42 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के लिए संस्थानों में रहने की स्थिति’ विषय पर नियमावाली जारी की

देश-विदेश

नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर डब्ल्यूपी (सी) 406 ऑफ 2013 के मामले में 1382 जेलों में कैदियों की पुनः अमानवीय स्थिति के बारे में 05-02-2016 को दिए गए निर्देश के आधार पर ‘कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के लिए संस्थानों में रहने की स्थिति’ विषय पर नियमावाली जारी की है। उपर्युक्त मामले में सर्वोच्च अदालत ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी आदर्श कैदी नियमावली बनाने के निर्देश दिए थे। ये नियमावली किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के मामले में सुरक्षा गृह अथवा विशेष गृह अथवा सुरक्षा के मामले में किशोरों से जुड़े विभिन्न मुद्दों और किशोरों की रहने की स्थिति आदि का ध्यान रखेगा।

कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के लिए इस तरह की नियमावली बनाने का उद्देश्य राज्य/संघ शासित प्रदेश अथवा अन्य हितधारकों को कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के लिए संस्थानों की स्थापना करने और इन बच्चों को पर्याप्त संस्थागत एवं पुनर्वास संबंधी सेवाएं मुहैया कराना है।

इस नियमावली को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) आदर्श अधिनियम, 2016 के दायरे में रहकर तैयार किया गया है। यह नियमावली कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के रहने की स्थिति और ऑब्जर्वेशन गृह, विशेष गृह और सुरक्षा आदि से जुड़े विभिन्न पहलुओं के संबंध में एक ही स्थान पर तमाम तरह के नियमों को रखता है। इसमें बच्चों को सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के दौरान संबंधित हितधारकों द्वारा आपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे मे भी विस्तार से बताया गया है।

‘कानूनी मामलों में फंसे बच्चों के लिए संस्थानों में रहने की स्थिति’ से जुड़ी नियमावली को देखने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें।

http://wcd.nic.in/sites/default/files/Final%20Manual%2024%20April%202017_5.pdf

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More