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मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने में हो रहे विलम्ब और बढ़ती लागत पर नाराजगी व्यक्त की

मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने में हो रहे विलम्ब और बढ़ती लागत पर नाराजगी व्यक्त की
उत्तर प्रदेशकृषि संबंधित
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की महत्वपूर्ण

सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने में हो रहे विलम्ब और बढ़ती लागत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि इन परियोजनाओं में हुए विलम्ब, इनकी उपयोगिता व लागत की उच्च स्तरीय समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उन्होंने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव वित्त एवं प्रमुख सचिव नियोजन को इन परियोजनाओं की समीक्षा कर, इन्हें पूरा करने के सम्बन्ध में कार्य योजना और रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने यह निर्देश आज यहां शास्त्री भवन में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रस्तुतिकरण के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि योजनाओं के निर्माण के दौरान ही उसे पूरा किए जाने की समयावधि के साथ-साथ धनराशि के स्रोतों और उसकी व्यवस्था पर भी विचार कर निर्धारित अवधि में लक्ष्यों की पूर्ति की जाए। उन्होंने कहा कि अब शिथिलता और हीला-हवाली से काम नहीं चलेगा। वर्तमान राज्य सरकार परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को हर हाल में बन्द करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। किसी भी कीमत पर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। परियोजनाएं ऐसी हों, जिनसे वास्तव में प्रदेश की जनता को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारी और अभियन्तागण परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए फील्ड विजिट करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक धन का अपव्यय किया जाना एक अपराध है, जिस पर सभी को ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि गोमती रिवरफ्रण्ट डेवलेपमेण्ट परियोजना के तहत कराए गए कार्य सार्वजनिक धन के अपव्यय का नमूना हैं। उन्होंने कहा कि गोमती नदी के चैनेलाइजेशन के कार्य भी परियोजना का हिस्सा हैं। इनके सम्बन्ध में जांच चल रही है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने कहा कि जनहित व राष्ट्रहित में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप पारदर्शिता के साथ समयबद्ध ढंग से योजनाओं को पूरा किया जाए।
श्री योगी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से आच्छादित मध्य गंगा नहर परियोजना द्वितीय चरण में हो रहे विलम्ब और बढ़ती लागत पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2008-2009 से प्रारम्भ की गई इस योजना की भौतिक प्रगति अब तक मात्र 38 प्रतिशत है। इसके साथ ही, उन्होंने नाबार्ड वित्त पोषित कनहर सिंचाई परियोजना की बढ़ती लागत पर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सरयू नहर परियोजना के सम्बन्ध में भी विलम्ब और लागत बढ़ने पर असंतोष जताया।
मुख्यमंत्री ने वरुणा नदी के चैनेलाइजेशन एवं तटीय विकास को मार्च 2018 तक पूरा करने के निर्देश दिए। मथुरा में वृन्दावन स्थित यमुना नदी के घाटों के विस्तार, नवीनीकरण और सौन्दर्यीकरण के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों की योजना पर्यावरण के अनुकूल बनाई जानी चाहिए। इसके सम्बन्ध में विशेषज्ञों की राय से सही कार्य योजना के साथ मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण एवं मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने उत्तर प्रदेश वाॅटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना फेज-2 के अन्तर्गत नहरों की पुनस्र्थापना, आधुनिकीकरण एवं सहभागी सिंचाई प्रबन्धन के कार्यों में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने जसराना नवीन नहर परियोजना की समीक्षा करते हुए इसेे भी शीघ्रता से पूर्ण किए जाने की बात कही।
श्री योगी ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र से सम्बन्धित अर्जुन सहायक नहर परियोजना, एरच बहुउद्देशीय बांध परियोजना, भौंरट बांध परियोजना, जमरार बांध परियोजना, कचनौदा बांध परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड में जल की उपलब्धता से वहां के विकास कार्यों को गति दी जा सकती है। इसलिए इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने बाण सागर नहर परियोजना, विन्ध्याचल को भी पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अगले दो वित्तीय वर्षों में 2000 राजकीय नलकूपों के निर्माण के सम्बन्ध में स्थल चयन जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाकर कर लिया जाए। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पानी की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण, भारत सरकार की केन-बेतवा लिंक नहर की महत्वपूर्ण परियोजना का निर्माण प्राथमिकता पर किया जाए। उन्होंने कहा कि यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य के अन्तर्गत एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिससे सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, मत्स्य पालन एवं पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ होगा।
श्री योगी ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण और तटबन्धों के निर्माण का कार्य समय रहते पूरा कर लिया जाए। क्षतिग्रस्त तटबन्धों के पुनर्निर्माण और संवेदनशील स्थलों पर मरम्मत एवं कटाव निरोधक कार्यों को भी शीघ्रता से पूरा किया जाए। तटबन्धों की सुरक्षा हो, जिससे बाढ़ के समय नदियों के पानी को आबादी व कृषि क्षेत्र में फैलने से रोका जा सके। इसके साथ ही, नहरों, नालों व ड्रेनों की सिल्ट सफाई सम्बन्धी कार्यों को भी पारदर्शिता के साथ समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाए। वर्षा जल की समुचित निकासी के भी प्रबन्ध सुनिश्चित किए जाएं। विभिन्न परियोजनाओं के अन्तर्गत नवनिर्मित तथा पुनःनिर्मित राजकीय नलकूपों में ऊर्जीकरण हेतु अवशेष 65 राजकीय नलकूपों को ऊर्जीकृत कराया जाए, ताकि सिंचाई का लाभ किसानों को शीघ्र मिल सके। गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या के दृष्टिगत राजकीय नलकूपों के कमाण्ड क्षेत्र में स्थित तालाबों, पोखरों एवं गड्ढ़ों को आवश्यकतानुसार भर कर पशुओं, पक्षियों तथा अन्य उपयोग हेतु पेयजल उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री कृषि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न जनपदों विशेषकर बुन्देलखण्ड एवं गन्ना उत्पादन क्षेत्र में स्प्रिंकलर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम स्थापित किए जाने हेतु कार्य योजना बनाने एवं किसानों को इस सम्बन्ध में प्रोत्साहित किए जाने के निर्देश दिए। राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों तथा अन्य विभागीय योजनाओं में सौर ऊर्जा के उपयोग की रणनीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता और जन-सहयोग पर विशेष ध्यान देते हुए समितियों के माध्यम से नहर अनुरक्षण, जल वितरण, फसल चक्र, जल के अपव्यय पर नियंत्रण आदि कार्यों को किया जाए।
श्री योगी ने समादेश क्षेत्र विकास एवं जल प्रबन्धन कार्यक्रम (काडम) की समीक्षा करते हुए कहा कि नहर प्रणालियों में उपलब्ध सिंचाई जल को कुलाबा कमाण्ड के प्रत्येक खेत तक पहुंचाने के उद्देश्य से सिंचाई नालियों का निर्माण कराकर सृजित सिंचन क्षमता का अधिकतम उपभोग सुनिश्चित किया जाए। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा सहित मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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