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जीसस और मैरी कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का संबोधन

Youth from Jammu & Kashmir Participating in Operation Sadbhavana call on the President
देश-विदेश

नई दिल्ली: जीसस और मैरी कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन के अवसर पर मुझे बहुत खुशी हो रही है। इस संस्थान ने हमारे देश और दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है। पिछले पांच दशकों से इसने लड़कियों और युवा महिलाओं को शिक्षित किया है और मुझे यह कहना चाहिए कि इसने उन्हें क्षमता हासिल कराने और समाज अर्थव्यवस्था में योगदान देने और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का एक हिस्सा बनने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

राष्ट्र निर्माण के उद्यम में हम सभी शामिल हैं। यह केवल सरकार तक ही सीमित नहीं है इसके लिए निजी संस्थानों, धार्मिक और जनसाधरण और व्यक्तिगत रूप से हम सबको चाहे हम कुछ भी काम करते हों इसमें भागीदारी करने की जरूरत है। ऐसे व्यापक और समृद्ध विविधता वाले देश में राष्ट्र निर्माण की प्रकृति के विभिन्न कार्यों की जरूरत है।

मुझे यह उल्लेख करना है कि ईसाई समुदाय ने – जिसका इतिहास भारत में 2000 साल पुराना है, हमारी साझा संस्कृति में बहुत योगदान दिया है और शिक्षा के क्षेत्र में स्वयं के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका बनाई है। इस जैसे मिशनरी संस्थान छात्रवृत्ति, समर्पित शिक्षण और अकादमिक उत्कृष्टता के प्रतीक बन गये हैं। अपने स्वरूप में सभी धर्म हम से लगातार शिक्षा गृहण करने, विकास करने, ज्ञान प्राप्त करने और बुद्धि प्राप्त करने का अनुरोध करते हैं। ईसाई धर्म में जोन के अनुसार अध्याय 8 पद 12 में जीसस इस प्रकार कहते हैं-मैं दुनिया का प्रकाश हूं जो मेरा अनुसरण करता है वह अधंकार में नहीं चलता है बल्कि उसके जीवन में प्रकाश होगा।

 इस भावना की गूंज, उपनिषद के एक यादगार श्लोक में सुनाई देती है

असतो मा सद्पमय

तमसो मा ज्योतिर्गमय

 मुझे झूठ से सच्चाई की और आगे ले जाएं

अंधेरे से प्रकाश की और ले जाएं

यह ज्ञान के लिए एक रूपक के रूप में “प्रकाश” और हमारे मन में जागरूकता के लिए शिक्षा के पवित्र कार्य से जोड़ सकता है। चाहे हमारा किसी भी धर्म में विश्वास हो और हमारी कोई भी पहचान हो  शिक्षा का कार्य वास्तव में भगवान का कार्य है और मैं इस अच्छे काम को करने के लिए आज यहां जीसस और मैरी कॉलेज में इस समुदाय की सराहना करना चाहता हूं।

शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि यह तो एक शुरुआती बिंदु है। वास्तव में वे लोग शिक्षित नहीं हैं जो डिग्री प्राप्त करते हैं बल्कि वे लोग शिक्षित हैं जो उन डिग्री का उपयोग करके हमारे समाज में राष्ट्र निर्माता बन जाते हैं।

मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य अच्छा इंसान पैदा करना है। यह न केवल राष्ट्र बल्कि पूरी मानवता के लिए एक महान सेवा हो सकती है अगर आप अच्छे मानव हैं तो आप अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ में विश्वास करेंगे। चाहे आप कहीं भी स्थापित हों। उदाहरण के लिए अगर आप एक अध्यापक हैं तो आपको श्रेष्ठ टीचर ही बनना होगा।

लड़कियों की शिक्षा जितना हम महसूस करते हैं उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित लड़की अर्थव्यवस्था और कार्य में योगदान करती है वह यह भी सुनिश्चित करती है कि उसके परिवार के अन्य बच्चों के साथ-साथ जिस परिवार में उसकी शादी होती है वह भी शिक्षित हो। लड़की की शिक्षा के द्वारा अगली पीढ़ी भी जिम्मेदार और शिक्षित बन जाती है। इस तरह लड़कियों की शिक्षा का सामाजिक प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है।

जीसस और मैरी कॉलेज दूसरों के लिए एक आदर्श है यह बहुत खुशी का मामला है कि इस कॉलेज ने स्वर्ण जयंती समारोह में पास के एनडीएमसी स्कूल को एक भागीदार बनाया है और स्कूल और इसके बच्चों के विकास में मदद की है। यह समाज को कुछ वापस देने का प्रशंसनीय उदाहरण है। अन्य कॉलेज भी इसे अपना सकते हैं।

मुझे यह भी बताया गया है कि जीसस और मैरी कॉलेज नियमित रूप से रक्त दान शिविरों का आयोजन करता है, जिसमें कर्मचारियों के सदस्य और छात्र उत्साह के साथ भाग लेते हैं। अभी हाल में रक्त दान शिविर का 14 सितंबर को आयोजन किया गया था। इससे पहले दिन कॉलेज में अंग दान शिविर का आयोजन किया था जिसमें कई छात्रों ने पंजीकरण कराया है। मैं करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी की इस भावना की प्रशंसा करता हूं। इस तरह के कार्य हमारे युवाजनों में हमारे विश्वास को मजबूत बनाते हैं।

भारत कई परिवर्तनों के बीच में है। हमारी सभ्यता बहुत पुरानी है लेकिन देश युवा है। 21 वीं सदी के पहले 50 वर्षों में दुनिया में हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी होगी। युवा आबादी की ऊर्जा का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा इस प्रयास के लिए मौलिक है – जो शिक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता की पहुंच के लिए आह्वान करती है।

हमें अपने उच्च शिक्षा प्रणाली को अपग्रेड करने की आवश्यकता है और यथा संभव बनाने की जरूरत है। हमारे शिक्षा का बुनियादी ढांचा पाठ्यक्रम और शिक्षण के तरीकों को 21 वीं सदी के संगत होना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय और 100 से भी अधिक विश्वविद्यालयों के विज़िटर के रूप में कुछ मुद्दे हैं जो मुझे चिंतित करते हैं आगे आने वाले दिनों में मैं अपने शैक्षिक समुदाय के साथ ऐसे विषयों पर सार्थक चर्चाओं की आशा करता हूं। मैं समझता हूं कि जीसस और मैरी कॉलेज के लिए यह समारोह महत्वपूर्ण हैं।

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