नई दिल्ली: वैश्विक मसाला कारोबार के मानक तय करने के भारत के प्रयास को मान्यता देते हुए अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक तय करने वाली संस्था कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग(सीएसी) ने काली, सफेद और हरी मिर्च, जीरा तथा अजवायन के लिए तीन कोडेक्स मानकों को अपना लिया है। उन्हें अंगीकृत कर लिया है। इससे विभिन्न देशों में गुणवत्ता संपन्न मसालों की पहचान के लिए सार्वभौमिक समझौते का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक तय करने वाली संस्था(सीएसी) के सदस्य देशों की 40वीं बैठक 17-22 जुलाई को जेनेवा में हुई। इस बैठक में तीनों मसालों के लिए सर्वसम्मति से कोडेक्स मानकों को अपनाने की स्वीकृति दी गई। इस स्वीकृति से मसालों के वैश्विक कारोबार तथा उपलब्धता ले लिए सामान्य मानक प्रक्रिया विकसित होगी।
कोडेक्स मानकों को अपनाए जाने के लिए भारत ने मसालों तथा रसाई हर्ब पर बनी समिति (सीसीएससीएच) कोडेक्स के तीन सत्रों का आयोजन कोच्चि (2014), गोवा (2015) तथा चेन्नई (2017) किया था। चेन्नई बैठक में इस बारे में सहमति हासिल की गई। उसके बाद सीएसीए के समक्ष मसौदे रखे गए और सदस्य देशों के भारी समर्थन के साथ सर्वसम्मति से इन्हें अंगीकृत किया गया। मिर्च, जीरा तथा अजवायन पर कोडेक्स मानकों को अपनाए जाने के साथ ये मसाले पहली बार सामग्री की सूची में शामिल किए गए हैं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोडेक्स मानकों को अपनाना सदस्यों देशों के मसालों के लिए अपने राष्ट्रीय मानको को कोडेक्स के साथ जोड़ना है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इससे वैश्विक मसाला कारोबार में सद्भाव बढ़ेगा और विश्व को उच्च गुणवत्ता सम्पन्न, साफ-सुथरे और सुरक्षित मसालों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। उन्होने कहा कि अच्छे किस्म के मसालों की पहचान के लिए सार्वभौमिक सम्झौते से कारोबार को लाभ मिलेगा।
उद्योग और वाणिज्य मंत्री ने कहा कि मानक निर्धारण प्रक्रिया की पंक्ति में अनेक सामग्रियों के प्रतिक्षारत होने को देखते हुए तीन मसालों के लिए मानको का अपनाया जाना छोटा कदम हो सकता है लेकिन वास्तविक खुशी इस बात की है कि यह मसाले कोडेक्स मानकों वाली सामग्रियों की जमात में पहुँच गए है। भारत ने इस उद्देश्य कि प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सीसीएससीएच कि यह विजय आगे के कठिन परिश्रमों का अग्रदूत है। मसालों तथा रसोई हर्ब कि संख्या बहुत अधिक है। यद्यपि केवल 109 मसाले आईएसओ की सूची में अधिसूचित हैं। वास्तव में इनकी संख्या बहुत विशाल है क्योकि इन मसालों का उपयोग विभिन्न देशों में किया जाता है।
मसाला कारोबार में विभिन्न विषयों के उभरने से 2013 में मसालों तथा हर्ब के लिए कोडेक्स मानकों की जरूरत महसूस की गई। उस समय मसालों और हर्ब के लिए कोडेक्स की कोई विशेष समिति नही थी। इस तरह मसालों और हर्ब के लिए एक समर्पित कोडेक्स समिति स्थापित करने का पहला कदम उठाया गया।
केन्द्र सरकार की मंजूरी से भारतीय मसाला बोर्ड ने मसालों तथा खान-पान से संबंधित हर्ब के लिए विशेष समिति बनाने का प्रस्ताव सीएसी के समक्ष रखा। इस विषय पर काम करने के बाद बोर्ड ने पूरे विश्व में होने वाली कोडेक्स समिति की बैठकों में शिष्टमंडल भेजा। इन शिष्टमंडलों ने मसालों तथा हर्ब के लिए कोडेक्स मानकों पर एक समिति बनाने की आवश्यकता को जोरदार तरिके से रखा।
रोम में 1-5 जुलाई, 2013 को सीएसी की 36वीं बैठक हुई। इसमें भारत के प्रस्ताव पर विचार किया गया और बाद में इसे सदस्य देशों के समर्थन के साथ सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। इससे सीएससीएच का गठन हुआ और भारत मेजबान देश तथा मसाला बोर्ड इसका सचिवालय बना। पिछले 25 वर्षों में स्वीकृत होने वाली यह पहली नई कोडेक्स समिति थी।
ऐतिहासिक रूप से विकसित देश मसालों के प्रमुख आयातक रहे है और उन्होने अनुचित कठोर मानकों पर युद्ध रवैया अपनाया जससे मसाला कारोबार पर बुरा असर पड़ा। यर एक ऐसा विषय है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा खाद्य कृषि और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा बनाई गई कोडेक्स समिति को सुलझाना चाहिए।
भारतीय मसाला बोर्ड देश से मसालों के निर्यात और संवर्धन के लिए केन्द्र सरकार का अग्रणी संगठन है और बोर्ड इस विषय पर निरंतर चिंता करता रहा है।