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डेंगू के मरीजों की सहायता हेतु अस्पतालों में ‘फीवर हेल्प डेस्क’ स्थापित

डेंगू के मरीजों की सहायता हेतु अस्पतालों में ‘फीवर हेल्प डेस्क’ स्थापित
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: राज्य सरकार डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं बचाव के लिए सभी प्रकार की ठोस एवं कारगर कार्यवाही कर रही है। यह जानकारी आज यहां देते हुए चिकित्सा सचिव श्रीमती वी0 हेकाली झिमोमी ने बताया कि जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स समिति का गठन किया गया है, जो जिला स्तर पर विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम हेतु कार्यवाही कर रही है।

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं बचाव हेतु दिनांक 9 नवम्बर, 2016 को नोटिफिकेशन जारी कर इसे ‘नोटिफियेबल डिजीज’ घोषित कर दिया गया है, जिसके तहत अब निजी चिकित्सालयों, निजी नर्सिंग होम्स एवं निजी पैथालाॅजी को डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों से ग्रस्त मरीजों की सूचना जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी को देनी अनिवार्य होगी, सूचना न देने पर सम्बन्धित के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जाएगी।

प्रदेश सरकार डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों के उपचार एवं औषधि की निःशुल्क व्यवस्था के लिए प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों/चिकित्सालयों को दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है। सभी जिला अस्पतालों में 10 बेड व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 5 बेड मच्छरदानी युक्त आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा, लखनऊ में भी 300 बेड आरक्षित किए गए हैं। प्रदेश के सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों द्वारा निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों के साथ बैठक कर भारत सरकार की गाइड लाइन्स के अनुसार डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों का इलाज करने की व्यवस्था की जानकारी दी जा रही है।

डेंगू के मरीजों को सुविधा एवं सहायता हेतु सभी अस्पतालों में ‘फीवर हेल्प डेस्क’ स्थापित की गई हैं। डंेगू रोग की पुष्टि हेतु विशिष्ट जांच (एलाइजा) के लिए प्रदेश में 37 एस0एस0एच0 लैब भी स्थापित हैं। डंेगू के गम्भीर मरीजों को प्लेटलेट्स की आवश्यकता होने पर 39 ब्लड कम्पोनेन्ट सेपरेशन यूनिट द्वारा प्लेटलेट्स उपलब्ध करायी जा रही हैं। गम्भीर मरीजों को उच्चीकृत केन्द्रों तक ले जाने हेतु निःशुल्क ‘108’ एम्बुलेन्स सेवा उपलब्ध करायी गई है।

प्रदेश के हर संवेदनशील शहर एवं गांव में रोस्टर बनाकर मच्छरों को मारने हेतु लार्वीसाइडल का छिड़काव व फाॅगिंग करायी जा रही है, जिसे और व्यापक किया जा रहा है। अन्य सम्बन्धित विभागों द्वारा भी उनके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किए गए कार्याें के अनुसार कार्यवाही की जा रही है, जैसे-शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक विद्यालय के एक शिक्षक को हेल्थ एजुकेटर नियुक्त किया जा रहा है, जिसे जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी के माध्यम से डेंगू से रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

यह हेल्थ एजुकेटर अपने स्कूल में बच्चों को इस रोग से बचाव व नियंत्रण की शिक्षा हर रोज प्रार्थना सभा में देगा तथा मच्छरों के काटने से बचाव हेतु पूरे शरीर को ढँकने वाले कपडे़ पहनने का परामर्श भी देगा। नगर विकास विभाग द्वारा शहर में एकत्रित कूड़े की सफाई, नाले-नालियों की सफाई तथा जल निगम/जल संस्थान द्वारा स्वच्छ पेयजल का वितरण सुनिश्चित कराने की कार्यवाही की जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से ‘प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’ योजना के अन्तर्गत 12 से 14 जून, 2017 तक प्रदेश के सभी जनपदों के डेंगू, चिकनगुनिया एवं वेक्टर जनित रोगों से सम्बन्धित 85 चिकित्साधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इन प्रशिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जनपद में इसी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारियों तथा अन्य निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों को प्रशिक्षित करें।

स्वास्थ्य विभाग एवं स्वैच्छिक संस्था ‘पाथ’ द्वारा 15 से 21 जून, 2017 तक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर जिला मलेरिया अधिकारियों एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।

डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए प्रदेश में पहली बार इस वित्तीय वर्ष में राज्य बजट में 20 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है, जिससे मानव संसाधन की कमी को दूर करते हुए प्रदेश में 13 एस0एस0एच0 लैबों की स्थापना की जाएगी तथा 08 ब्लड कम्पोनेन्ट सेपरेशन यूनिटों की स्थापना का कार्य भी प्रारम्भ किया जाएगा। साथ ही, कार्यक्रम मंे बेहतर संचालन हेतु आने वाली समस्त कमियों को दूर किया जाएगा।

इसके अलावा, सभी जनपदों में रैपिड रिस्पाॅन्स टीमों का भी गठन किया जा चुका है। इन टीमों का मुख्य कार्य डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोग के मरीजों के घर जाकर मच्छरों के लार्वा का पता लगाना और उनको नष्ट करते हुए परिवार के सदस्यों को संक्रमण से बचाव की जानकारी देना है। जनता को डेंगू से रोकथाम एवं बचाव के लिए दैनिक समाचार पत्रों, रेडियो, हैण्डबिल, होर्डिंग, गोष्ठी एवं जनसम्पर्क जैसे संचार माध्यमों की मदद ली जा रही है।

सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही इन सुविधाओं की प्रगति के अनुश्रवण एवं तकनीकी परामर्श देने हेतु प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ’उच्च स्तरीय समिति’ तथा प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में ’तकनीकी सलाहकार समिति’ का गठन किया जा चुका है तथा इन समितियों द्वारा क्रमशः 14 जुलाई, 2017 एवं 04 जुलाई, 2017 को सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर उनके द्वारा किए जा रहे कार्याें की समीक्षा की गई है और उन्हें आवश्यक निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त सर्वाेच्च स्तर पर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा भी समय-समय पर इस सम्बन्ध में समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को मार्गदर्शन एवं निर्देश दिए जा रहे हैं।

चिकित्सा सचिव ने डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए जनता से अपील की है कि स्वयं को मच्छरों से काटने से बचाने हेतु पूरी बांह की शर्ट, फुल पैण्ट, मोजे अर्थात पूरे शरीर को ढँकने वाले कपड़े पहने। साथ ही, प्रत्येक सप्ताह निष्प्रयोज्य पानी बदले, जैसे-कूलर का पानी, गमले और फ्रिज के नीचे की ट्रे का पानी, कबाड़ व टूटे बर्तनों में भरा पानी या अन्यत्र किसी रूप में भरे पानी को समाप्त करें तथा छत के ऊपर पानी की टंकी का ढक्कन ठीक से अवश्य बन्द रखें। इसके अलावा, उन्होंने प्रत्येक रविवार को ‘ड्राई डे’ के रूप में मनाने तथा राज्य सरकार द्वारा जनजागरण कार्यक्रम ‘हर रविवार-मच्छर पर वार’ को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग प्रदान करने की भी अपील की है। उन्होंने इस सम्बन्ध में लोगों से अपने पड़ोसियों को भी जागरूक करने को कहा।

उल्लेखनीय है कि डेंगू के मच्छर साफ जल में ही अण्डे देते हैं, जो विकसित होकर 02 सप्ताह में पूर्ण मच्छर का रूप ले लेते हैं। ऐसे में यदि छत पर, कूलर में, फ्रिज व गमलों के नीचे लगाई जाने वाली प्लेट आदि में एकत्रित जल को जमा न होने दिया जाए और सप्ताह के अन्त में जमा पानी को हटाकर इसे पोंछ दिया जाए, तो मच्छरों को पनपने का अवसर ही नहीं मिलेगा।

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