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”द यूनिवर्सिटी आॅफ नार्थ वेस्ट हिमालयन” के भूमि पूजन के अवसर पर यूनिवर्सिटी के माॅडल का अवलोकन करते हुएः सीएम

''द यूनिवर्सिटी आॅफ नार्थ वेस्ट हिमालयन'' के भूमि पूजन के अवसर पर यूनिवर्सिटी के माॅडल का अवलोकन करते हुएः सीएम
उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने को सनगांव डोईवाला में द शिवालिक हिल्स फाउण्डेशन द्वारा स्थापित होने वाली यूनिवर्सिटी आॅफ नार्थ वेस्ट हिमालयाज के भूमि पूजन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि द शिवालिक हिल्स फाउण्डेशन द्वारा दूरस्थ क्षेत्र में विश्वविद्यालय स्थापित करने का संकल्प प्रशंसनीय है। यह एक साहसिक पहल है। सामान्यतः अधिकतर संस्थान राज्य में सुविधाजनक स्थानों पर ही शिक्षण संस्थान आदि स्थापित करने में रूचि लेते है। उन्होंने कहा कि आशा है कि यूनिवर्सिटी आॅफ नार्थ वेस्ट हिमालयाज द्वारा संचालित किए जाने वाले नए कोर्सेज बदलते भारत तथा विश्व की मांग के अनुरूप होंगे। राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को भी ध्यान रखना होगा कि आज का समय सूचना तकनीकी तथा वैश्वीकरण के कारण बड़ी तेजी से परिवर्तित हो रहा है। शिक्षण संस्थानों द्वारा संचालित कोर्सेज वर्तमान समय के बाजार के मांगो के अनुरूप होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वास है कि विश्वविद्यालय ज्ञान, शिक्षा एवं शैक्षिक गुणवता की दृष्टि से श्रेष्ठ सिद्व होगा। वर्तमान में दो शब्द इनपुट तथा आउटपुट अत्यधिक प्रचलित है। परन्तु हमें अब आउटकम की बात करनी होगी। आउटकम का अर्थ है कि शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्र अपने समाज को कितना लाभ पहुंचा रहे है। विश्वविद्यालयों की स्थापना जिस विजन के साथ की गई । उस विजन को प्राप्त करने में हम कितने सफल रहे। आज बहुत बड़ी संख्या में छात्र विश्विद्यालयों से डाॅक्टरेट की डिग्रियां लेकर निकल रहे है। परन्तु इन डाॅक्टरेट छात्रों ने अपने विश्वविद्यालय के आस-पास के क्षेत्रों के विकास के लिए क्या रिसर्च किया या इनके रिसर्च का इनके विश्वविद्यालय के आस-पास के पिछड़े क्षेत्रों तथा लोगों के जीवन पर क्या सकारात्मक या विकासात्मक प्रभाव पड़ा, यह भी सोचना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मात्र डिग्रियां बांटना ही शिक्षण संस्थानों का उद्येश्य नहीं होना चाहिए। हमें यह भी सोचना होगा कि छात्रों की शिक्षा का समाज पर कितना रचनात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि शिक्षित लोगो को श्रम करने का भी अभ्यास होना चाहिए। शिक्षा के साथ श्रम तथा कर्मठता की आदत यदि युवाओं में डाल दी जाए तो यह राज्य तथा देश के लिए एक बहुत बड़ा उपहार होगा। प्रधानमंत्री ने हाॅस्पिीटिलिटी, स्किल डेवलपमेंट तथा गुड गर्वनेस पर बल दिया है। हाॅस्पिीटिलिटी हमारे संस्कारों में होनी चाहिए। गुड गर्वनेस भी हमारे संस्कारों से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार दिए जाए तो शिक्षा का उद्येश्य पूरा हो जाएगा। राज्य में मद्यपान को रोकने में सरकारी प्रयासों के साथ ही घर के स्वस्थ वातावरण, आदर्श संस्कार तथा माताओं की रचनात्मक व महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि डोईवाला क्षेत्र के लिए विभिन्न योजनाएं अनुमोदित है। परन्तु विकास की गति को त्रीव करने में सक्रिय जनभागीदारी भी आवश्यक है। हमें यह भी सोचना होगा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए हम क्या-क्या योगदान दे सकते है। राज्य सरकार रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास कर ही है।
इस अवसर पर विधायक श्री विनोद कण्डारी, श्री महेन्द्र भटट, अपर निदेशक उद्योक श्री सुधीर नौटियाल, श्री अनिल गोयल, श्री पंकज गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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