठक 10 नवम्‍बर, 2017 को आयोजित की गई थी। इस बारे में संस्‍थागत तंत्र द्वारा सिफारिश की गई थी और फिर इसके बाद केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी। परिवर्तित नाम वाली श्रेणी ‘परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स’ ‘में एक नवीन मद शामिल करके ‘लॉजिस्टिक्स क्षेत्र’ को इसमें समाविष्‍ट किया गया है। एक फुटनोट में कहा गया है कि ‘लॉजिस्टिक्स क्षेत्र’ में मल्‍टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क शामिल है। इसमें 50 करोड़ रुपये के न्‍यूनतम निवेश एवं 10 एकड़ के न्‍यूनतम क्षेत्र वाला इनलैंड कन्‍टेनर डिपो (आईसीडी), 15 करोड़ रुपये के न्‍यूनतम निवेश एवं 20,000 वर्ग फीट के न्‍यूनतम क्षेत्र वाली कोल्‍ड चेन सुविधा और/अथवा 25 करोड़ रुपये के न्‍यूनतम निवेश एवं एक लाख वर्ग फीट के न्‍यूनतम क्षेत्र वाली भंडारण सुविधा शामिल हैं।

      इससे लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र को बढ़ी हुई सीमा के साथ आसान शर्तों पर बुनियादी ढांचागत ऋण प्राप्‍त करने, विदेशी वाणिज्यिक ऋणों (ईसीबी) के रूप में विशाल धनराशि तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने और बीमा कंपनियों तथा पेंशन फंड की लंबी अवधि वाली धनराशि तक अपनी पहुंच कायम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र को इंडिया इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर फाइनेंसिंग कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) से ऋण मिलना भी संभव हो जाएगा।

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