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उच्च शिक्षा विभाग में राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं शासन के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुएः डाॅ0 इन्दिरा हृदयेश

उत्तराखंड
देहरादून: प्रदेश की वित्त, वाणिज्य कर स्टाम्प एवं निबधंन, मनोरंजन कर, संसदीय कार्य, विधायी, निर्वाचन, जनगणना, भाषाएॅं, प्रोटोकाॅल, नियोजन एवं उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार श्रीमती डाॅ0 इन्दिरा हृदयेश ने आज विधान सभा स्थित सभागार में उच्च शिक्षा विभाग में राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं शासन के अधिकारियों के साथ बैठक की।

बैठक में उन्होंने प्राचार्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में बच्चों को पढ़ाई से वंचित न करते हुए उन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार को प्रदान करते हुए शिक्षक अपने नैतिक कत्र्तव्यों का निर्वहन करें। उन्होंने शिक्षकों से आह्नवान किया कि वे शिक्षा में परिवर्तन बौद्धिक ज्ञान का करें। शिक्षक उन्हें ऐसा ज्ञान दें कि वे आत्म निर्भर बनें। उन्होंने कहा कि आजकल की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये स्वयं केन्द्रीय मंत्री द्वारा दिल्ली में बैठक आयोजित की गयी। वहाॅं उनके द्वारा राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियों को बताते हुए विश्व विद्यालय, चिकित्सा काॅलेजों आदि स्थिति से अवगत कराया गया। वहीं उच्च शिक्षा को और सुदृढ़ बनाने के लिये केन्द्र के सहयोग की अपेक्षा की जिससे नये राजय उच्च शिक्ष में और अधिक सक्षम हो सकें। उन्होंने बताया कि राज्य में शिक्षा की स्थिति अच्छी है। जिसे और उन्नत बनाने का प्रयास राज्य सरकार की ओर से किये जा रहे हैं।
बैठक में उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्धान होता है उसके पास ज्ञान का असीमित भण्डार है। सारी दुनियाॅं में शिक्षक का सर्वाधिक सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पहले अपने विद्यालय में शिक्षण का माहौल तैयार करने में अपनी विशेष भूमिका का निर्वहन करें। तब बच्चों को ज्ञान दें। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा की प्रशिक्षक का सबसे बड़ा काम है। पहले वह खुद पढ़े और फिर बच्चों को ज्ञान दें। जिन्दगी जीने के लिए है। इसे सकारात्मक तरीके से जीने के लिए बच्चों को प्रेरित करें। तथा ज्ञान को वितरित करें।
बैठक में  उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के बच्चों को भौगोलिक वातावरण से भी अवगत करायें तथा  बच्चों में खेल के प्रति भी अभिरूचि रखें जिससे वह शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हुए मानसिक रूप से भी स्वस्थ हों। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थी की जीवन शैली बदल गयी है। उनके साथ मिलकर उनकी बातों में सहभागिता करते हुए उन्हें प्रयोगात्मक कार्य करवाये जायें। परिस्थिति के अनुसार बच्चों को एक्सपोज देते हुए उनके ज्ञान में वृद्धि करें।
बैठक में उन्होंने कहा कि आज काॅलेजों में शिक्षकों  की भारी कमी हैं काफी रिक्तियाॅं रिक्त चल रही हैं। इसके लिए शीघ्र ही विज्ञापन के माध्यम से रिक्तियों, गेस्ट टीचर हेतु निकाली जायेगी। जिसमें यू.जी.सी. के मानकों के अनुसार गेस्ट अध्यापक रखे जायेंगे। तथा प्रत्येक महाविद्यालय में उनकी आवश्यकातानुसार शिक्षक सितम्बर 2015 तक मुहैया करवा दिये जायेंगे। यही अथिति शिक्षक आयोग के माध्यम से भी आयेंगे। शिक्षकों का चयन मैरिट के आधार पर किया जायेगा। चयन करते समय यू0जी0सी0 के मानकों को अपनाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्राचार्य/शिक्षक अपने-अपने महाविद्यालयों का वातावरण बच्चों को पढ़ाने में लगायें तथा प्राचार्य अपनी सोच बदलें कि संविदा/अतिथि अध्यापक को दोयम देर्जे का व्यवहार कदापि न करें। आज के परिवेश में नये-2 युवक/युवतियाॅं नये कलेवर में अच्छी योग्यता लेकर आ रहे हैं। उनकी योग्यता का लाभ नई पीढ़ी को दिलाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभायें। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा है कि अपने राज्य में महाविद्यालयों को वैल एक्यूपमैंन्ट के साथ-साथ हर महाविद्यालय को पर्याप्त विषयवार अध्यापक दिये जायें। जिससे बच्चा शिक्षण के लिये ईधर-उधर न भटकें। उसे वही उसके जनपद व उसके क्षेत्र में उच्च शिक्षा का माहौल मिले तथा हर विषय जिसमें वह अध्ययन करना चाहता उसे प्राप्त हो।
बैठक में आये प्राचार्यों से उन्होंने कहा कि राज्य में कही महाविद्यालय नये बन रहे हैं तथा कई पुराने विद्यालयों का जीर्णोधार किया जा रहा है। जिसके लिए सरकार द्वारा निर्माण दायी संस्थाओं से कार्य करवाया जा रहा है। जिन्हें इसके लिये पर्याप्तमात्रा में धन आबंटन भी किया जा चुका हे। प्राचार्य अपने-अपने महाविद्यालयों में कार्य समयानुसार, गुणवत्ता पूर्वक करायें। जिससे महाविद्यालय का भवन देखने में सुन्दर एवं खूबसूरत लगे। उन्होंने प्राचार्यों से यह भी कहा कि अपने-अपने महाविद्यालय में जो भी समस्या का सुझाव आपको देने हैं। उसे लिखकर अपने निदेशालय/सचिवालय में भिजवायें। जिससे समस्या का निदान त्वरित गति से हो सके।
बैठक में उन्होंने बेदीखाल(पौड़ी गढ़वाल) महाविद्यालय, जयहरी खाल, नरेन्द्र नगर बड़कोट, उत्तरकाशी, गैरसैंण, गोपेश्वर महाविद्यालयों के लिये सम्बन्धित विभाग की कार्यदायी संस्था को दूरभाष पर निर्देश दिये कि बैदीखाल में विद्यालय जीर्णशीर्ण अवस्था में है उसका निरिक्षण कर डी.पी.आर. भेजने के निर्देश दिये। गोपेश्वर में विद्यालय के रिनोवेशन हेतु इस्टीमेट बनाने के निर्देश दिये। जयहरी खाल एवं नरेन्द्र नगर में हास्टल ठीक करवाने के निर्देश कार्ययादी संस्था को दिये। उत्तरकाशी के महाविद्यालय का उन्होंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी से फोन पर निर्देशित किया कि लो0नि0वि0 भटवाड़ी द्वारा अभी तक महाविद्यालय का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। जिसे पूर्ण ठीक करने के निर्देश दिये गये।
बैठक में उन्होंने अवगत कराया कि महाविद्यालयों के निर्माण के लिये 42 करोड़ रूपये के प्रविधान की स्वीकृतियाॅं की गयी है। जिसमें से 7 करोड़ रूपये की स्वीकृतियाॅं जारी की जा चुकी है तथा शेष की स्वीकृतियाॅ जारी शीघ्र ही की जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य गठन से पूर्व 35 महाविद्यालय शिक्षा प्रदान कर रहे थे। राज्य गठन के पश्चात वर्ष 2013 तक 70 महाविद्यालय स्वीकृत किये गये। वर्ष 2014-15 में 23 महाविद्यालयों की स्वीकृतियाॅं दी जा चुकी हैं जो मानकों के अनुसार स्थापित किये जा रहे हैं तथा जो पूर्व में 70 महाविद्यालयों में जो कमियाॅं शेष रह गयी थी। उन्हें पूर्ण करने के प्रयास किये जा रहे है तथा 36 महाविद्यालयों में विभिन्न संकायों, विषयों एवं पदों की स्वीकृतियाॅ जारी की गयी हैं।

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