देहरादून -उत्तराखंड: कहते हैं कि अगर किसी में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वह मंजिल जरूर पाता है। और लोगों के लिये मार्गदर्शक भी बन जाता है। देहरादून जिले के विकासनगर में रहने वाले वहीद ने अपने शौक को अपने जीवन में इस कदर उतार लिया कि आज वो ना सिर्फ अपने प्रयास में लगातार आगे बढ़ते चले जा रहे है, बल्कि लोगों के लिए एक प्रेरणाश्रोत बनकर भी उभरा है।
60 वर्षीय वहीद अहमन वह शख्स है जिसका जुनून है पुरानी और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखना। इसके पास मुगल काल से लेकर ब्रिटिश शासन तक के कई सौ साल पुराने सिक्के हैं। साथ ही जोधपुर रियासत और ब्रिटिश हुकूमत की दोस्ती की याद में जो बनाए गए सिक्के भी वहीद के पास मौजूद हैं। उसके पास दो सौ साल पुराना ग्रामोफोन भी है जिससे संगीत आज भी उतना ही मधुर निकलता है कि मानो उसे आज ही खरीदा गया हो।
वहीद ने एक प्रयास किया और बेशकीमती धरोहरों को संजो लिया, लेकिन आज उसके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इन्हें कब तक ऐसे ही घर में रखा जा सकता है। वहीद चाहते हैं कि शहर में एक मिनी संग्रहालय बने जिससे हमारी धरोहरें सुरक्षित रहे सकें। कुछ लोग मेहनत करते हैं पैसा कमाने के लिए और कुछ लोग करते हैं अपने जुनून को पूरा करने के लिए वहीद भी उन्ही में से एक हैं। आज की युवा पीढ़ी जिस प्रकार से पश्चिमी सभ्यता को अपना रही है उससे वह दिन दूर नही होगा जब वे भारतीय संस्कृति और इतिहास को भूल ही जाएंगे। वहीद की एक पहल से हमारे युवा भारत की पुरानी संस्कृति और धरोहरों के बारे में जान सकते हैं और साथ ही उसके महत्व को भी समझ सकते हैं।
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