ऋषिकेश: टिहरी बांध जो कि 260.5 मीटर ऊंचा है एशिया के ऊंचे बांधों में शुमार है। इस बांध का जलाशय जो कि तकरीबन 40 वर्ग किमी तक फैलता है, मानसून के दौरान भागीरथी नदी में आने वाले अतिरिक्त जल को अपने में समाहित करने की क्षमता रखता है जिससे कि बांध के नीचे स्थित इलाकों को बाढ़ से बचाया जा सके एवं जलाशय में एकत्रित जल को इन इलाकों में रहने वाले लोगों की सिंचाई एवं पीने के पानी की आवश्यकतानुसार मानसून के उपरांत छोड़ा जा सके। आम तौर पर सर्दियों के दौरान नदियों में प्रवाह काफी कम हो जाता है परन्तु रबी की फसल एवं पीने के पानी की आपूर्ति हेतु अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है जिसको पूरा करने में बांध के जलाशय का पूरा सहयोग रहता है ।
टिहरी जलाशय में जल एकत्रित करने प्रक्रिया जून के आखिरी सप्ताह से लेकर तकरीबन सितम्बर के अन्त तक चलती है। वर्तमान में भी टिहरी जलाशय में जल भराव की प्रक्रिया चल रही है जो कि अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार ही है। टिहरी जलाशय 29 अगस्त को तकरीबन 816 मी. के स्तर तक भरा जा चुका है जबकि इसको 31 अगस्त तक 817 मी. के स्तर तक भरा जाना प्रस्तावित है ।
इस मानसून के दौरान टिहरी जलाशय को अधिकतम 825 मी. के स्तर तक ही भरा जाना प्रस्तावित है क्योंकि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा इसी स्तर तक भरने की अनुमति है। यदि वर्तमान मानसून इसी प्रकार जारी रहता है तो टिहरी जलाशय को सितम्बर के अंत तक 825 मी. तक भर लिया जाएगा।
टिहरी जलाशय को 825 मी. स्तर तक भरने के उपरांत आगामी रबी फसल की सिंचाई हेतु दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश वासियों की पेयजल आपूर्ति हेतु समुचित मात्रा में जल उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसके साथ ही टिहरी परियोजना से निर्धारित मात्रा में विद्युत का उत्पादन भी सुनिश्चित होगा। इस प्रकार टिहरी बांध वर्तमान में अपनी पूर्ण क्षमता पर कार्य कर रहा है ।