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डीआईपीपी और विपो प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सहायता केंद्र स्थापित करेंगे

डीआईपीपी और विपो प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सहायता केंद्र स्थापित करेंगे
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नई दिल्ली: औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (विपो) ने प्रौद्योगिकी और नवाचार सहायता केंद्र (टीआईएससी) स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

     विपो के प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सहायता केन्‍द्र (टीआईएससी) कार्यक्रम के तहत विकासशील देशों में अभिनव खोज करने वालों की पहुंच स्‍थानीय एवं उच्‍च गुणवत्‍ता वाली प्रौद्योगिकी सूचना एवं संबंधित सेवाओं तकसुनिश्चित की जाती है और इसके साथ ही इस तरह के लोगों की अभिनव संभावनाओं का दोहन करने तथा उनके बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों के सृजन, संरक्षण एवं प्रबंधन में उन्‍हें सहायता प्रदान की जाती है।

   टीआईएससी द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं में निम्‍नलिखित शामिल किये जा सकते हैं :

  • ऑनलाइन पेटेंट एवं गैर-पेटेंट (वैज्ञानिक और तकनीकी) संसाधनों तथा आईपी से संबंधित प्रकाशनों तक पहुंच
  • तकनीकी सूचनाओं को ढूंढ़ने एवं उनकी प्राप्ति में मदद करना
  • डेटाबेस को ढूंढ़ने के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना
  • प्रौद्योगिकी और प्रतिद्वंद्वियों पर नजर रखना
  • औद्योगिक संपदा कानूनों पर बुनियादी सूचनाएं, प्रबंधन एवं रणनीति तथा प्रौद्योगिकी का वाणिज्यीकरण एवं विपणन

    आईपीआर संवर्धन एवं प्रबंधन प्रकोष्‍ठ (सीआईपीएएम) को टीआईएससी राष्‍ट्रीय नेटवर्क के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र बिंदु के रूप में नामित किया गया है। राष्‍ट्रीय केंद्र बिंदु के रूप में सीआईपीएएम संभावित मेजबान संस्‍थानों कीपहचान करेगा, उनकी क्षमताओं का आकलन करेगा और टीआईएससी परियोजना से जुड़ने में उनकी सहायता करेगा। सीआईपीएएम इसके अलावा विपो तथा टीआईएससी के मेजबान संस्‍थानों के बीच प्रमुख मध्‍यस्‍थ के तौरपर भी काम करेगा और इसके साथ ही राष्‍ट्रीय टीआईएससी नेटवर्क की गतिविधियों के बीच समन्‍वय स्‍थापित करेगा।

    500 से भी ज्‍यादा टीआईएससी विश्‍व भर में कार्यरत हैं और भारत में टीआईएससी की स्‍थापना से मेजबान संस्‍थानों की पहुंच वैश्विक नेटवर्क तक सुनिश्चित हो जाएगी। सीआईपीएएम ने आने वाले वर्षों मेंविश्‍वविद्यालयों, राज्‍य विज्ञान परिषदों, अनुसंधान एवं विकास संस्‍थानों इत्‍यादि में टीआईएससी की स्‍थापना करने की योजना बनाई है। टीआईएससी की स्‍थापना से ज्ञान को साझा करने, टीआईएससी के बीच सर्वोत्‍तमरीतियों को साझा करने, क्षमता निर्माण और बौद्धिक संपदा (आईपी) के सृजन एवं वाणि‍ज्यीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

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