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भौतिक विकास के साथ सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण भी जरूरीः राज्यपाल

उत्तराखंड

देहरादूनः राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कंात पाल ने कहा कि भौतिक विकास के साथ भारतीय संस्कृति के आधारभूत मूल्यों का संरक्षण भी जरूरी है। अपने सांस्कृतिक मूल्यों के कारण ही हजारों वर्षों से भारतीय सभ्यता अनवरत बनी हुई है। राज्यपाल, देहरादून के सुभाष नगर में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 80 वें जयंती वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता को मूल्यों से जोड़े रखने में हमारे संत महात्माओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आदि शंकराचार्य ने देश को सांस्कृतिक एकता प्रदान की।

राज्यपाल ने कहा कि भौतिक विकास के साथ समाज में कुरीतियां आ जाती हैं और मानव मस्तिष्क में भी कुछ विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इन विकारों से बचने के लिए अपने मूल्यों को बचाए रखना जरूरी है। आज इसके लिए अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। इससे अच्छे विचार, कर्म व आदत विकसित होते हैं जिससे चरित्र निर्माण होता है।

राज्यपाल ने सकारात्मक ऊर्जा पर बल देते हुए कहा कि सकारात्मक ऊर्जा से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे सुख व शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि समाज में करूणा व बंधुत्व की भावना के प्रसार में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज के दौर में मनुष्य आंतरिक शांति की तलाश में है। इसके लिए ध्यान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। हमें अपनी चिंतन प्रक्रिया को नियंत्रित करना आना चाहिए। आठ आयामों यम, नियम, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि का पालन कर परम चेतना की प्रप्ति की जा सकती है।

‘‘राजयोग द्वारा सुख और शांति’’ विषय पर आधारित कार्यक्रम में राजयोगी ब्रह्मकुमार अमीरचंद जी, राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी आशा जी, मंजु जी सहित ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के देहरादून शाखा से जुड़े अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

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