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राज्य की अधिकांश आबादी की कृषि पर निर्भरता को देखते हुए कृषि, उद्यान, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारिता को प्रोत्साहित किया जा रहा है: मुख्यमंत्री

राज्य की अधिकांश आबादी की कृषि पर निर्भरता को देखते हुए कृषि, उद्यान, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारिता को प्रोत्साहित किया जा रहा है: मुख्यमंत्री
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य की अधिकांश आबादी आर्थिक रूप से कृषि पर निर्भर है। इसलिए कृषि, उद्यान, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारिता को प्रोत्साहित कर किसानों की आमदनी दोगुनी करने का काम शुरु किया गया है। उन्होंने प्रदेश में स्थापित होने वाले 20 नये कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए भूमि उपलब्ध कराने की जानकारी देते हुए कहा कि अब इन केन्द्रों की स्थापना का कार्य तेजी से शुरु किया जाए, जिससे इनका लाभ क्षेत्रीय किसानों को मिल सके।

मुख्यमंत्री आज यहां लोक भवन में केन्द्रीय कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह के साथ कृषि, सहकारिता, पशुपालन एवं मत्स्य सम्बन्धी योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने पहले से स्थापित कृषि विज्ञान केन्द्रों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि यहां तैनात वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को कहीं अन्यत्र तैनात न किया जाए। उन्होंने प्रमुख सचिव, कृषि को निर्देशित किया कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों, किसान विकास केन्द्रों तथा बीज निगमों से ही प्रजनक बीजों की खरीद्दारी को प्राथमिकता दी जाए।

योगी जी ने विगत कुछ वर्षों में किसानों एवं कृषि की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। प्रदेश के किसानों विशेष रूप से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सिंचाई, भण्डारण एवं विपणन की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध न कराए जाने के कारण इन क्षेत्रों में उत्पादकता का स्तर काफी कमजोर है। इस वर्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा के लिए 3,384 खेत तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना को प्रभावी रूप से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत राज्य की 66 मण्डियों को आॅनलाइन जोड़ने का प्रयास तेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार के पोर्टल के माध्यम से उत्तर प्रदेश में भी इण्टर मण्डी टेªड के तहत जोड़ने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाते हुए किसानों को पंजीयन शुल्क आदि में पर्याप्त राहत प्रदान करने पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि समेकित बागवानी विकास योजना को प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। किसानों को उनकी उपज का प्रभावी मूल्य दिलाने के लिए समर्थन मूल्य योजना को गम्भीरता से लागू किया जा रहा है। इसी क्रम में वर्तमान राज्य सरकार ने गेहूं क्रय केन्द्रों के माध्यम से किसानों से गेहूं क्रय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादक किसानों की समस्याओं को देखते हुए पहली बार राज्य में बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लगभग 13,000 कुन्टल आलू क्रय किया गया। इस योजना के लागू हो जाने से प्रदेश में आलू के थोक भाव में 100 रुपए प्रति कुन्टल तक की वृद्धि हुई, जिसका सीधा लाभ आलू किसानों को प्राप्त हुआ।

प्रदेश में पशुपालन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने संसाधनों के अलावा केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय गोकुल ग्राम योजना को प्रभावी रूप से लागू करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वाराणसी एवं मथुरा में गायों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए गोकुल ग्राम योजना संचालित की जा रही है। इस वर्ष इस योजना के तहत करीब 03 केन्द्र स्थापित किए जाएंगे, जिसमें 01 बुन्देलखण्ड क्षेत्र में होगा। इसी प्रकार भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त गोवंश की वृद्धि का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को इस योजना को पारदर्शी ढंग से लागू करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन के माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति को बड़े पैमाने पर सुधारा जा सकता है। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2015 में समेकित सहकारी विकास योजना के तहत प्रदेश को 401 करोड़ रुपए स्वीकृत करते हुए 257 करोड़ रुपए अवमुक्त भी किए गए थे। लेकिन इस सम्बन्ध में अब तक प्राप्त की गई प्रगति से केन्द्र सरकार को अवगत नहीं कराया गया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए बताया कि प्रदेश में सहकारी समितियों की स्थिति ठीक नहीं है। इस मामले में वर्तमान राज्य सरकार रणनीति बनाकर कार्य करने के लिए संकल्पबद्ध है।

योगी जी ने केन्द्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया कि प्रदेश की बड़ी आबादी की कृषि पर निर्भरता को देखते हुए यहां हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त मदद उपलब्ध करायी जानी चाहिए। उन्होंने आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 05 फार्म मशीनरी टेस्टिंग एण्ड टेªनिंग इन्स्टीट्यूट की स्थापना कराए जाने पर बल दिया, जिससे कृषि यंत्रों की उपयोगिता बढ़ सके। इसके साथ ही, 04 आधुनिक बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, 25 नई मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में दो-दो आधुनिक संयत्र की उपलब्धता, किसानों को कृषि निवेशों की सुविधा हेतु इस वर्ष 100 किसान कल्याण केन्द्रों की स्थापना के अलावा राज्य में धान तथा गेहूं के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध केन्द्र स्थापित कराने का भी आग्रह किया।

योगी जी ने बागवानी को बढ़ावा देने के लिए राज्य में 05 सेण्टर आॅफ एक्सीलेंस की स्थापना के साथ-साथ मधुमक्खी पालन के लिए प्रेषित की गई योजनाओं को शीघ्र स्वीकृत करने का अनुरोध किया। साथ ही, उन्होंने ‘ए’ श्रेणी में चिन्हित अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र, बाबूगढ़, जनपद हापुड़ में वर्गीकृत वीर्य उत्पादन हेतु लैब स्थापित करने तथा जोखिम प्रबन्धन एवं पशुधन बीमा योजना के तहत अधिक से अधिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया। उन्होंने बुन्देलखण्ड एवं पूर्वान्चल क्षेत्र में आगामी पांच वर्षों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 2967 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया। इसी प्रकार उन्होंने मत्स्य तथा सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार से सहयोग प्रदान करने का अनुरोध करते हुए प्रदेश की प्रारम्भिक ऋण समितियों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 225 करोड़ रुपए, उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की 323 शाखाओं को कम्प्यूटरीकृत करने के लिए 11.50 करोड़ रुपए आदि सहयोग उपलब्ध कराने की भी अपेक्षा की।

योगी जी ने कहा कि प्रदेश के किसानों की बेहतरी के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्रभावी रूप से लागू कराते हुए अधिक से अधिक किसानों को आच्छादित कराने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना के तहत स्मार्ट फोन के उपयोग को बढ़ावा देने तथा क्लस्टर बनाकर योजना के तहत कम्पनियों से टेण्डर आमंत्रित किए जाएंगे। इसी प्रकार स्वायल हेल्थ कार्ड योजना को भी तेजी से लागू किया जाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सभी 271 डार्क जोन को आच्छादित कराने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे जहां भूमिगत जल के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, वहीं किसानों की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।

इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने कृषि, सहकारिता, पशुपालन, मत्स्य आदि विभागों के तहत संचालित केन्द्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि विगत तीन वर्षों में कई योजनाओं की धनराशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि इन योजनाओं को समयबद्ध रूप से पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए तो राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार होगा। उन्होंने राज्य सरकार को हर सम्भव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है। यदि यहां के किसानों तथा पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तो इसका प्रगटीकरण देश की अर्थव्यवस्था पर निश्चित रूप से पड़ेगा।
कार्यक्रम में राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्य, केन्द्र एवं राज्य सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।

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